लखीमपुर खीरी। वर्ष 2013 में जब जिला स्तरीय शूटिंग प्रतियोगिता होगी तब तक अपने जिले की शूटिंग रेंज भी देश के कुछ बड़े शहरों में स्थापित शूटिंग रेंज की तरह ही आधुनिक मशीनों से युक्त हो जाएगी। इसकी तैयारी जिला प्रशासन तथा जिले के नामचीन शूटरों ने संयुक्त रूप से शुरू कर दी है। जिले के ‘माननीय’ तो अपनी निधि से धन देंगे ही चीनी मिलों के प्रबंध तंत्र ने भी जिला प्रशासन को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।
जिले के ग्राम सलेमपुर कोन स्थित पुलिस विभाग की चांदमारी में ही 1965 में पहली जिला स्तरीय रायफल शूटिंग प्रतियोगिता हुई। तब राजा जियाउल्ला खां जिला चैंपियन बने। उस समय सिर्फ 22 बोर रायफल की ही एक मात्र प्रतियोगिता हुई थी। बताते हैं कि वर्ष 1968 के बाद से मैनुअल मशीनों द्वारा ट्रैप व स्कीट शूटिंग की प्रतियोगिताएं यहां शुरू हुई। आज भी इन्हीं मशीनों के द्वारा यह प्रतियोगिताएं हो रहीं है। देश को नौै राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज देने वाले इस जिले में शूटिंग रेंज पर मैनुअल मशीन होना काफी खल रही है। हर साल शूटिंग प्रतियोगिता के बाद इसके कंप्यूटराइज्ड रेंज किए जाने की मांग की जाती रही है, लेकिन हर बार प्रतियोगिता के बाद सभी इसे भूल जाते रहे हैं।
इस बार प्रतियोगिता से पूर्व कराई गई बैठक में भी यह मुद्दा उठा। जिसके बाद शूटिंग रेंज को आधुनिक बनाने पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में जिले के सभी आठ विधायकों से रेंज की दशा सुधारने के लिए पांच-पांच लाख रुपये उनकी निधि से प्राप्त कराने के लिए उनसे अनुरोध करने का निर्णय लिया गया। जिसके बाद जिला रायफल क्लब के अध्यक्ष/डीएम अभिषेक प्रकाश, संयुक्त सचिव जीएस सिंह तथा विशेष सचिव सैय्यद आसिफ अली के अनुरोध पर आठों विधायकों ने इसके लिए हामी भर ली है। इस प्रकार जल्द ही क्लब के पास विधायक निधि का 40 लाख रुपये पहुंच जाएगा। बताया जाता है कि इस धनराशि से कंप्यूटराइज्ड मशीनें लग जाएगी। इसके अलावा क्लब रेंज के पास पड़े किसानों की कुछ भूमि भी खरीद कर उसा विस्तार करने जा रहा है। उधर केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने भी जिले की शूटिंग रेंज को आधूनिक बनाने के लिए केंद्र से हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया है। कुल मिलाकर अगर इस योजना में किसी तरह की कोई अड़चन न आई तो अगले साल की शूटिंग प्रतियोगिता में आधुनिक मशीने प्रयोग होंगी।
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क्यों हुआ रायफल क्लब का गठन
वर्ष 1962 में हुए चाइनावार के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने थर्ड लाइन ऑफ डिफेंस के रूप में हर जिले में रायफल क्लब की व्यवस्था कराई थी, ताकि थर्ड लाइन ऑफ डिफेंस भी युद्ध के दौरान दुश्मनों से मोर्चा ले सके। उनका मानना था कि देश के हर नागरिक को शस्त्र चलाना आना चाहिए ताकि समय पर अथवा आपात स्थिति में वह अपने अनुभव का उपयोग देश हित में करने के साथ अपनी व अपने आसपास के लोगों की रक्षा कर सके।
लखीमपुर खीरी। वर्ष 2013 में जब जिला स्तरीय शूटिंग प्रतियोगिता होगी तब तक अपने जिले की शूटिंग रेंज भी देश के कुछ बड़े शहरों में स्थापित शूटिंग रेंज की तरह ही आधुनिक मशीनों से युक्त हो जाएगी। इसकी तैयारी जिला प्रशासन तथा जिले के नामचीन शूटरों ने संयुक्त रूप से शुरू कर दी है। जिले के ‘माननीय’ तो अपनी निधि से धन देंगे ही चीनी मिलों के प्रबंध तंत्र ने भी जिला प्रशासन को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।
जिले के ग्राम सलेमपुर कोन स्थित पुलिस विभाग की चांदमारी में ही 1965 में पहली जिला स्तरीय रायफल शूटिंग प्रतियोगिता हुई। तब राजा जियाउल्ला खां जिला चैंपियन बने। उस समय सिर्फ 22 बोर रायफल की ही एक मात्र प्रतियोगिता हुई थी। बताते हैं कि वर्ष 1968 के बाद से मैनुअल मशीनों द्वारा ट्रैप व स्कीट शूटिंग की प्रतियोगिताएं यहां शुरू हुई। आज भी इन्हीं मशीनों के द्वारा यह प्रतियोगिताएं हो रहीं है। देश को नौै राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज देने वाले इस जिले में शूटिंग रेंज पर मैनुअल मशीन होना काफी खल रही है। हर साल शूटिंग प्रतियोगिता के बाद इसके कंप्यूटराइज्ड रेंज किए जाने की मांग की जाती रही है, लेकिन हर बार प्रतियोगिता के बाद सभी इसे भूल जाते रहे हैं।
इस बार प्रतियोगिता से पूर्व कराई गई बैठक में भी यह मुद्दा उठा। जिसके बाद शूटिंग रेंज को आधुनिक बनाने पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में जिले के सभी आठ विधायकों से रेंज की दशा सुधारने के लिए पांच-पांच लाख रुपये उनकी निधि से प्राप्त कराने के लिए उनसे अनुरोध करने का निर्णय लिया गया। जिसके बाद जिला रायफल क्लब के अध्यक्ष/डीएम अभिषेक प्रकाश, संयुक्त सचिव जीएस सिंह तथा विशेष सचिव सैय्यद आसिफ अली के अनुरोध पर आठों विधायकों ने इसके लिए हामी भर ली है। इस प्रकार जल्द ही क्लब के पास विधायक निधि का 40 लाख रुपये पहुंच जाएगा। बताया जाता है कि इस धनराशि से कंप्यूटराइज्ड मशीनें लग जाएगी। इसके अलावा क्लब रेंज के पास पड़े किसानों की कुछ भूमि भी खरीद कर उसा विस्तार करने जा रहा है। उधर केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने भी जिले की शूटिंग रेंज को आधूनिक बनाने के लिए केंद्र से हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया है। कुल मिलाकर अगर इस योजना में किसी तरह की कोई अड़चन न आई तो अगले साल की शूटिंग प्रतियोगिता में आधुनिक मशीने प्रयोग होंगी।
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क्यों हुआ रायफल क्लब का गठन
वर्ष 1962 में हुए चाइनावार के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने थर्ड लाइन ऑफ डिफेंस के रूप में हर जिले में रायफल क्लब की व्यवस्था कराई थी, ताकि थर्ड लाइन ऑफ डिफेंस भी युद्ध के दौरान दुश्मनों से मोर्चा ले सके। उनका मानना था कि देश के हर नागरिक को शस्त्र चलाना आना चाहिए ताकि समय पर अथवा आपात स्थिति में वह अपने अनुभव का उपयोग देश हित में करने के साथ अपनी व अपने आसपास के लोगों की रक्षा कर सके।