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महोबा। डीजल की कीमताें में बढ़ोत्तरी होने से रोडवेज महकमे का मुनाफा काफी कम हो गया है। अब बसेें चलाने में विभाग को प्रतिदिन 66,000 रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। इससे रोडवेज विभाग को सालाना 2.35 करोड़ रुपए की चपत लगने का अनुमान है। इसका सीधा असर विभाग की आमदनी पर पड़ रहा है।
केंद्र सरकार ने तेल कंपनियाें को डीजल पर हर माह 45 पैसे वृद्धि करने की छूट दे दी है, वहीं थोक में डीजल खरीदने वाले सरकारी परिवहन विभागाें के लिए डीजल प्रति लीटर 11 रुपए महंगा कर दिया है। इससे रोडवेज विभाग को तगड़ा झटका लगा है। रोडवेज महोबा डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक एनके सुमन ने बताया डिपो में प्रतिदिन छह हजार लीटर डीजल की खपत होती है। डीजल की थोक कीमताें में इजाफा हो ने से विभाग को डीजल पर 66 हजार रुपए प्रतिदिन अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि डीजल की कीमताें में इजाफा होने से पहले महकमे को बसाें के संचालन में प्रतिदिन लगभग तीन लाख रुपए खर्च करने पड़ते थे। इससे डीजल पर सालाना खर्च लगभग 10.78 करोड़ रुपए होता था। लेकिन अब विभाग को प्रतिदिन 66 हजार रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। अब डीजल पर सालाना 13.15 करोड़ रुपए खर्च करने हाेंगे। इससे विभाग को सालाना 2.35 करोड़ रुपए की चपत लगेगी। डीजल महंगा होने से विभाग की आमदनी पर भी बुरा असर पड़ रहा है। डीजल महंगा होने से बसों का किराया बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
महोबा। डीजल की कीमताें में बढ़ोत्तरी होने से रोडवेज महकमे का मुनाफा काफी कम हो गया है। अब बसेें चलाने में विभाग को प्रतिदिन 66,000 रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। इससे रोडवेज विभाग को सालाना 2.35 करोड़ रुपए की चपत लगने का अनुमान है। इसका सीधा असर विभाग की आमदनी पर पड़ रहा है।
केंद्र सरकार ने तेल कंपनियाें को डीजल पर हर माह 45 पैसे वृद्धि करने की छूट दे दी है, वहीं थोक में डीजल खरीदने वाले सरकारी परिवहन विभागाें के लिए डीजल प्रति लीटर 11 रुपए महंगा कर दिया है। इससे रोडवेज विभाग को तगड़ा झटका लगा है। रोडवेज महोबा डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक एनके सुमन ने बताया डिपो में प्रतिदिन छह हजार लीटर डीजल की खपत होती है। डीजल की थोक कीमताें में इजाफा हो ने से विभाग को डीजल पर 66 हजार रुपए प्रतिदिन अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि डीजल की कीमताें में इजाफा होने से पहले महकमे को बसाें के संचालन में प्रतिदिन लगभग तीन लाख रुपए खर्च करने पड़ते थे। इससे डीजल पर सालाना खर्च लगभग 10.78 करोड़ रुपए होता था। लेकिन अब विभाग को प्रतिदिन 66 हजार रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। अब डीजल पर सालाना 13.15 करोड़ रुपए खर्च करने हाेंगे। इससे विभाग को सालाना 2.35 करोड़ रुपए की चपत लगेगी। डीजल महंगा होने से विभाग की आमदनी पर भी बुरा असर पड़ रहा है। डीजल महंगा होने से बसों का किराया बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।