लखीमपुर खीरी। भीषण गर्मी और कड़ी धूप के चलते धरती के अंदर का पानी काफी नीचे खिसक गया है। भूगर्भ जल स्तर गिरने से आधे जिलों में बोरिंग ने काम करना बंद कर दिया है। नहरें सूखी पड़ी हैं। तालाब और पोखरों का पानी धरती पहले सोख चुकी है। ऐसे में किसानों के सामने प्यासी धरती की प्यास बुझाने की समस्या खड़ी हो गई है। धरती चटक रही है, फसलें सूख रही हैं। किसान लाचार और बेचैन हैं।
कड़ी धूप और भीषण गर्मी किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। इन दिनों गन्ना, पिपरमिंट, मक्का, चरी, व सब्जियों की फसलें खेतों में खड़ी हैं। यह फसलें पानी मांग रही हैं। नहरें सूखी पड़ी हैं, गांवों के तालाब भी सूख चुके हैं। पानी के लिए जिले भर में हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में सिंचाई के लिए केवल बोरिंग और पंपिंग सेट का सहारा बचा है। हालत यह हैं कि भूगर्भीय जल स्तर नीचे चले जाने से बोरिंग भी फेल हो गईं हैं। पंपिंग सेट इतनी ज्यादा गहराई से पानी नहीं खींच पा रहे हैं।
किसानों को बोरिंग की जगह गहरा गड्ढा खोदकर पंपिंग सेट इंजन रखना पड़ रहा है। तब जाकर किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल पा रहा है। इसके बावजूद इंजन पूरी क्षमता से पानी नहीं खींच पा रहे हैं। गड्ढा खोद कर इंजन रखने और बाद में गड्ढे से निकालने में किसानों की परेशानी तो बढ़ ही रही है सिंचाई की लागत भी बढ़ रही है।
इंसेट.....
आधा दर्जन ब्लाकों में जलस्तर काफी नीचे
जिले के आधा दर्जन ब्लाकों में भूगर्भीय जल का स्तर काफी नीचे चला गया है। सबसे ज्यादा बेहजम, मितौली, मोहम्मदी और पसगवां में हालत खराब है। यहां पानी का जल स्तर 40 फिट नीचे चला गया है। जबकि आम तौर यहां जलस्तर 20 फिट नीचे रहता है। लखीमपुर और कुंभी ब्लाकों का भी कुछ ऐसा ही हाल है। गर्मियों में इन ब्लाकों में हमेशा जल स्तर नीचे चला जाता है लेकिन इस बार जितना जलस्तर नीचे खिसका है उतना इसका इसके पहले कभी नहीं हुआ।
इंसेट....
वाटर रिचार्ज सिस्टम बिगड़ने से हुए ये हालात
भूगर्भीय जलस्तर गिरने का सबसे बड़ा कारण वाटर रिचार्ज सिस्टम को बिगड़ना माना जा रहा है। नदियों की गहराई का कम होती जा रही है। गांवोें के तालाब और पोखरोें का वजूद मिटता जा रहा है। उन पर अवैध कब्जे कर मकान बना लिए गए हैं। पहले इन तालाबों में बरसात का पानी इकट्ठा होता था जिससे वाटर रिचार्ज सिस्टम मजबूत होता था। अब जब तालाब ही नहीं रहे तो वाटर रिचार्ज हो तो कैसे।
वाटर रिचार्ज में सुधार न हुआ तो बिगड़ेंगे हालात
वाटर रिजार्ज सिस्टम न सुधारा गया तो हालात अभी और भी बिगड़ेंगे। गर्मियों में जिले के कई ब्लाकों में भूगर्भीय जलस्तर काफी नीचे गिर जाता है। हालांकि अभी खीरी जिले में हालत ज्यादा नहीं बिगड़े हैं। लेकिन अगर स्थिति यही रही तो आने वाले दिनों में और परेशानी झेलनी होगी।
अवनीश कुमार, सहायक अभियंता, लघु सिंचाई
