अमीरनगर। क्षेत्र के किसान गन्ने के साथ भिंडी, मूंगफली आदि फसलों को बुवाई कर दोहरा लाभ कमा रहे हैं।
क्षेत्र के गांव ढाका निवासी रेहान खां ने अपने आठ बीघा गन्ने के खेत में सहफसल के रूप में भिंडी की बुवाई कर रखी है। वह सहफसल बोने का काम कई सालों से कर रहे हैं। उनका मानना है कि सहफसल बोने से एक फसल की लागत बच जाती है।
उन्होंने बताया कि भिंडी की खेती करने में मात्र तीन हजार रुपये की लागत आई है। जबकि अब तक करीब दस हजार रुपये की भिंडी बाजार में बेच चुके हैं और करीब 15 से 20 हजार रुपये की भिंडी निकलने का अनुमान है, यदि इसी दाम पर फसल बिकती रही तो और अधिक लाभ हो सकता है।
इसी तरह अमीरनगर के मुन्ने अली का कहना है कि उन्होंने अपने गन्ने के खेत में सहफसल के रूप में मूंगफली की खेती की है। इसी तरह क्षेत्र के तमाम किसान अपने खेतों में सहफसल बोकर दोहरा लाभ कमा रहे हैं।
अमीरनगर। क्षेत्र के किसान गन्ने के साथ भिंडी, मूंगफली आदि फसलों को बुवाई कर दोहरा लाभ कमा रहे हैं।
क्षेत्र के गांव ढाका निवासी रेहान खां ने अपने आठ बीघा गन्ने के खेत में सहफसल के रूप में भिंडी की बुवाई कर रखी है। वह सहफसल बोने का काम कई सालों से कर रहे हैं। उनका मानना है कि सहफसल बोने से एक फसल की लागत बच जाती है।
उन्होंने बताया कि भिंडी की खेती करने में मात्र तीन हजार रुपये की लागत आई है। जबकि अब तक करीब दस हजार रुपये की भिंडी बाजार में बेच चुके हैं और करीब 15 से 20 हजार रुपये की भिंडी निकलने का अनुमान है, यदि इसी दाम पर फसल बिकती रही तो और अधिक लाभ हो सकता है।
इसी तरह अमीरनगर के मुन्ने अली का कहना है कि उन्होंने अपने गन्ने के खेत में सहफसल के रूप में मूंगफली की खेती की है। इसी तरह क्षेत्र के तमाम किसान अपने खेतों में सहफसल बोकर दोहरा लाभ कमा रहे हैं।