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निकाय आरक्षण की अंतिम सूची पर टिकी ं निगाहें
Mahoba
Updated Tue, 15 May 2012 12:00 PM IST
महोबा। जिले की पांचों निकाय सीटें बसपा सरकार जाते ही बदल गईं। इससे महीनों से चुनाव की तैयारी कर रहे अध्यक्ष पद के दावेदारों की उंमीदों पर पानी फिर गया। अब निकाय आरक्षण पर आपत्ति लगने के बाद सभी की निगाहें अंतिम आरक्षण सूची जारी होने पर लगी हुई हैं।
निकाय चुनाव की सरगर्मी शुरू होते ही छह माह में जिले की सीटों में काफी उलट फेर किया गया। जल्दी जल्दी सीटें बदलने से लोगों में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर आकर्षण बढ़ता गया। नवंबर 2011 तक महोबा नगर पालिका सीट, कुलपहाड़ व खरेला नगर पंचायत अनुसूचित जाति और चरखारी नगर पालिका, कबरई नगर पंचायत सामान्य जाति के लिए आरक्षित थीं। जनवरी 2012 में बसपा सरकार ने नए आरक्षण के तहत कबरई पिछड़ी और महोबा को सामान्य जाति, कुलपहाड़ व खरेला को सामान्य और चरखारी को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया था। सपा सरकार आते ही फिर से सीटों में उलट फेर हुआ और महोबा नगर पालिका के अलावा खरेला नगर पंचायत अनुसूचित जाति, चरखारी नगर पालिका पिछड़ा वर्ग, कबरई सामान्य महिला, कुलपहाड़ व खरेला नगर पंचायत अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर 3 मई तक आरक्षण से संबधित आपत्तियां मांगी गई थीं। इनके अंतिम आरक्षण की सूची जारी होने की कवायद शासन स्तर पर चल रही है। अब पिछले आरक्षण में सीटें फाइनल मान बैठे अध्यक्ष पद के दावेदारों कों फिर से अपने पक्ष में सीटें आरक्षित होने की उम्मीद जाग उठी है। आपत्तियां लगा चुके सौरभ तिवारी, अजय विश्वकर्मा, जीवनलाल चौरसिया, विनोद सोनी, डा. ज्ञानेश अवस्थी का कहना है कि सरकार के सामने उन्होंने जातिगत आंकड़ों के साथ अपना पक्ष रखा है ताकि सीटें बदली जा सके और उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिल सके। आपत्तियां लगने के बाद अब हर दावेदार की निगाह शासन की अंतिम आरक्षण सूची जारी होने पर लगी हुई हैं, जो कभी भी जारी हो सकती है। अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर शहर में ताल ठोंक रहे दावेदार सीट बदलने से खासे हतोत्साहित हैं। इन्हें आरक्षण में आपत्तियां लगाने के बाद फिर से सीट बदलने की उम्मीद दिखने लगी है।
महोबा। जिले की पांचों निकाय सीटें बसपा सरकार जाते ही बदल गईं। इससे महीनों से चुनाव की तैयारी कर रहे अध्यक्ष पद के दावेदारों की उंमीदों पर पानी फिर गया। अब निकाय आरक्षण पर आपत्ति लगने के बाद सभी की निगाहें अंतिम आरक्षण सूची जारी होने पर लगी हुई हैं।
निकाय चुनाव की सरगर्मी शुरू होते ही छह माह में जिले की सीटों में काफी उलट फेर किया गया। जल्दी जल्दी सीटें बदलने से लोगों में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर आकर्षण बढ़ता गया। नवंबर 2011 तक महोबा नगर पालिका सीट, कुलपहाड़ व खरेला नगर पंचायत अनुसूचित जाति और चरखारी नगर पालिका, कबरई नगर पंचायत सामान्य जाति के लिए आरक्षित थीं। जनवरी 2012 में बसपा सरकार ने नए आरक्षण के तहत कबरई पिछड़ी और महोबा को सामान्य जाति, कुलपहाड़ व खरेला को सामान्य और चरखारी को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया था। सपा सरकार आते ही फिर से सीटों में उलट फेर हुआ और महोबा नगर पालिका के अलावा खरेला नगर पंचायत अनुसूचित जाति, चरखारी नगर पालिका पिछड़ा वर्ग, कबरई सामान्य महिला, कुलपहाड़ व खरेला नगर पंचायत अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर 3 मई तक आरक्षण से संबधित आपत्तियां मांगी गई थीं। इनके अंतिम आरक्षण की सूची जारी होने की कवायद शासन स्तर पर चल रही है। अब पिछले आरक्षण में सीटें फाइनल मान बैठे अध्यक्ष पद के दावेदारों कों फिर से अपने पक्ष में सीटें आरक्षित होने की उम्मीद जाग उठी है। आपत्तियां लगा चुके सौरभ तिवारी, अजय विश्वकर्मा, जीवनलाल चौरसिया, विनोद सोनी, डा. ज्ञानेश अवस्थी का कहना है कि सरकार के सामने उन्होंने जातिगत आंकड़ों के साथ अपना पक्ष रखा है ताकि सीटें बदली जा सके और उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिल सके। आपत्तियां लगने के बाद अब हर दावेदार की निगाह शासन की अंतिम आरक्षण सूची जारी होने पर लगी हुई हैं, जो कभी भी जारी हो सकती है। अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर शहर में ताल ठोंक रहे दावेदार सीट बदलने से खासे हतोत्साहित हैं। इन्हें आरक्षण में आपत्तियां लगाने के बाद फिर से सीट बदलने की उम्मीद दिखने लगी है।