बोतल और पाउच में भरकर बेचा जा रहा है अशुद्ध पानी
तराई के कुछ ब्लाकों में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा
कुछ प्लांट ही मानक के अनुरूप तैयार कर रहे पानी
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हाईलाइटर
शुद्ध पानी के नाम पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। मिनरल वाटर के नाम से बोतलों और पाउच में सादा पानी भरकर बर्फ से ठंडा करने के बाद आपूर्ति की जा रही है। शादी-ब्याह, नामकरण या अन्य समारोहों में शुद्ध पानी पिलाने के नाम पर कई जगह सामान्य पानी केन में भरकर पिलाया जा रहा है। इससे सेहत पर खराब असर पड़ रहा है।
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सिटी रिपोर्टर
लखीमपुर खीरी। मिनरल वाटर के नाम पर बोतल और पाउच में बेचा जा रहा पानी सेहत के साथ धोखा है। यह धोखा खुल्लम-खुल्ला हो रहा है। सादे पानी को ठंडा करने के बाद इसे न सिर्फ दुकानों, रोडवेज और रेलवे स्टेशन के साथ ही पार्टियों में भी पिलाया जा रहा है।
तराई के इस जिले में पानी में कई ऐसे तत्व हैं जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं। कुछ ब्लाकों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है तो कुछ में दूसरे हानिकारक तत्व जैसे फ्लोराइड पाया जाता है। पानी किसी बर्तन में भर कर रखने पर उस पर तेल की पर्त आ जाती है तो कहीं बर्तन में सफेद पर्त जम जाती है।
डाक्टरों का कहना है कि तराई क्षेत्र में पानी इतना खराब है कि बिना शुद्धीकरण के पीने लायक नहीं है। हानिकारक तत्वों से युक्त दूषित पानी पीने से अनेक रोग हो रहे हैं। खीरी जिले में 80 फीसदी लोग पेट और लीवर की बीमारियों से पीड़ित हैं। यह बीमारियां यहां के पानी के कारण हैं। इसी लिए डाक्टर यहां के लोगों को घर में आरओ लगाने की सलाह देते हैं।
शहर में पानी को शुद्ध कर शहर में सप्लाई के लिए आठ प्लांट लगे हैं पानी को शुद्ध करने के लिए इन प्लांटों में वाटर प्यूरीफाई के लिए आरओ सिस्टम लगे हुए हैं। इन्हीं प्लांटों के जरिए पूरे शहर में कथित रूप से शुद्ध पानी की सप्लाई की जाती है। यही पानी शादी विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों में दावतों के दौरान इस्तेमाल होता है। लेकिन अक्सर देखा गया है कि सीमित मात्रा में मंगाया गया पानी जब खत्म हो जाता है तब मेजवान केन में सादा पानी भराकर रख दिया जाता है।
रायल वाटर प्लांट के मालिक विमल अग्रवाल बताते हैं कि वह गर्मियों और शादी विवाह के मौसम में करीब तीन से चार हजार लीटर प्रतिदिन पानी की आपूर्ति करते हैं। जबकि सर्दियों और सामान्य दिनों में पानी की आपूर्ति करीब डेढ़ हजार लीटर रह जाती है। कुछ इतना ही उत्पादन और आपूर्ति दूसरे अन्य प्लांटों में भी होती है। पानी की खपत के हिसाब से प्लांटों में पानी का उत्पादन किया जाता है। शहर के कुछ प्लांटों में ही शुद्ध पानी मिलता है जब कि कई प्लांटों से सामान्य पानी को ही ठंडा करके सप्लाई किया जा रहा है।
आरओ सिस्टम से पानी में मिलने वाले हानिकारक तत्व आयरन और फलोराइड की मात्रा को कम कर पानी को शुद्ध और हल्का बना देता है। पानी शुद्ध होने के बाद सेहत के लिए हानिकारक नहीं रहता। बशर्ते उसको सही ढंग से शुद्ध किया गया हो और शुद्ध करने के बाद उसमें मिलावट न की गई हो।
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मौसम के अनुसार रहती है डिमांड
शहर में औसतन प्रतिदिन 16000 लीटर शुद्ध किए हुए पानी की खपत होती है। यह खपत मौसम और मांग के अनुसार बढ़ती घटती रहती हैं। गर्मियों और शादी विवाह के मौसम में पानी की मांग डेढ़ से दो गुनी तक बढ़ जाती है। उधर सर्दियों के मौसम में पानी की मांग काफी कम रह जाती है।
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यह है पानी की शुद्धता का मानक
पानी में फलोराइड की मात्रा एक मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए। जबकि खीरी जिले में इसकी मात्रा चार से पांच मिलीग्राम प्रति लीटर है। इसी तरह आर्सेनिक की मात्रा .05 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यहां इसकी मात्रा एक से दो मिलीग्राम प्रति लीटर है। लखीमपुर में पानी का टीडीएस भी ज्यादा है। टीडीएस 200 के बजाय यहां 600 से आठ सौ तक है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
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जांच भी होती है, नमूने भी भेजते हैं
पानी को शुद्ध करने के लिए जो प्लांट लगे है उनकी नियमित जांच की जाती है और पानी के नमूने जांच के लिए भेजे जाते हैं। जांच में यह देखा जाता है कि पानी में फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा तो नहीं है। टीडीएस मानक से अधिक तो नहीं है, पानी मानक के अनुरूप तैयार किया जा रहा है या नहीं। जांच के दौरान कमी पाए जाने पर कार्रवाई भी होती है।
एसके सिंह, खाद्य सुरक्षा अधिकारी