धड़ल्ले से चलाई जा रही अनफिट बसें
कहीं पर सीट फटी, कहीं हो रहा मिट्टी के तेल का प्रयोग
अमर उजाला ब्यूरो
ललितपुर। जिले की सड़कों पर तमाम अनफिट बसें फर्राटा भर रही हैं। किसी बस की सीट फटी हैं तो कोई मिट्टी के तेल से इन्हें चला रहा है तो कई बसों की बॉडी आवाज कर रही हैं। जिन पर विभागीय कर्मियों का नियंत्रण नजर नहीं आ रहा है। इससे यात्रियों की सुरक्षा को खतरा बना हुआ है।
ललितपुर जैसे पिछड़े जनपद यातायात व्यवस्था सुदृढ़ नहीं हो पाई है। आज भी कई मार्गों पर बसों का अभाव है तो कई मार्गों पर एक या दो बसों का ही परिचालन होता है। ऐसे क्षेत्रों में बसों की फिटनेस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मौजूदा समय में जिला मुख्यालय पर स्थित बस स्टैंड से प्रतिदिन लगभग डेढ़ सौ से अधिक बसों का संचालन हो रहा है। इनमें से कई बसें मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, दतिया, अशोक नगर, सागर सहित कई अन्य जिलों के लिए बसें उपलब्ध हैं। इसके अलावा जिले के विभिन्न विकास खंडों में दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में भी बसों को संचालन हो रहा है। इन बसों में सवारियों का आवागमन भी अधिक होता है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से भी अधिक सवारियां प्रतिदिन मुख्यालय के लिए आती-जाती हैं। बसों की स्थिति को देखकर सवारियों को सफर करने की इच्छा नहीं होती है। मजबूरन, उन्हें खटारा बसो में सफर करना पड़ रहा है। कुछ बसें तो मिट्टी के तेल से चलाई जा रही हैं जो सड़कों पर वायु प्रदूषण फैला रहीं है। इतना ही नहीं, कई बसों की बॉडी आवाज कर रही हैं तो ऐसी बसों की बॉडी में कोई न कोई कमी बनी हुई है। कुछ बसें तो ऐसी हैं जिनकी कई खिड़कियों में कांच नही हैँ तो सीटें भी फटी हैं। बीते दिनों हुई वारिश का पानी भी अंदर सीटों पर गिर रहा था। जिससे कई सवारियां बारिश में भीग जाती थी। कई गावों के लिए बसें ही एक मात्र एकमात्र आने जाने का साधन हैं। हद तो तब होती, जब बसों में सवारियों को भी अनियमित तरीके से ठूस कर भर लिया जाता है। जिन पर विभागीय अधिकारी अब तक अंकुश लगाने में नाकाम रहे हैं। जिससे उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लाजिमी हैं। कारण, खटारा बसें सड़कों पर बिना रोक टोक के चल रही हैं।
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वाहनों की जांच लगातार की जा रही है। ऐसी स्थिति मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सत्येंद्र कुमार
सहायक परिवहन अधिकारी ललितपुर
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औपचारिकता निभा रहा सचल दल
सड़कों पर खटारा वाहनों की भरमार है। न तो इनके खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जाता है और न ही ऐसे वाहनों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होती है। परिवहन नियमों का पालन कराने के लिए जगह-जगह चौराहों पर पुलिसकर्मी तैनात होते है। वहीं, एआरटीओ विभाग का सचल दस्ता सड़क पर दौड़ता रहता है। इसके बाद भी मौत के वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं।