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अनूप सेन
ललितपुर। अभी तक आपराधिक वारदातों के घटनास्थल पर मीडिया कर्मियों एवं छायाकारों को कैमरा चलाते देखा जाता था, लेकिन अब ऐसे स्थानों पर पुलिस भी कैमरा थामे नजर आएगी। यही नहीं, जांच अफसरों के साथ फील्ड यूनिट के वैज्ञानिक अपराधियों के सुराग खोजेंगे। जघन्य मामलों को अंजाम देने वाले अपराधियों को सुबूत के साथ दंडित कराने के लिए पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर पुलिस महकमे में यह नई व्यवस्था लागू कर दी गई है।
नई व्यवस्था क ो पहले चरण में हत्या व बलात्कार सरीखे संगीन मामलों में क्रियान्वित किया जाएगा। जघन्य घटना की जानकारी होते ही घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले पुलिस कर्मी घटनास्थल को पीले टेप से सुरक्षित कर लेंगे। इस घेरे के अंदर किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इसके बाद जांच अधिकारियों के साथ फील्ड यूनिट के वैज्ञानिक घटनास्थल से फिंगरप्रिंट, अपराधियों के जूतों के निशान, पीड़ित के शरीर से आरोपियों के डीएनए आदि के नमूने एकत्र करेंगे। इस दौरान घटनाथल पर होने वाली जांच की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। जांच के दौरान मिले सुबूतों व पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विरोधाभास होने पर राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ के विशेषज्ञों से भी राय ली जाएगी। इसके अलावा गवाहों के बयानों की ऑडियो व वीडियो रिकार्डिंग भी कराई जाएगी, जिसे घटना स्थल की रिकार्डिंग के साथ केस डायरी व एसआर फाइल के साथ रखा जाएगा। पुलिस महानिदेशक का मानना है कि जघन्य मामलों की जांच की गुणवत्ता बढ़ाने और इसमें वैज्ञानिक विधियों का समावेश किए जाने से न सिर्फ मामलों को जल्द सुलझाने में मदद मिलेगी, वहीं पुख्ता सुबूत एकत्र किए जाने के बाद आरोप पत्र प्रस्तुत करने पर आरोपियों को अदालत में दंडित किए जाने का प्रतिशत भी बढ़ेगा, जिससे अपराधों में नियंत्रण भी होगा। पुलिस अधीक्षक जितेंद्र प्रताप सिंह ने सभी थानाध्यक्षों को नई व्यवस्था के शत प्रतिशत अनुपालन के लिए निर्देश जारी किए हैं।
बजट की हुई व्यवस्था
पुलिस महानिदेशक ने नई कार्यप्रणाली को अमलीजामा पहनाने के लिए बजट की व्यवस्था कर दी है। थानों पर वीडियो कैमरा, डीवीडी व सीडी मुहैया कराने के लिए ‘26- पुलिस साज सज्जा’ व ‘08 कार्यालय व्यय’ के मद में व्यवस्था की गई है। इसी तरह निदेशक विधि विज्ञान प्रयोगशाला को फील्ड यूनिट्स के माध्यम से थानों में पर्याप्त मात्रा में पीला टेप मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।