एससी व एसटी वर्ग के पीड़ितों को मिलेगा लाभ
बंधुआ मजदूरी से पीड़ित को अब 25 नहीं मिलेंगे 60 हजार
हत्या के मामले में एक से बढ़कर ढ़ई लाख हुई राहत राशि
लखीमपुर खीरी। अत्याचारों से उत्पीड़ित अनुसूचित जाति व जनजाति के व्यक्तियों को दी जाने वाली राहत राशि में संसोधन कर दिया गया है। आर्थिक सहायता एवं पुनर्वासन के लिए दी जाने वाली राशि में दोगुने से अधिक वृद्घि हुई है। इस संबंध में प्रमुख सचिव (शासन) ने राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद 22 बिंदुओं का शासनादेश जारी किया है, जिसमें अपराधों की प्रकृति के अनुसार पीड़ित को मिलने वाली न्यूनतम राहत राशि का निर्धारण किया गया है।
बता दें कि अनुसचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) 1989 की धारा 23 की उपधारा 1 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत पीड़ित व्यक्तियों को राहत राशि दिए जाने का प्राविधान है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम 1995 में संसोधन करते हुए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम 2011 बनाया है। भारत सरकार द्वारा जारी शासनादेश के क्रम में प्रदेश सरकार ने भी राज्यपाल की स्वीकृति के बाद संसोधित शासनादेश जारी कर दिया है। अब राहत राशि मद में दोगुने से अधिक की आर्थिक सहायता पीड़ितों को दी जाएगी। मसलन अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति की हत्या के मामले में अभी तक एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता सरकार देती थी, जो अब बढ़कर ढाई लाख रुपये हो गई है। इसी तरह अन्य अपराध के तहत पीड़त को मिलने वाली धनराशि में वृद्घि की गई है।
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अपराधवार मिलने वाली राहत राशि
1.अखाद्य या घृणाजनक पदार्थ खिलाने/पिलाने पर अभी तक 25 हजार रुपये राहत राशि दिए जाने का प्राविधान था, जो बढ़कर 60 हजार रुपये हो गया है। इसी तरह क्षति पहुंचाने या अपमानित करना तथा अनादरसूचक कार्य करने पर 25 हजार से बढ़कर राहत 60 हजार रुपये कर दी गई है।
2.भूमि, परिसर या जल से संबंधित अतिक्रमण के मामलों में पीड़ित को 25 हजार रुपये राहत के स्थान पर अब 60 हजार रुपये देने या फिर उससे अधिक भूमि/परिसर/जल की आपूर्ति सरकारी खर्च पर पुन: वापसी का प्राविधान किया गया है।
3.बेगार या बंधुआ मजदूरी कराने पर पीड़ित व्यक्ति को मिलने वाले 25 हजार रुपये से बढ़कर 60 हजार रुपये राहत राशि की गई है। इसमें प्रथम सूचना रिपोर्ट की स्टेज पर 25 फीसदी भुगतान और 75 फीसदी राशि का भुगतान निचले न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने पर किया जाएगा।
4.मतदान के अधिकार से वंचित करने पर प्रत्येक पीड़ित को 20 हजार रुपये राहत राशि देने का प्राविधान था, जो बढ़कर 50 हजार रुपये हो गया है।
5.किसी महिला की लज्जा भंग करने के मामले में पीड़ित को मिलने वाली 50 हजार रुपये की राहत से बढ़कर 1.20 लाख रुपये राहत राशि कर दी गई है। इसमें चिकित्सा जांच के बाद 50 फीसदी और शेष राशि का भुगतान विचारण की समाप्ति पर करने का प्राविधान है।
6.हत्या के मामले में दो तरह के विकल्प रखे गए हैं, जिसमें परिवार के न कमाने वाले सदस्य की हत्या के मामले में एक लाख रुपये से बढ़कर 2.50 लाख रुपये राहत राशि की गई है। इसी तरह परिवार के कमाने वाले सदस्य की हत्या के मामले में दो लाख रुपये से बढ़कर पांच लाख रुपये राहत राशि की गई है।
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संसोधन संबंधी शासनादेश की बावत पुलिस विभाग को अवगत करा दिया गया है। अधिकांश मामले पुलिस से संबंधित होते हैं, जिसमें उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही सहायता राशि दी जाती है।
राजेश कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी