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महोबा। हजरत हाजी फीरोज शाह का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया गया। उर्स में उमड़े अकीदतमंदाें ने मजार-ए-अकदस पर पहुंचकर फातिहा पढ़ा और मन्नतें मानी।
सोमवार रात करीब 8:30 बजे चादर जुलूस निकाला गया। जुलूस परंपरागत मार्गों से होता हुआ रात करीब 9:30 बजे मजार-ए-अकदस पहुंचा। जुलूस के दौरान अकीदतमंद नारा-ए-तकबीर अल्लाह हो अकबर, नबी का दामन नहीं छोड़ेंगे, नार-ए-रिसालत या रसूलल्लाह की सदाएं बुलंद करते हुए चल रहे थे। मजार-ए-अकदस पर रात लगभग दस बजे चादर चढ़ाई गई। फातिहा के दौरान लोगाें ने दुआएं मांगी। मंगलवार सुबह छह बजे आस्ताने पर कुरानख्वानी हुई। इसके बाद शाम करीब चार बजे आस्ताने पर उर्स हुआ। इसमें मुस्लिमाें के अलावा हिंदुओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और दुआएं मांगी। आस्ताना में दिन भर लोगाें को लंगर छकाया गया। मजार पर पुरुषाें के अलावा महिलाआें की भी भारी भीड़ जुटी।
महोबा। हजरत हाजी फीरोज शाह का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया गया। उर्स में उमड़े अकीदतमंदाें ने मजार-ए-अकदस पर पहुंचकर फातिहा पढ़ा और मन्नतें मानी।
सोमवार रात करीब 8:30 बजे चादर जुलूस निकाला गया। जुलूस परंपरागत मार्गों से होता हुआ रात करीब 9:30 बजे मजार-ए-अकदस पहुंचा। जुलूस के दौरान अकीदतमंद नारा-ए-तकबीर अल्लाह हो अकबर, नबी का दामन नहीं छोड़ेंगे, नार-ए-रिसालत या रसूलल्लाह की सदाएं बुलंद करते हुए चल रहे थे। मजार-ए-अकदस पर रात लगभग दस बजे चादर चढ़ाई गई। फातिहा के दौरान लोगाें ने दुआएं मांगी। मंगलवार सुबह छह बजे आस्ताने पर कुरानख्वानी हुई। इसके बाद शाम करीब चार बजे आस्ताने पर उर्स हुआ। इसमें मुस्लिमाें के अलावा हिंदुओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और दुआएं मांगी। आस्ताना में दिन भर लोगाें को लंगर छकाया गया। मजार पर पुरुषाें के अलावा महिलाआें की भी भारी भीड़ जुटी।