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बाढ़ पीड़ितों की मदद में पेश की मिसाल

Lakhimpur Updated Wed, 16 May 2012 12:00 PM IST
अब बाढ़ के पानी में नहीं डूबेंगे घर व हैंडपंप

स्वयं सेवी संगठन ने बाढ़ से बचाव को तैयार किया माडल
सरकारी मशीनरी को नसीहत, अरबों खर्च के बाद भी फजीहत
सरकार चेती तो विस्थापित होने का डर होगा दूर
लखीमपुर खीरी। बाढ़ से बचाव व राहत के नाम पर सरकारी मशीनरी हर साल करोड़ों खर्च रुपये खर्च करती है, लेकिन पीड़ितों को इस आपदा से निजात दिलाने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर पाई है। ऐसे में तीन स्वयं सेवी संगठनों के सामूहिक प्रयासों ने उम्मीद की लौ जलाई है, जिससे दर्जनों परिवारों को निश्चित ही बाढ़ के समय राहत मिलेगी। अब बाढ़ के पानी से उनके घर नहीं डूबेंगे और पेयजल के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि बाढ़ के समय लोगों के सामने बेघर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। वहीं इस माडल के प्रयोग से खीरी समेत अन्य बाढ़ प्रभावित जिले के लोगों को मदद मिलने के अच्छे आसार हैं।
बता दें कि खीरी जिले के लोग हर साल बारिश के सीजन में बाढ़ की विभीषिका से जूझते आए हैं। खासकर तीन तहसील धौरहरा, निघासन तथा पलिया क्षेत्र के अधिकांश गांव बाढ़ के पानी में डूब जाते हैं, जिसमें लोगों के घर व हैंडपंप भी नहीं बचते। ऐसे हालातों में लोगाें को बेघर होने के साथ ही पेड़ों तक पर आश्रय लेना पड़ता है। जबकि हर साल भारी मात्रा में करोड़ों की धनराशि खर्च की जाती है। इन हालतों से निपटने के लिए स्वयं सेवी संगठन एम, इको व एक्शन एड ने तराई के इलाकों में नजीर पेश की है। बाढ़ के समय लोगों के सामने बेघर होने का संकट उत्पन्न होता है और पेयजल के लिए मुसीबत का सामना करना पड़ता है। इन दोनों प्रमुख समस्याओं का बखूबी हल निकालते हुए स्वयं सेवी संगठनों ने आश्रय (शेल्टर) बनवाने के साथ ही हैंडपंप लगवाए हैं, जिनकी खासियत यह है कि बाढ़ में डूबेंगे नहीं। इनको बाढ़ के पानी से डूबने से बचाने के लिए चार से पांच फिट की ऊंचाई देकर बनाया गया है।

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नकहा व फूलबेहड़ ब्लाक से शुरुआत
लोगों को बाढ़ से बचाने की दिशा में आश्रय व हैंडपंप बनाने का काम नकहा व फूलबेहड़ ब्लाक के बाढ़ प्रभावित गांवों में शुरू हुआ है। नकहा के गांव पकरिया, बंजरिया, सकेथू, बेल्हौरा में आश्रय बनवाए गए हैं। तो फूलबेहड़ के गांव मानपुर करदहिया, गूम, पिपरा, मैनहन व गौरा में बाढ़ से बचाव को आश्रय बनवाए गए हैं। कम लागत में बने इन आश्रयों की खासियत यह भी है कि इनके साथ शौचालय भी अटैच किया गया है।
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कम लागत में बदली लोगों की बदली तस्वीर
एम के निदेशक विनोद सिंह बताते हैं कि बाढ़ पीड़ितों के लिए 40 परंपरागत उन्नत आश्रय बनवाए गए हैं। बाढ़ के पानी से बचाव को ध्यान में रखते हुए साढ़े चार फिट की ऊंचाई दी गई है। 15 बाई 11 के आश्रय में टायलेट भी दिया गया है। हैंडपंप को हाइरेज किया गया हैं, ताकि बाढ़ में डूबे नहीं। 10 नए हैंडपंप लगवाने के साथ ही 10 पुराने हैंडपंप की मरम्मत कर हाईरेज किया गया है। भवन स्वामी के श्रमदान के साथ ही करीब 55 हजार रुपये की लागत एक आश्रय पर आई है। नए हैंडपंप 1.25 लाख रुपये में तैयार हुआ है।
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बाढ़ प्रभावित इलाकों में लगी टीम
एम ने जिले में रोजी-रोटी संगठन एवं शारदा विस्थापित मंच स्थापित किया है, जो एक्शन एड व अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी संगठन ईको के सहयोग से बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी को संवारने में जुटी है। निदेशक विनोद सिंह ने बताया कि 26 ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता, छह सेक्टर सुपरवाइजर व छह मैनेजमेंट सुपरवाइजर इन स्थानों पर कार्य कर रहे हैं। कई अन्य प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है।
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