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ललितपुर। राखपंचमपुर स्थित सिद्धबाबा प्रांगण में चल रहे पांच दिवसीय मेले के आखिरी दिन सोमवार को भारी भीड़ उमड़ी। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा की मड़िया में धार्मिक अनुष्ठान किए और बेहतर भविष्य को लेकर प्रार्थना की। ग्रामीण इलाकों के लोगों ने मेले में जमकर खरीददारी की।
विकास खंड मुख्यालय जखौरा के समीप गत 20 मार्च से शुरू हुए मेले का सोमवार को आखिरी दिन रहा। देशभर में विख्यात इस मेले में भाग लेने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दूर दराज से आने वाले लोगों का तांता सुबह से ही लग गया था। सिद्धबाबा के दरबार में जाकर पवित्र राख ग्रहण करने के लिए पांचवें दिन भी कतारें लगी रहीं। बड़ी तादाद में आए श्रद्धालुओं ने मनौती स्वरूप परिसर में धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए। कोई सत्यनारायण की कथा का आयोजन करवा रहा था तो कोई हवन, यज्ञ की आहुतियां देकर व्याधियों से मुक्ति पाने की प्रार्थना कर रहा था। मेला के आखिरी दिन हजारों श्रद्धालुओं ने सीधे के रूप में आटा, दाल, नमक व नारियल चढ़ाया, जिसे व्यवस्थित करने में समिति के पदाधिकारी जुटे रहे। उधर, अंतिम दिन होने की वजह से जनपद के ग्रामीण भी खरीददारी करने के लिए मेले में पहुंचे। किसी ने सौंदर्य की सामग्री खरीदी तो कोई मिट्टी के खूबसूरत बर्तन खरीदता हुआ दिखाई दिया। चाट पकौड़ी की दुकानों पर भी खासी संख्या में महिलाओं व बच्चों की भीड़ दिखाई दी। भीड़ अधिक होने के कारण पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी चौकन्ना रहे।
मेले में नि:शुल्क दवाएं वितरित कीं
ललितपुर। पंडित विश्वनाथ शर्मा हिंदू धर्मार्थ न्यास व बुंदेलखंड एकीकरण समिति ने संयुक्त रूप से मेले में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। इस दौरान सैकड़ों मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा स्वस्थ जीवन की सलाह के साथ 248 रोगियों को दवाइयां भी वितरित की गईं। आयुर्वेदिक दवाओं का महत्व बताते हुए वैद्य महेंद्र सर्राफ ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति सर्वश्रेष्ठ है। अन्य चिकित्सा पद्धतियों में साइड इफे क्ट होता है, जबकि आयुर्वेद में ऐसा नहीं है। चिकित्साविद सुधीर जैन व अवधेश तिवारी ने भी लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक किया।
इस अवसर पर कैलाश नारायण पाठक, परमानंद तिवारी, रतनलाल शर्मा, रामकली तिवारी, जगदीश नामदेव, जमुना गिरि, महेश तिवारी, तिलकराम कौशिक, त्रिपति रावत, कपूर कुशवाहा, महेश शुक्ला, पंकज ताम्रकार आदि मौजूद रहे।
सराही गईं देवी स्वरूपों की झांकियां
ललितपुर। प्रजापिता ब्रह्मकुमारियों की ओर से मेले में देवी स्वरूपों की लगाई गई नौ झांकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं। इस बार सिद्धबाबा के दरबार में क्षेत्रीय फाग गायकों ने अनूठी रचनाओं की प्रस्तुति लोक वाद्ययंत्रों के साथ देकर लोगों को भाव विभोर कर दिया। वहीं, रात्रि समय के कार्यक्रम भी आकर्षक रहे। हालांकि यह पहला मौका रहा जब मेले में रामलीला अथवा रासलीला का आयोजन नहीं किया गया। इसके पहले के वर्षों में इस तरह के धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रहती थी।
