लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Lakhimpur Kheri News ›   बिजली किल्लत, मरीजों के लिए मुसीबत ही मुसीबत

बिजली किल्लत, मरीजों के लिए मुसीबत ही मुसीबत

Lakhimpur Updated Sat, 02 Jun 2012 12:00 PM IST
बिजली जाते ही वार्डों से बाहर भागते हैं मरीज

निर्धारित कटौती के समय ही चलते हैं जनरेटर
लखीमपुर खीरी। बिजली की भारी किल्लत यानी आम आदमी के लिए मुसीबत ही मुसीबत। कटौती ने सबसे ज्यादा आवश्यक सेवाओं को प्रभावित किया है। अस्पतालों में मरीजों का बुरा हाल है। वोल्टेज इतना कम कि वार्डों में लगे पंखे जैसे रेंग रहे हों। बिजली चली जाए तो रही सही कसर भी पूरी हो जाती है। तीमारदारों को तो पेड़ की छांव के अलावा दूसरा कोई सहारा ही नही। लेकिन मरीजों की देखभाल करने वालों का पूरा दिन पंखा झलते ही बीतता है।
जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में जनरेटर तो लगे हैं लेकिन उन्हें बिजली कटौती के निर्धारित समय पर ही चलाने के निर्देश हैं। लोकल फाल्ट के चलते अगर बिजली गायब हो जाए तो लोगों को गर्मी में सड़ने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं है।

जिला अस्पताल में कुल तीन जनरेटर हैं। एक 120 केवीए का दूसरा 50 केवीए का और तीसरा 10 केवीए का। 10 केवीए का जनरेटर केवल ब्लड बैंक के लिए है जो बिजली जाने पर तुरंत चला दिया जाता है। बाकी दो जनरेटर घोषित तौर पर बिजली कटौती के समय ही चलते हैं। किसी गंभीर मरीज के आपरेशन या एक्सरे करने के लिए आपात कटौती के दौरान जनरेटर चलाया जाता है। महिला अस्पताल का हाल भी इससे कुछ जुदा नहीं है।

इंसेट.....
बिजली जाते ही मरीज वार्ड से बाहर
01एलकेएचपीएच 4
बिजली जाने पर चलने फिरने लायक मरीज वार्ड छोड़कर पेड़ों की छांव तलाश करने लगते हैं। बिजली न रहने पर जब संवाददाता छायाकार के साथ अस्पतालों का हाल जानने पहुंचा तो महिला अस्पताल में कई प्रसूताएं वार्ड से बाहर पेड़ों की छांव में अपने नवजात बच्चों के साथ फर्श पर लेटी मिलीं। यही हाल जिला अस्पताल का भी था। कई मरीज वार्ड से बाहर दीवार या पेड़ की छांव में बैठे दिखे।
इंसेट.....
सरकारी व्यवस्था नहीं खुद पर भरोसा
01एलकेएचपीएच 5
जिला अस्पताल में मरीज लो वोल्टेज की समस्या तो है ही। बिजली जाने पर जनरेटर न चलने की परेशानियों से बचने के लिए कई मरीजों ने अपने बेड के पास बैटरी से चलने वाले टेबिल फैन लगा रखे हैं। बिजली न रहने पर या कम वोल्टेज आने पर मरीजों के तीमारदार अपने बैटरी से चलने वाले निजी पंखों को चालू कर काम चलाते है
इंसेट.....
सरकारी से निजी अस्पताल बेहतर पर महंगे
शहर में चल रहे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स ने अपने निजी जनरेटर लगा रखे हैं। जैसे ही बिजली जाती है वे जनरेटर शुरू कर देते हैं। जब ज्यादा कटौती होती है तब इन निजी अस्पताल के मालिकों को भी कंजूसी करनी पड़ती है। लेकिन आपरेशन, अल्ट्रासाउंड और एक्सरे आदि के लिए उन्हें जनरेटर चलाना ही पड़ता है। गर्मियों में बिजली न रहने पर नर्सिंग होम व निजी अस्पताल के मालिकों का डीजल और जनरेटरों के रखरखाव पर 15 से 20 हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। एक निजी अस्पताल के मालिक ने बताया कि बिजली संकट के चलते उनका खर्चा जरूर बढ़ा है लेकिन यह भार मरीजों पर नहीं डाल सकते।
विज्ञापन
इंसेट.....
बिजली कटौती का बाजार पर भी असर
शाम की बिजली कटौती का भी बाजार पर बुरा असर पड़ रहा है। गर्मियों मेें बाजार का सबसे अच्छा समय शाम का होता है। उस समय बिजली गायब रहने से ग्राहक बाजार आने से कतराते हैं। इसके चलते बाजार भी जल्दी बंद हो जाता है। बिजली न रहने पर दुकान बंद कर घर जाते समय रात के अंधेरे में लुटने का डर भी बना रहता है। इसलिए कारोबारी अपना कारोबार जल्दी बंद कर घर जाने की फिराक में रहते हैं।
इंसेट...
क्या कहते हैं व्यापारी
व्यापारी अशोक गुप्ता कहते हैं कि बिजली गायब रहने से उद्योग, व्यापार बुरी तरह चौपट हो रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। संजय अग्रवाल का कहना है कि बिजली का संकट सबसे ज्यादा व्यापारियों के लिए संकट पैदा कर रहा है। व्यापार मंडल अध्यक्ष राकेश मिश्रा कहते हैं कि यदि बिजली का यही हाल रहा तो उद्योग धंधे बिल्कुल बंद हो जाएंगे। दवा व्यवसायी अजय अग्रवाल कहते हैं कि कई दवाइयों को सुरक्षित रखने के लिए फ्रिज में रखना पड़ता है। बिजली न रहने पर फ्रिज नहीं चल पाते इससे दवाइयां खराब हो रही हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Election

फॉन्ट साइज चुनने की सुविधा केवल
एप पर उपलब्ध है

बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
एप में पढ़ें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

Followed