छर्रे लगने से चचेरा भाई गंभीर रूप से घायल
सिंगाही थाना क्षेत्र में रविवार रात हुई वारदात
खेत की रखवाली कर देर शाम लौट रहे थे घर
शिकारी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट
निघासन (खीरी)। सिंगाही थाना क्षेत्र के गांव रहीमपुरवा में रविवार की रात खेत से वापस घर लौट रहे दो किशोर वय भाइयों को गंाव के एक शिकारी ने जंगली जानवर के धोखे में गोली मार दी। एक किशोर की तो मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसका चचेरा भाई गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने शिकारी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
रहीमपुरवा निवासी तारा प्रसाद लोध का 14 साल का बड़ा बेटा जितेंद्र और चचेरा भाई नीरज पुत्र शिवदत्त अपने साथी उपेंद्र पुत्र माखन के साथ जंगल के किनारे खेत की रखवाली करने गए थे। इन्हें घर लौटने में देर हो गई। अंधेरा घिरने पर तीनों जब घर की ओर जा रहे थे तो रास्ते में किसी ने इन पर टार्च की रोशनी डाली। यह सोचकर कि परिवार वाले ढूंढ़ने आ रहे हैं, तीनों किशोर पास ही गन्ने के खेत में छिप गए। उधर घात लगाए बैठे एक शिकारी ने गन्ने के खेत में सरसराहट की आवाज सुनी तो तमंचे से फायर झोंक दिया। गोली जितेंद्र को लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। छर्रे लगने से उसका चचेरा भाई नीरज भी घायल हो गया। चीख सुनकर माजरा समझ में आया तो शिकारी भाग निकला। जितेंद्र को वहीं छोड़कर उपेंद्र नीरज को कंधे पर लादकर घर लाया। जानकारी मिलने पर परिजन घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस को भी सूचना दी गई।
नीरज को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से डाक्टरों ने उसे लखनऊ रेफर कर दिया है। मृतक के पिता तारा प्रसाद ने बताया कि गांव का ही डिंगुर रोज जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए जाता है। उसी ने जितेंद्र की जान ली है। पुलिस ने डिंगुर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
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जंगल से सटे इलाके
में शिकारी बेखौफ
लखीमपुर-निघासन। जंगल से सटे इलाके में शिकारी बेखौफ हैं। सिंगाही के पास जंगल के किनारे शिकारियों की बेखौफ गतिविधियों के चलते एक मासूम को अपनी जान गंवानी पड़ी और उसका चचेरा भाई जिंदगी मौत से जूझ रहा है।
जंगल के किनारे बसे कुछ असामाजिक तत्व जंगल और जंगल से बाहर निकलने वाले जंगली जानवरों का शिकार कर उन्हें अपना निवाला बनाते हैं। शिकारियों के लिए जंगल की अपेक्षा जंगल से सटे बाहरी इलाके ज्यादा मुफीद हैं। जंगल से निकल कर खेतों में आने वाले जंगली जानवरों को यह आसानी से मार कर अपना भोजन जुटाते हैं।
इंडो नेपाल बार्डर स्थित यह तहसील जंगलों से घिरी हुई है। इन जंगलों में जंगली मुर्गा, चीतल, हिरन व जंगली सुअर आदि विचरण करते है। शिकारी इन जानवरों का जंगल के बाहर आसानी से शिकार कर लेते हैं। यह शिकारी जंगली जानवरों का शिकार कर उससे अपने मेहमानों की आवाभगत करते है। जंगल के अंदर और बाहर बेखौफ शिकार करना उनके लिए आम बात है।
इन जंगली जानवरों के लालच में चलाई गई गोली से जितेंद्र शिकारियों का निशाना बन गया। इस तहसील में दुधवा टाइगर रिजर्व का लुधौरी, बेलरायां आदि रेंज आती है। इन रेंजों में लुधौरी रेंज के गांव जीत पुरवा में पाढ़ा का शिकार करते एक साल पहले तीन लोगों को रेंजर एके सिंह ने जेल भेजा था। इसके बाद भी एक दो बार शिकारी पकड़े गए, इसके बावजूद यहां शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं।
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जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए वन विभाग पूरी तरह मुस्तैद है। शिकारियों पर अंकुश को विभाग लगातार गश्त करता है। एक महत्वपूर्ण बैठक के सिलसिले में सोमवार को लखनऊ आया था। इसलिए घटना की जानकारी नहीं है। इस प्रकरण को गंभीरता से लिया जाएगा।
-केके पाण्डेय, डीएफओ नार्थ लखीमपुर खीरी
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घटना वाकई गंभीर है। शिकारियों की पहचान कराई जा रही है। उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं शिकारियों पर नियंत्रण करना वन विभाग की जिम्मेदारी बनती है, क्योंकि वन से जुड़े मामलों में पुलिस का कोई इंटरफेयर नहीं है।
-दलवीर सिंह, पुलिस अधीक्षक
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पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। डीएफओ को भी निर्देशित किया गया है कि जंगल में शिकार के उद्देश्य कोई व्यक्ति घुसने न पाए। शस्त्रधारक अगर कोई शिकार करता पाया गया तो उसके शस्त्र लाइसेंस के निरस्तीकरण की कार्रवाई भी की जाएगी।
-मनीष चौहान, जिलाधिकारी खीरी