ललितपुर। राखपंचमपुर स्थित सिद्धबाबा प्रांगण में चल रहे पांच दिवसीय मेले के आखिरी दिन सोमवार को भारी भीड़ उमड़ी। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा की मड़िया में धार्मिक अनुष्ठान किए और बेहतर भविष्य को लेकर प्रार्थना की। ग्रामीण इलाकों के लोगों ने मेले में जमकर खरीददारी की।
विकास खंड मुख्यालय जखौरा के समीप गत 20 मार्च से शुरू हुए मेले का सोमवार को आखिरी दिन रहा। देशभर में विख्यात इस मेले में भाग लेने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दूर दराज से आने वाले लोगों का तांता सुबह से ही लग गया था। सिद्धबाबा के दरबार में जाकर पवित्र राख ग्रहण करने के लिए पांचवें दिन भी कतारें लगी रहीं। बड़ी तादाद में आए श्रद्धालुओं ने मनौती स्वरूप परिसर में धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए। कोई सत्यनारायण की कथा का आयोजन करवा रहा था तो कोई हवन, यज्ञ की आहुतियां देकर व्याधियों से मुक्ति पाने की प्रार्थना कर रहा था। मेला के आखिरी दिन हजारों श्रद्धालुओं ने सीधे के रूप में आटा, दाल, नमक व नारियल चढ़ाया, जिसे व्यवस्थित करने में समिति के पदाधिकारी जुटे रहे। उधर, अंतिम दिन होने की वजह से जनपद के ग्रामीण भी खरीददारी करने के लिए मेले में पहुंचे। किसी ने सौंदर्य की सामग्री खरीदी तो कोई मिट्टी के खूबसूरत बर्तन खरीदता हुआ दिखाई दिया। चाट पकौड़ी की दुकानों पर भी खासी संख्या में महिलाओं व बच्चों की भीड़ दिखाई दी। भीड़ अधिक होने के कारण पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी चौकन्ना रहे।
मेले में नि:शुल्क दवाएं वितरित कीं
ललितपुर। पंडित विश्वनाथ शर्मा हिंदू धर्मार्थ न्यास व बुंदेलखंड एकीकरण समिति ने संयुक्त रूप से मेले में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। इस दौरान सैकड़ों मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा स्वस्थ जीवन की सलाह के साथ 248 रोगियों को दवाइयां भी वितरित की गईं। आयुर्वेदिक दवाओं का महत्व बताते हुए वैद्य महेंद्र सर्राफ ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति सर्वश्रेष्ठ है। अन्य चिकित्सा पद्धतियों में साइड इफे क्ट होता है, जबकि आयुर्वेद में ऐसा नहीं है। चिकित्साविद सुधीर जैन व अवधेश तिवारी ने भी लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक किया।
इस अवसर पर कैलाश नारायण पाठक, परमानंद तिवारी, रतनलाल शर्मा, रामकली तिवारी, जगदीश नामदेव, जमुना गिरि, महेश तिवारी, तिलकराम कौशिक, त्रिपति रावत, कपूर कुशवाहा, महेश शुक्ला, पंकज ताम्रकार आदि मौजूद रहे।
सराही गईं देवी स्वरूपों की झांकियां
ललितपुर। प्रजापिता ब्रह्मकुमारियों की ओर से मेले में देवी स्वरूपों की लगाई गई नौ झांकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं। इस बार सिद्धबाबा के दरबार में क्षेत्रीय फाग गायकों ने अनूठी रचनाओं की प्रस्तुति लोक वाद्ययंत्रों के साथ देकर लोगों को भाव विभोर कर दिया। वहीं, रात्रि समय के कार्यक्रम भी आकर्षक रहे। हालांकि यह पहला मौका रहा जब मेले में रामलीला अथवा रासलीला का आयोजन नहीं किया गया। इसके पहले के वर्षों में इस तरह के धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रहती थी।