निघासन। कस्बे के हनुमान गढ़ी मंदिर में चल रहे चौबीस कुंडीय गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन सैकड़ों लोगोें ने यज्ञ में आहुतियां दी। इस दौरान शांतिकुज हरिद्वार के परिव्राजकों ने यज्ञ के महत्व और संस्कारों के विषय में बताया।
शांतिकुंज से आए प्रतिनिधि दधिबल ने लोगों को बताया कि यज्ञ करने से वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा मन को शांति मिलती है। सूर्य के बारह योग होते हैं और बारह राशियां होती हैं। गायत्री मंत्र का निर्माण बारह योग से मिलकर हुआ है। गायत्री मंत्र सभी मंत्रों से अधिक प्रभावशाली है। यहां यज्ञाचार्य पंडित ब्रजेंद्र त्रिपाठी ने संस्कारों की विधिवत जानकारी देते हुए बताया कि नामकरण, मुुंडन, अनप्राशन, विद्याआरंभ, दीक्षा आदि संस्कार प्रमुख हैं। यज्ञ के बाद महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें राजेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि महिला सर्वशक्तिमान होती है। महिलाओं से ही वंश चलता है। बच्चाें के भविष्य संवारने का काम भी महिलाएं ही करती हैं। उन्होंने कहा जिस घर में महिलाओं का सम्मान होता है वहां लक्ष्मी का निवास रहता है। कार्यक्रम में दामोदर प्रसाद वर्मा, कनक पाल, रवींद्र यादव, मनोज वर्मा, सीतराम अग्रवाल, जेपी वर्मा सहित तमाम लोग शामिल थे।