लखीमपुर खीरी। आराध्य के प्रति समर्पण से ही उनकी भक्ति पाई जा सकती है। यह बात नगर के कृष्णा मैरिजहाल में आयोजित सत्यधारा सत्यनाम सत्संग में नैमिषारण्य से आए स्वामी दयालदास महाराज ने कही।
प्रेम और भक्ति की व्याख्या करते हुए संत दयाल दास ने कहा निर्मल हृदय में प्राणीमात्र के लिए प्रेम होता है। जब यह प्रेम ईश्वर के प्रति हो जाए तो प्रभु की कृपा प्राप्त हो जाती है। ईश्वर से प्रेम होने पर मन के विकार नष्ट हो जाते हैं और भक्त को परम सुख मिलता है। स्वामी दयाल दास ने कहा प्रभु के प्रति जिसके मन में प्रेम उत्पन्न हो जाए, उसे दीन दुनिया की छोटी-छोटी बातों से फर्क नहीं पड़ता। सत्संग में मनमोहन, सुरेंद्र प्रकाश, संजय मौर्य, अमित सिंह भदौरिया, सूरज मिश्रा आदि मौजूद रहे।
लखीमपुर खीरी। आराध्य के प्रति समर्पण से ही उनकी भक्ति पाई जा सकती है। यह बात नगर के कृष्णा मैरिजहाल में आयोजित सत्यधारा सत्यनाम सत्संग में नैमिषारण्य से आए स्वामी दयालदास महाराज ने कही।
प्रेम और भक्ति की व्याख्या करते हुए संत दयाल दास ने कहा निर्मल हृदय में प्राणीमात्र के लिए प्रेम होता है। जब यह प्रेम ईश्वर के प्रति हो जाए तो प्रभु की कृपा प्राप्त हो जाती है। ईश्वर से प्रेम होने पर मन के विकार नष्ट हो जाते हैं और भक्त को परम सुख मिलता है। स्वामी दयाल दास ने कहा प्रभु के प्रति जिसके मन में प्रेम उत्पन्न हो जाए, उसे दीन दुनिया की छोटी-छोटी बातों से फर्क नहीं पड़ता। सत्संग में मनमोहन, सुरेंद्र प्रकाश, संजय मौर्य, अमित सिंह भदौरिया, सूरज मिश्रा आदि मौजूद रहे।