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ललितपुर। जखौरा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत लागौन का चुनाव निरस्त किए जाने के एसडीएम न्यायालय के निर्णय को जनपद न्यायाधीश राजबहादुर सिंह प्रथम ने यथावत रखा है। उन्होंने इस संबंध में ग्राम प्रधान की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मालवीय ने बताया कि एसडीएम कोर्ट में ग्राम पंचायत लागौन का चुनाव निरस्त किए जाने के निर्णय को ग्राम प्रधान शोभाराम यादव ने जनपद न्यायालय में चुनौती दी, जहां जनपद न्यायाधीश ने अपील को खारिज कर उपजिला मजिस्ट्रेट आनंद स्वरूप के निर्णय को यथावत रखने का आदेश जारी कर दिया, जिसके बाद ग्राम पंचायत प्रधान पद पर अब पुन: चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने आगे बताया कि लागौन निवासी देवेंद्र कुमार जैन ने इक्कीस जनवरी 2011 को धारा 12 सी उत्तर प्रदेश पंचायत राज के तहत निर्वाचन याचिका प्रस्तुत की थी, जिसमें त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन 2010 में बोगस वोटिंग के तथ्य प्रस्तुत किए गए थे। उपजिला मजिस्ट्रेट की अदालत में सत्र परीक्षण के दौरान याचिकाकर्ता के आरोपों को सही ठहराते हुए उपजिला मजिस्ट्रेट ने पच्चीस अक्टूबर 2010 को घोषित चुनाव परिणाम निरस्त करते हुए ग्राम पंचायत प्रधान का पद रिक्त घोषित कर दिया था। अधिवक्ता ने बताया कि जनपद न्यायालय में अपील खारिज होने के बाद एक महीने के अंदर ग्राम पंचायत लागौन प्रधान पद के लिए पुन: चुनाव मतदान का रास्ता साफ हो गया है।
ललितपुर। जखौरा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत लागौन का चुनाव निरस्त किए जाने के एसडीएम न्यायालय के निर्णय को जनपद न्यायाधीश राजबहादुर सिंह प्रथम ने यथावत रखा है। उन्होंने इस संबंध में ग्राम प्रधान की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मालवीय ने बताया कि एसडीएम कोर्ट में ग्राम पंचायत लागौन का चुनाव निरस्त किए जाने के निर्णय को ग्राम प्रधान शोभाराम यादव ने जनपद न्यायालय में चुनौती दी, जहां जनपद न्यायाधीश ने अपील को खारिज कर उपजिला मजिस्ट्रेट आनंद स्वरूप के निर्णय को यथावत रखने का आदेश जारी कर दिया, जिसके बाद ग्राम पंचायत प्रधान पद पर अब पुन: चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने आगे बताया कि लागौन निवासी देवेंद्र कुमार जैन ने इक्कीस जनवरी 2011 को धारा 12 सी उत्तर प्रदेश पंचायत राज के तहत निर्वाचन याचिका प्रस्तुत की थी, जिसमें त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन 2010 में बोगस वोटिंग के तथ्य प्रस्तुत किए गए थे। उपजिला मजिस्ट्रेट की अदालत में सत्र परीक्षण के दौरान याचिकाकर्ता के आरोपों को सही ठहराते हुए उपजिला मजिस्ट्रेट ने पच्चीस अक्टूबर 2010 को घोषित चुनाव परिणाम निरस्त करते हुए ग्राम पंचायत प्रधान का पद रिक्त घोषित कर दिया था। अधिवक्ता ने बताया कि जनपद न्यायालय में अपील खारिज होने के बाद एक महीने के अंदर ग्राम पंचायत लागौन प्रधान पद के लिए पुन: चुनाव मतदान का रास्ता साफ हो गया है।