बांकेगंज (लखीमपुर खीरी)। खीरी जिले के लगभग आधे क्षेत्र में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ जाने से पानी प्रदूषित हो चुका है। लोग कई प्रकार की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। तकरीबन छह साल पहले हुए सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ। इसके बावजूद अब तक क्षेत्र को इस प्रदूषित पानी से निजात नहीं दिलाई जा सकी है। हालांकि, इससे निजात दिलाने की कवायद चल रही है, लेकिन जो कवायद हुई वह इतनी कारगर साबित नहीं हो सकी जिससे लोगों को पीने का साफ पानी मिल सके ?
तराई क्षेत्र में धीरे-धीरे आर्सेनिक की मात्रा बढ़ती जा रही है। जिले के ब्लाक पलिया, निघासन, धौरहरा, रमियाबेहड़ और ईसानगर के 165 मजरों की आबादी प्रदूषित पानी से प्रभावित हैं। यहां के लोग सालों से आर्सेनिक युक्त प्रदूषित पानी पी रहे हैं। उपरोक्त ब्लाकों में अक्तूबर 2006 में भूगर्भीय जल का सर्वेक्षण हुआ। इसमें वहां के पानी में आर्सेनिक का स्तर 0.05-0.11 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया था। जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। लंबे समय तक प्रदूषित पानी के इस्तेमाल से आर्सेनिकोसिस नामक बीमारी होने का खतरा रहता है।
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क्या हैं मानक?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। आर्सेनिक युक्त पानी की अधिकतम मात्रा मूत्र के जरिए शरीर से बाहर निकल जाती है। जबकि अवशेष नाखूनों और बालों में एकत्र हो जाता है और बीमारियों के रूप में नुकसान पहुंचता है।
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क्या हैं लक्षण
सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एमए खान ने बताया कि इससे प्राय: सिरदर्द, पेटदर्द, दस्त, मांसपेशियों में खिंचाव के अलावा लंबे समय तक पानी का इस्तेमाल करने से प्रभावित व्यक्ति के नाखूनों का रंग बदलने के साथ ही सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं।
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बचाव के उपाय
डॉक्टरों का कहना है, कम गहराई वाले हैंडपंप के पानी के प्रयोग से बचें। आयुर्वेदिक के चिकित्सक डॉ. सुनील वर्मा और डॉ. एससी गुप्त ने बताया कि प्रतिदिन एक से तीन लहसुन की कली का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। लहसुन में मौजूद गंधक शरीर में जमा अर्सेनिक की सफाई करने में सहायक होती है।
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जिले के पांच ब्लाकों की 165 बस्तियों के भूगर्भीय सर्वेक्षण में आर्सेनिक 50 से 110 पीबीपी तक पाया गया था। पाइप लाइन के जरिए अधिक गहराई का पानी लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। जहां पानी की लाइने नहीं बिछाई गई है, वहां इंडिया मार्का हैंडपंप लगवाए गए हैं। स्वच्छ पेयजल के लिए महकमा मुस्तैद है।
-एसबी आनंद, अधिशासी अभियंता, जल निगम, खीरी।
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पानी की जांच का कोई इंतजाम नहीं
मोहम्मदी। प्रदूषित पानी को चेक करने के लिए ब्लाक और सीएचसी पर कोई इंतजाम नहीं है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं। नगर के कई मोहल्लों में प्रदूषित पानी पहुंच रहा है। इसमें कीड़े भी निकलते हैं। यही हाल गांवों का है। घरों में लगे नलों का पानी काफी देर रखने से लबीला होकर बाल्टी में सफेद रंग की परत छोड़ जाता है।
यह पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इस पानी का परीक्षण करने के लिए सीएचसी पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
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हानि से बचना है तो पानी में क्लोरीन मिलाकर पियें
प्रदूषित पानी को शुद्ध करने के लिए सीएचसी प्रभारी डॉ. एयूपी सिन्हा ने बताया कि एक बाल्टी पानी में एक गोली क्लोरीन की डाले और अगले दिन सवेरे इसका इस्तेमाल करें। पानी को उबालकर उपयोग में लाएं। ब्लाक के कर्मचारियों ने बताया कि गत वर्ष जल परीक्षण करने के लिए कुछ किटें आई थीं, जिन्हें गांवों में वितरित कर दिया गया था। नगर पालिका परिषद के ईओ पीएन दीक्षित का कहना है कि पानी सप्लाई करने से पूर्व ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग किया जा रहा है।