लखीमपुर खीरी। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद मुस्तफा सन्लल्लाहो वलैह वसल्लम की यौमे पैदाइश का पर्व ईद-मिलादुन्नबी पूरे जिले में जोश, उल्लास व अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर जगह-जगह ऊंट, घोड़े आदि की सवारी के साथ जुलूस निकाला गया तथा घरों में पूरे दिन मिलाद का सिलसिला चलता रहा। तरह-तरह के पकवान बना कर फातेहा ख्वानी हुई। जुलूस में शामिल उलेमा ने मोहम्मद साहिब के किरदार पर रोशनी डाली तथा उनके बताए रास्ते पर चलने की तौफीक अदा करने के लिए खुदा से दुआ की। यौमे पैदाइश के मौके पर पूरे शहर में भव्य सजावट की गई। रेड क्रेसेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया, अंजुमन इस्लामिया कमेटी वक्फ सहित विभिन्न अंजुमनों ने जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए। दुपहर बाद मुहल्ला गुटैय्याबाग से जुलूसे मोहम्मदी का जुलूस रवाना हुआ। विभिन्न इस्लामिक वेश भूषा धारण किए ऊंट, घोड़ों व बुग्गियों आदि पर निकाली गई सजीव झांकी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। जुलूस में सबसे आगे ऊंट व घोड़े पर सवार लोग अरबियन लिबास में चल रहे थे। जुलूस में शामिल हजारों अकीदतमंद के ‘नारे तकबीर व नारे रिसालत’ की सदाओं से वातावरण गूंज उठा। गुटैय्याबाग से शुरू हुआ यह जुलूस पूरे शहर में भ्रमण करने के बाद थरवरनगंज में समाप्त हुआ। जुलूस को जगह-जगह रोक अकीदतमंद ने मिलाद करवाई व लंगर बंटवाया। जुलूस में हाथीपुर मस्जिद के पेश इमाम मौलाना नईम, मीनारा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना हाफिज अशफाक, सुनहरी मस्जिद के पेश इमाम कारी सलीम, रिफाकती मस्जिद के पेश इमाम मौलाना अल्ताफ सहित कई मस्जिदों के पेश इमाम व उलेमा ने जगह-जगह जुलूस को खिताब किया। खीरी टाउन। अंजुमन रूहे कायनात के सदर अब्दुल सईद खां ने परचम कुशाई कर जुलूस को रवाना किया। सुबह 11 बजे मोहल्ला शेखसरांय सुन्नी इमामबाड़े से जुलूस-ए-मोहम्मदी का आगाज हुआ। जिसमें कस्बे की तमाम अंजुमनों ने हिस्सा लिया और यह जुलूस पट्टीराम दास, शेखसरांय, श्यामलाल पुरवा, तबेला, डिहपुर, कटरा, सैयदवाड़ा होता हुआ शाम को बाजार पहुंचा। बाजार में अंजुमन ताजदारे मदीना, गुलशने मदीना, अंजुमन सदके रसूल, रौशने कायनात, रहमते मुसतफा, बागे रिजा, नूरे मदीना, दीवाने मुस्तफा सहित तमाम अंजुमनों का बाजार में स्वागत किया गया। जुलूस में छोटे छोटे बच्चे, बड़े, बुजुर्ग लोग अपने हाथों में हरे रंग के झंडे लिए सरकार की आमद मरहबा के नारे लगा रहे थे। गाड़ियों पर थर्माकोल के बने इस्लामिक स्थलों के माडल लगे हुए थे। शेखसरांय में सैयद मखदूम साहब की मजार को फूलों से सजाया गया था, जो आकर्षण का केंद्र रहा। मस्जिदों और मोहल्लों को रंग बिरंगी झालरों से सजाया गया था। शाही किले पर सलातो सलाम के साथ जुलूस का समापन हुआ।
लखीमपुर खीरी। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद मुस्तफा सन्लल्लाहो वलैह वसल्लम की यौमे पैदाइश का पर्व ईद-मिलादुन्नबी पूरे जिले में जोश, उल्लास व अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर जगह-जगह ऊंट, घोड़े आदि की सवारी के साथ जुलूस निकाला गया तथा घरों में पूरे दिन मिलाद का सिलसिला चलता रहा। तरह-तरह के पकवान बना कर फातेहा ख्वानी हुई। जुलूस में शामिल उलेमा ने मोहम्मद साहिब के किरदार पर रोशनी डाली तथा उनके बताए रास्ते पर चलने की तौफीक अदा करने के लिए खुदा से दुआ की।
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यौमे पैदाइश के मौके पर पूरे शहर में भव्य सजावट की गई। रेड क्रेसेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया, अंजुमन इस्लामिया कमेटी वक्फ सहित विभिन्न अंजुमनों ने जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए। दुपहर बाद मुहल्ला गुटैय्याबाग से जुलूसे मोहम्मदी का जुलूस रवाना हुआ। विभिन्न इस्लामिक वेश भूषा धारण किए ऊंट, घोड़ों व बुग्गियों आदि पर निकाली गई सजीव झांकी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। जुलूस में सबसे आगे ऊंट व घोड़े पर सवार लोग अरबियन लिबास में चल रहे थे। जुलूस में शामिल हजारों अकीदतमंद के ‘नारे तकबीर व नारे रिसालत’ की सदाओं से वातावरण गूंज उठा। गुटैय्याबाग से शुरू हुआ यह जुलूस पूरे शहर में भ्रमण करने के बाद थरवरनगंज में समाप्त हुआ। जुलूस को जगह-जगह रोक अकीदतमंद ने मिलाद करवाई व लंगर बंटवाया। जुलूस में हाथीपुर मस्जिद के पेश इमाम मौलाना नईम, मीनारा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना हाफिज अशफाक, सुनहरी मस्जिद के पेश इमाम कारी सलीम, रिफाकती मस्जिद के पेश इमाम मौलाना अल्ताफ सहित कई मस्जिदों के पेश इमाम व उलेमा ने जगह-जगह जुलूस को खिताब किया।
खीरी टाउन। अंजुमन रूहे कायनात के सदर अब्दुल सईद खां ने परचम कुशाई कर जुलूस को रवाना किया। सुबह 11 बजे मोहल्ला शेखसरांय सुन्नी इमामबाड़े से जुलूस-ए-मोहम्मदी का आगाज हुआ। जिसमें कस्बे की तमाम अंजुमनों ने हिस्सा लिया और यह जुलूस पट्टीराम दास, शेखसरांय, श्यामलाल पुरवा, तबेला, डिहपुर, कटरा, सैयदवाड़ा होता हुआ शाम को बाजार पहुंचा। बाजार में अंजुमन ताजदारे मदीना, गुलशने मदीना, अंजुमन सदके रसूल, रौशने कायनात, रहमते मुसतफा, बागे रिजा, नूरे मदीना, दीवाने मुस्तफा सहित तमाम अंजुमनों का बाजार में स्वागत किया गया। जुलूस में छोटे छोटे बच्चे, बड़े, बुजुर्ग लोग अपने हाथों में हरे रंग के झंडे लिए सरकार की आमद मरहबा के नारे लगा रहे थे। गाड़ियों पर थर्माकोल के बने इस्लामिक स्थलों के माडल लगे हुए थे। शेखसरांय में सैयद मखदूम साहब की मजार को फूलों से सजाया गया था, जो आकर्षण का केंद्र रहा। मस्जिदों और मोहल्लों को रंग बिरंगी झालरों से सजाया गया था। शाही किले पर सलातो सलाम के साथ जुलूस का समापन हुआ।
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