महोबा। जिले में आग लगने पर सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे रहती है। जिले में मात्र दो फायर ब्रिगेड की मशीनें हैं जबकि तीन तहसीलें हैं। ऐसी स्थिति में आग लगने पर एक तहसील से दूसरी तहसील के गांव में मशीन पहुंचने से पहले सब कुछ जलकर खाक हो जाता है। शहर में तीन दशक पहले पानी के लिए बनाए गए हाइडेंट जमींदोज हो गए हैं। हाइडेंटाें पर कहीं इमारतें बन गई हैं तो कहीं पर हाइडेंटाें का सीना चीरकर सड़कें बना दी गई हैं।
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय में दो दमकल गाड़ियां और एक एेंबुलेंस है जबकि प्रत्येक तहसील में एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी होनी चाहिए लेकिन यहां की चरखारी तहसील और कुलपहाड़ तहसील में फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं हैं।
भीषण गर्मी में आग लगने की बढ़ती घटनाआें के मद्देनजर एफएसओ महोबा एक गाड़ी माह मार्च से 30 जून तक दमकल जवानाें के साथ तहसील चरखारी भेज देते हैं लेकिन कुलपहाड़ तहसील में न तो दमकल गाड़ी का इंतजाम है और न फायर स्टेशन। जिला मुख्यालय से कुलपहाड़, चरखारी के ग्रामीण अंचलाें की दूरी 60-70 किलोमीटर है। ऐसी स्थिति में आग लगने पर दमकल विभाग को सूचना मिलने के बाद भी फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचते-पहुंचते सब कुछ जलकर बरबाद हो जाता है। तहसील कुलपहाड़ में हालांकि एक साल पहलेे फायर स्टेशन को जमीन मिल चुकी है लेकिन विभागीय अधिकारियाें की उदासीनता के चलते फायर स्टेशन नहीं खुल पा रहा है।
30 साल पहले खनगा बाजार, पुलिस चौकी के पास, मदन सागर के निकट, आल्हा चौक सहित छह स्थानाें पर हाइडेंट बनाए गए थे। इसके अलावा कबरई में थाने के पास दो हाइडेंट, एक छंगा चौराहे पर, 2001 में पनवाड़ी कसबे में छह हाइडेंट, श्रीनगर में ननौरा रोड और थाने के पास तीन हाइडेंट बनाए गए थे लेकिन सभी हाइडेंट जमींदोज हो गए। इनमें अधिकतर हाइडेंटाें के ऊपर से सड़कें निकल गईं लेकिन बदलते जमाने के साथ बहुत कुछ बदल गया है। कहीं हाइडेंटाें पर सड़कें तो कहीं पर इमारतें खड़ी कर दी गई हैं जिससे पानी को लेकर दमकल विभाग के नौजवानाें को खासी मशक्कत करनी पड़ती है और आग लगने पर पानी के लिए फायर ब्रिगेड के जवान इधर उधर
भटकते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए अब महकमे ने छतरपुर रोड
कांशीराम कालोनी के सामने,
पुलिस लाइन के पास, कीरत सागर के पास, राजकीय इंटर कालेज के पास सहित छह फायर हाइडेंट शहर में बनाए हैं।