पलियाकलां। नार्थ खीरी वन प्रभाग की पलिया रेंज के अंतर्गत हरिनगर में एक बाघ का शव पड़ा होने की सूचना मिलने पर वन और पार्क अधिकारियों ने तकरीबन पूरी रात वन और पार्क क्षेत्र की खाक छानी, लेकिन सूचना झूठी निकली और परेशान होकर अधिकारी वापस आ गए।
गौरतलब है कि सोमवार की देरशाम नार्थ खीरी वन प्रभाग की पलिया रेंज के अंतर्गत हरिनगर में एक बाघ का शव पड़ा होने की सूचना रेंज कर्मियों को किसी ने फोन पर दी थी। इस सूचना से वन महकमे में तो हड़कंप मचा ही साथ ही पार्क प्रशासन में भी खलबली मच गई और आनन फानन में दोनो ही महकमों के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर रवाना हो गए। वन कर्मियों इस पूरे इलाके की रात भर खाक छानी, लेकिन किसी भी बाघ का शव नहीं दिखाई दिया। उधर पार्क उपनिदेशक गणेश भट्ट और वार्डेन ईश्वर दयाल भी इस इलाके से सटी पार्क की सीमाओं पर छानबीन करते रहे, लेकिन उन्हें भी किसी बाघ का शव नहीं दिखाई दिया। पूरी रात हलकान रहे वन और पार्क अधिकारियों ने सूचना झूठी निकलने पर राहत की सांस ली और वापस लौट आए। माना जा रहा है कि यह किसी शरारती तत्व की नाहक ही परेशान करने की हरकत थी। पार्क प्रशासन ने कुछ ज्यादा ही राहत महसूस की है, क्यों कि रविवार 27 मई को टाईगर रिजर्व में एक बाघ का शव पाया जा चुका था। अब बाघ दो हो जाते तो कहीं न कहीं उसकी भी जवाबदेही तय होती और कई पचड़े भी बढ़ते। फिलहाल सभी राहत की सांस ले रहे हैं।
हादसा तो क्यूं हो रही पकड़-धकड़ ?
क्रासर
पार्क प्रशासन की कार्रवाई ने उलझाई गुत्थी
पलियाकलां। दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मृत पाए गए बाघ की मौत हादसा है तो पार्क प्रशासन लोगों की पकड़ धकड़ में क्यों जुटा हुआ है। पार्क प्रशासन की इस कार्रवाई ने पूरी गुत्थी को एक बार फिर उलझाते हुए कई सवाल पैदा कर दिए हैं। इन सवालों का जवाब भले ही पार्क अधिकारी न दे रहें हों, लेकिन एक बारगी फिर से लोगों की निगाह बाघ के शिकार की संभावनाओं की ओर दौड़ गई है।
गौरतलब है कि 27 मई रविवार के दिन दुधवा टाइगर रिजर्व के किशनपुर क्षेत्र में 23 नंबर रोड पर एक तीन वर्षीय नर बाघ का शव पड़ा पाया गया था। शव को पहली नजर में देखकर लोगों ने शिकार की आशंकाएं जताईं थीं, लेकिन अगले दिन इसके विरोधाभाषी खबरें आ गईं। शव को पोस्टमार्टम के लिए बरेली के आईवीआरआई भेजा गया था, वहां के डॉक्टरों के मुताबिक बाघ की हड्डियां टूटी हुईं थीं और उसके किसी हादसे में मरने की आशंकाएं जताई गईं हैं। मान लिया जाए कि बाघ हादसे में मरा है तो फिर कोई कार्रवाई क्यों? यह वह सवाल है जिसका जवाब पार्क अधिकारियों के पास नहीं है। पार्क प्रशासन द्वारा लगातार कहीं ट्रेन चेक की जा रही है तो आस पास के गांवों से कई लोगों को हिरासत में लिए जाने की बात भी सूत्र बता रहे हैं। हादसे में मरे बाघ के लिए यह कार्रवाई क्यों की जा रही है, अभी तक हादसे में मरे किसी जानवर के मामले में ऐसी कार्रवाई कभी नहीं की गई है। दस अप्रैल को सुहेली नदी में मरे मिले एक हाथी की मौत का कारण आपसी संघर्ष आया था, लेकिन उसमें तो किसी की पकड़ धकड़ नहीं की गई? फिर इसमें क्यों? फिलहाल पार्क प्रशासन की इस कार्रवाई ने एक बार फिर से मामले को शिकार की संभावनाओं की ओर मोड़ दिया है और लोगों में तेजी से चर्चाएं शुरू हो गईं हैं।
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इससे पहले भी हैं सवाल
बाघ मामले में इससे पहले भी कई सवाल हैं जो अभी अपने जवाब का इंतजार कर रहे हैं। मान लिया कि अब बाघ की मौत किसी हादसे का परिणाम है तो फिर उसे दूसरी जगह कौन लाया? कोई जानवर तो उसे लाकर नहीं डाल सकता यह तो तय है। यह सवाल भी बाघ की मौत पर शंकाएं बढ़ा रहा है।