लखीमपुर खीरी। भीषण गर्मी और कड़ी धूप के चलते धरती के अंदर का पानी काफी नीचे खिसक गया है। भूगर्भ जल स्तर गिरने से आधे जिलों में बोरिंग ने काम करना बंद कर दिया है। नहरें सूखी पड़ी हैं। तालाब और पोखरों का पानी धरती पहले सोख चुकी है। ऐसे में किसानों के सामने प्यासी धरती की प्यास बुझाने की समस्या खड़ी हो गई है। धरती चटक रही है, फसलें सूख रही हैं। किसान लाचार और बेचैन हैं।
कड़ी धूप और भीषण गर्मी किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। इन दिनों गन्ना, पिपरमिंट, मक्का, चरी, व सब्जियों की फसलें खेतों में खड़ी हैं। यह फसलें पानी मांग रही हैं। नहरें सूखी पड़ी हैं, गांवों के तालाब भी सूख चुके हैं। पानी के लिए जिले भर में हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में सिंचाई के लिए केवल बोरिंग और पंपिंग सेट का सहारा बचा है। हालत यह हैं कि भूगर्भीय जल स्तर नीचे चले जाने से बोरिंग भी फेल हो गईं हैं। पंपिंग सेट इतनी ज्यादा गहराई से पानी नहीं खींच पा रहे हैं।
किसानों को बोरिंग की जगह गहरा गड्ढा खोदकर पंपिंग सेट इंजन रखना पड़ रहा है। तब जाकर किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल पा रहा है। इसके बावजूद इंजन पूरी क्षमता से पानी नहीं खींच पा रहे हैं। गड्ढा खोद कर इंजन रखने और बाद में गड्ढे से निकालने में किसानों की परेशानी तो बढ़ ही रही है सिंचाई की लागत भी बढ़ रही है।
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आधा दर्जन ब्लाकों में जलस्तर काफी नीचे
जिले के आधा दर्जन ब्लाकों में भूगर्भीय जल का स्तर काफी नीचे चला गया है। सबसे ज्यादा बेहजम, मितौली, मोहम्मदी और पसगवां में हालत खराब है। यहां पानी का जल स्तर 40 फिट नीचे चला गया है। जबकि आम तौर यहां जलस्तर 20 फिट नीचे रहता है। लखीमपुर और कुंभी ब्लाकों का भी कुछ ऐसा ही हाल है। गर्मियों में इन ब्लाकों में हमेशा जल स्तर नीचे चला जाता है लेकिन इस बार जितना जलस्तर नीचे खिसका है उतना इसका इसके पहले कभी नहीं हुआ।
इंसेट....
वाटर रिचार्ज सिस्टम बिगड़ने से हुए ये हालात
भूगर्भीय जलस्तर गिरने का सबसे बड़ा कारण वाटर रिचार्ज सिस्टम को बिगड़ना माना जा रहा है। नदियों की गहराई का कम होती जा रही है। गांवोें के तालाब और पोखरोें का वजूद मिटता जा रहा है। उन पर अवैध कब्जे कर मकान बना लिए गए हैं। पहले इन तालाबों में बरसात का पानी इकट्ठा होता था जिससे वाटर रिचार्ज सिस्टम मजबूत होता था। अब जब तालाब ही नहीं रहे तो वाटर रिचार्ज हो तो कैसे।
वाटर रिचार्ज में सुधार न हुआ तो बिगड़ेंगे हालात
वाटर रिजार्ज सिस्टम न सुधारा गया तो हालात अभी और भी बिगड़ेंगे। गर्मियों में जिले के कई ब्लाकों में भूगर्भीय जलस्तर काफी नीचे गिर जाता है। हालांकि अभी खीरी जिले में हालत ज्यादा नहीं बिगड़े हैं। लेकिन अगर स्थिति यही रही तो आने वाले दिनों में और परेशानी झेलनी होगी।
अवनीश कुमार, सहायक अभियंता, लघु सिंचाई