पहले भी तमाम उतार चढाव से टूट चुका था विनोद
फरधान (लखीमपुर खीरी)। जगन्नाथपुर गांव के विनोद की माली हालत ठीक नहीं थी। अभावों में जीना उसकी नियति बन गई थी। ख्वाहिशें तो उसकी परिवार की अच्छी परवरिश की थी, लेकिन आर्थिक तंगी उसके सपनों में रोड़ा बन गई। हालांकि वह अपनी थोड़ी सी पुश्तैनी जमीन में जी तोड़ मेहनत करता था, मजदूरी भी कर लेता था, बावजूद इससे प्राप्त आय परिवार का खर्चा उठाने के लिए नाकाफी थी। उधर मां और भाई का इलाज कराने में लाखों रुपयों का वह कर्जदार हो गया। बड़ी पुत्री बबिता (16) के ब्याह की चिंता तथा बैंक से लिए गए कर्ज को समय से अदा न कर पाने के कारण भूमि के नीलाम हो जाने का डर उसे सता रहा था। ऐसे हालातों से संघर्ष करते हुए मंगलवार को उसका धैर्य टूट गया और किसी को बिना कुछ बताए खेत में शीशम के पेड़ से लटक कर मौत को गले लगा लिया।
विनोद ने 35 बसंत पार कर लिए थे। पत्नी नीतू से शादी के बाद वह काफी खुश था। इसके बाद दुखों का ऐसा सिलसिला शुरु हुआ जो उसकी मौत के साथ खत्म हुआ। दस बरस पहले विनोद के पिता शुभकरन सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इस सदमें से वह उबर भी न पाया था की मां बीमार रहने लगी, डाक्टरों को दिखाया तो पता चला उसे ब्लड कैंसर है। इलाज में काफी पैसा खर्च कर भी वह अपनी मां को बचा नहीं सका। कुछ वर्षों बाद भाई राजेंद्र सिंह की सड़क दुर्घटना में एक पैर व आंख चली गई, उसके इलाज में काफी पैसा खर्च हुआ जिससे वह लाखों कर्जदार होता चला गया। इस बीच वह चार बच्चों का बाप भी बना। परिवार बढ़ने के साथ उस पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता चला गया। पांच बीघे जमीन में मेहनत करने के बावजूद घर माली हालत लगातार बिगड़ती रही। ऐसे हालातों के बीच कर्ज अदायगी की नोटिसों ने उसे मानसिक रुप से तोड़ दिया। कर्जा अदा न कर पाने के कारण वह डिप्रेशन में था। पत्नी नीतू द्वारा उसके कर्जे के कारण अक्सर आत्महत्या कर लेने की बात कहने से भी इस बात को बल मिलता है।
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बच्चों का रो रो कर बुरा हाल
मृतक अपने पीछे बीबी नीतू सहित बेटी बबिता (16), गोल्डी (12) व पुत्र रानू(9) तथा निगम(7) को छोड़ गया। इनकी परवरिश अब कौन करेगा यह चिंता इस परिवार पर बनी हुई है।