चरखारी/खरेला (महोबा)। गर्मी के बढ़ते ही बिजली और पेयजल समस्या जनता के लिए मुसीबत बन गई है। अघोषित बिजली कटौती ने जहां राताें की नींद और दिन का चैन छीन लिया है, वहीं बूंद-बूंद पानी के लिए लोग मोहताज हैं। कहीं खारा पानी पीने को मजबूर हैं तो कहीं दूर दराज से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। बिजली और पानी की विकराल हो रही समस्या पर जनता में आक्रोश पनप रहा है।
बसपा शासन में बुंदेलखंड को अच्छी बिजली मिली। सपा के सत्ता में आने के बाद बिजली और पेयजल संकट गंभीर समस्या बन गया है। बिजली विभाग के अधिकारियाें ने अघोषित कटौती के नाम पर रोस्टर में अधिक बिजली कटौती करना शुरू कर दिया है। बिजली कटौती से जनता कराह रही है। दिन में गर्मी झेल रहे लोगाें को रात में भी बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। चरखारी में जहां 20 घंटे बिजली मिलती थी, अब बमुश्किल 10-12 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। कई बार ट्रिपिंग और तकनीकी खराबी के चलते यह दिक्कत और गंभीर हो रही है। उल्लेखनीय है कि चरखारी क्षेत्र के ग्रामीण उपभोक्ताआें को 8-10 घंटे ही बिजली की सप्लाई की जाती है जिससे भीषण गर्मी में हो रही कटौती से जनता परेशान है। बिजली की कटौती के चलते पेयजल आपूर्ति भी रोजाना प्रभावित हो जाती है। बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता कभी फोन नहीं उठाते। उपभोक्ता अपनी समस्या किसे बताएं। एसडीओ तैनाती स्थल पर नहीं रहते। सब स्टेशन में बिजली कटौती का कारण पूछने पर बताया जाता है कि महोबा से सप्लाई बंद है। उपभोक्ताआें ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र भेजकर बिजली की सप्लाई पूर्ववत बहाल कराने की मांग की है।
खरेला प्रतिनिधि के मुताबिक एक सप्ताह से पेयजल आपूर्ति प्रभावित है। महज दस मिनट पानी छोड़कर जल संस्थान अपनी औपचारिका निभा लेता है। इधर दो दिनाें से पानी की बूंद भर आपूर्ति नहीं हुई है। लोेग खारा पानी पीने को मजबूर हैं। कहीं-कहीं दस रुपए प्रति गैलन का पानी खरीदकर गुजारा करना पड़ रहा है। बिजली की कटौती रात्रि में सर्वाधिक होने से महिला, बच्चे और वृद्ध खासे परेशान हैं। पेयजल की दिक्कत दिन पर दिन बढ़ने से महिलाएं दूर दराज से पानी ढोकर लाने को मजबूर हैं। आपूर्ति के संदर्भ में जब जल संस्थान के जेई यूनुस से पूछा तो उन्हाेंने बताया कि बिजली की आपूर्ति बाधित रहने से पानी की सप्लाई ठप हो जाती है। कम बिजली मिलने के कारण ही यह समस्या हुई है। फिर भी पेयजल संकट निवारण के लिए प्रयासरत हैं।