राजकीय बालिका छात्रावास में केंद्रीय विद्यालय के संचालन का मामला गरमाया
डीएम ने छात्रावास को खाली कर किराए के भवन में जाने का सुनाया फरमान
छात्रावास खाली न होने पर समाज कल्याण अधिकारी लखनऊ तलब
लखीमपुर खीरी। राजकीय अनुसूचित जाति बालिका छात्रावास को खाली कराने के लिए दांव-पेंच शुरू हो गए हैं। वहीं इस भवन में संचालित केंद्रीय विद्यालय के सामने एक बार फिर संकट की घड़ी आ गई है। करीब चार साल बीतने को हैं, लेकिन विद्यालय भवन के निर्माण के लिए आवश्यक जमीन जिला प्रशासन मुहैया नहीं करा पाया है। छात्रावास को खाली कराने के लिए छात्राओं ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। विधान परिषद सदस्य डा. यज्ञदत्त शर्मा ने भी छात्रावास को खाली कराने के संबंध में प्रश्न किया है, जो शासन स्तर पर विचाराधीन है। जबकि छात्रावास को खाली कराने के संबंध में शासन एवं निदेशालय समाज कल्याण द्वारा भी निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
वर्ष 2008 में केंद्रीय विद्यालय की शुरुआत जिले में हुई थी। तब अस्थाई तौर पर विद्यालय संचालित करने के लिए तत्कालीन डीएम पिंकी जोवल ने छात्रावास मुहैया कराया था। विद्यालय के चेयरमैन यानी डीएम की जिम्मेदारी है कि विद्यालय के भवन निर्माण को जमीन उपलब्ध कराएं। अब छात्रावास को खाली कराने की उठापटक के बीच डीएम अभिषेक प्रकाश ने केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र भेजकर छात्रावास को खाली करने का फरमान सुनाया है। साथ ही विद्यालय को जमीन मुहैया न होने तक किराए के भवन में संचालित करने की सलाह भी दे डाली है। जबकि विद्यालय भवन के निर्माण के लिए आवश्यक जमीन मुहैया कराने के निर्देश जारी करते हुए डीएम ने एसडीएम सदर को एक सप्ताह का समय दिया था। दो सप्ताह बीत जाने के बावजूद विद्यालय को जमीन दिलाने के प्रयास कागजी साबित हुए हैं।
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सर्किल रेट पर मिल जाएगी जमीन!
कई सालों से विद्यालय को मुफ्त जमीन दिलाने की कवायद सफल नहीं हो सकी, तो सर्किल रेट पर जमीन दिलाने का मौखिक आफर विद्यालय को दिया गया था। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय विद्यालय संगठन ने जमीन खरीदने से इंकार कर दिया है, क्योंकि उनके बायलाज में इसका प्राविधान नहीं है। हद तो तब हो गई, जब जमीन मुहैया कराने के लिए अभिभावकों की राय मांगी गई।
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बच्चों के भविष्य पर संकट के बादल!
विद्यालय में अध्ययनरत करीब 373 बच्चों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। छात्रावास को खाली कराने के तेज होते प्रयासों ने केंद्रीय विद्यालय को मुश्किल में डाल दिया है।
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किराए के भवन में नहीं जाएगा विद्यालय: प्रधानाचार्य
प्रधानाचार्य अमिता सिंह ने बताया कि किराए के भवन में विद्यालय संचालन करने के लिए विभाग से अनुमति नहीं है। सारी परिस्थितियों से डीएम को अवगत कराया गया है। स्थाई भवन निर्माण होने पर ही विद्यालय उसमें शिफ्ट किया जाएगा।
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ग्राम समाज की जमीन नहीं: एसडीएम
एसडीएम सदर राजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि विद्यालय को करीब पांच एकड़ जमीन मुफ्त चाहिए, जो मिल नहीं रही। इससे पूर्व के अधिकारी भी जमीन नहीं दिला सके थे। हम प्रयास ही कर सकते हैं।
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तो कैसे मिलेगी जमीन?
जिला प्रशासन के पास जमीन नहीं तो विद्यालय जमीन खरीदने को तैयार नहीं। ऐसे में सवाल लाजिमी है कि आखिर चार साल में जमीन की तलाश पूरी क्यों नहीं हो सकी? छात्रावास को खाली कराने की कोशिशें परवान चढ़ रही है। आने वाले समय में विद्यालय के सामने दुश्वारियां बढ़नी तय है।