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सूरतनगर मिटने की कगार पर
Lakhimpur
Published by:
Updated Tue, 09 Jul 2013 05:32 AM IST
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कहीं भी, कभी भी।
प्राथमिक और जूनियर स्कूल भी कटान की जद में
तिकुनियां। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत सूरतनगर में मोहाना नदी के भयंकर कटान के चलते पूरा गांव कटने के कगार पर है। करीब 350 घरों में मात्र 70 घर ही बचे हैं। नदी भयंकर कटान करती हुई गांव के घरों को लीलती जा रही है। नदी कटान से करीब सौ मीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक व जूनियर विद्यालय कटान की जद में आ चुके हैं।
कटान के चलते तमाम परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं। वहीं बाढ़ पीड़ित सरकार की व्यवस्था को कोस रहे हैं तो छात्र सुनील, रामप्रवेश, अनिल, राजेश आदि का कहना है कि कटान में घर गया, जमीन गई अब पढ़ाई छोड़कर खाने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। ग्राम निवासी परागी, मेलाराम, रामकिशुन, मनोहर ने कहा कि नदी कटान को लेकर कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्राम निवासी रामवृक्ष ने बताया कि बाढ़ विस्थापितों को तहसील प्रशासन ने मंडी समिति तिकुनियां में रहने को अस्थाई रूप से जगह दी है, लेकिन राहत सामग्री नहीं दी गई है। कटान में भंडारित रखा गया अनाज समेत तमाम घरेलू सामान गांव से पलायन करने में छूट गया। गांव निवासी सुशीला बताती हैं कि अब नेता आंसू पोंछने आ रहे हैं, जब हमारा सब कुछ उजड़ गया है।
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बाढ़ विस्थापितों को मंडी समिति में ठहराया गया है। कटान पीड़ितों की सूची बनाई जाएगी। सूची में शामिल पात्रों को रहने के लिए जगह की व्यवस्था कर इंदिरा आवास दिया जाएगा।
-शिवदयाल, एसडीएम, निघासन
प्राथमिक और जूनियर स्कूल भी कटान की जद में
तिकुनियां। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत सूरतनगर में मोहाना नदी के भयंकर कटान के चलते पूरा गांव कटने के कगार पर है। करीब 350 घरों में मात्र 70 घर ही बचे हैं। नदी भयंकर कटान करती हुई गांव के घरों को लीलती जा रही है। नदी कटान से करीब सौ मीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक व जूनियर विद्यालय कटान की जद में आ चुके हैं।
कटान के चलते तमाम परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं। वहीं बाढ़ पीड़ित सरकार की व्यवस्था को कोस रहे हैं तो छात्र सुनील, रामप्रवेश, अनिल, राजेश आदि का कहना है कि कटान में घर गया, जमीन गई अब पढ़ाई छोड़कर खाने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। ग्राम निवासी परागी, मेलाराम, रामकिशुन, मनोहर ने कहा कि नदी कटान को लेकर कई बार जिला प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्राम निवासी रामवृक्ष ने बताया कि बाढ़ विस्थापितों को तहसील प्रशासन ने मंडी समिति तिकुनियां में रहने को अस्थाई रूप से जगह दी है, लेकिन राहत सामग्री नहीं दी गई है। कटान में भंडारित रखा गया अनाज समेत तमाम घरेलू सामान गांव से पलायन करने में छूट गया। गांव निवासी सुशीला बताती हैं कि अब नेता आंसू पोंछने आ रहे हैं, जब हमारा सब कुछ उजड़ गया है।
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बाढ़ विस्थापितों को मंडी समिति में ठहराया गया है। कटान पीड़ितों की सूची बनाई जाएगी। सूची में शामिल पात्रों को रहने के लिए जगह की व्यवस्था कर इंदिरा आवास दिया जाएगा।
-शिवदयाल, एसडीएम, निघासन