सूचना पर तहसीलदार ने पहुंच अवैध कब्जा हटवाया, आरोपियों की तलाश
लखीमपुर खीरी। पुराना एसपी बंगले की कुछ जमीन पर रातों-रात कब्जे का प्रयास किया गया। सूचना पर तहसील प्रशासन ने मौके पर पहुंच रात में बनाई बाउंड्री व सड़क को जेसीवी से गिरवा दिया। एसडीएम सदर ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
एसडीएम राजेंद्र यादव ने बताया कि सोमवार रात कुछ लोगों ने बंगले की बाउंड्री के एंगिल व उसमें की गई तार फेंसिंग काटने के बाद कब्जे की नीयत से रातों-रात दीवार उठवा दी और खड़ंजा बिछवाना शुरू कर दिया। इसकी जानकारी जैसे ही लेखपाल अखिलेश व महेश को हुई उन्होंने तुरंत सूचना कोतवाली पुलिस तथा तहसीलदार को दी। पुलिस रात में मौके पर पहुंची तो वहां से सभी भाग चुके थे। आज सुबह तहसीलदार कोतवाली पुलिस लेकर मौके पर पहुंचे तो वहां कुछ मजदूर खड़ंजा बिछा रहे थे। जेल चौकी इंचार्ज ने जब उनसे कब्जा करने वालों का नाम पता जानना चाहे तो वह नहीं बता सके। बाद में तहसीलदार ने अपनी मौजूदगी में सभी अवैध कब्जा हटवा दिया। एसडीएम सदर ने बताया कि मामलेे की जांच की जा रही है। जल्द दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बताते चलें कि राजा महमूदाबाद के यहां स्थित बंगले के शत्रु संपत्ति घोषित हो जाने के बाद से ही यह बंगला काफी समय तक पुलिस अधीक्षक आवास के रूप में रहा। राजा महमूदाबाद खान बहादुर खान के परिवार के राजा अमीर खान, मोहम्मदी खान ने कई साल पहले इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किए जाने पर ऐतराज जताया था। सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजा महमूदाबाद की देश भर में सभी संपत्ति को उन्हें सौंपने का आदेश दिया था। जिसके क्रम में यहां स्थित पुराना एसपी बंगला पुलिस अधीक्षक से खाली कराकर जिला प्रशासन ने छ: फरवरी 2008 को उन्हें सौंप दिया था, साथ ही राजस्व अभिलेखों में शत्रु संपत्ति घोषित इस बंगले के संपूर्ण रकबे का दाखिल खारिज भी कर दिया था। बाद में सरकार ने अपील दायर कर दी थी। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद दो अगस्त 2010 को राजा महमूदाबाद के परिजनों से यह बंगला व उसकी जमीन पुन: जिला प्रशासन ने वापस लेते हुए इसे अभिलेखों में भारत सरकार की शत्रु संपत्ति के रूप में घोषित करते हुए इस बंगले व उसकी जमीन की हिफाजत के लिए एक प्लाटून पीएसी को वहीं ठहरा दिया था। लेकिन पीएसी कैंप चंद दिन ही वहां रहा। बंगले की भूमि को खाली पड़ा देख शहर के कुछ प्रापर्टी डीलरों ने कुछ असरदार लोगों के सहयोग से उस पर कब्जे की कोशिश शुरू कर दी थी।