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यूनीफार्म तथा स्कूल बैग वितरण में घपले की आशंका
स्कूलों में पुस्तकालय व गणित/विज्ञान किट का ब्यौरा मांगा
लखीमपुर खीरी। सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में संचालित विभिन्न कार्यक्रमों के मद में लाखों की रकम खर्च की जा चुकी है, लेकिन संबंधित प्रधान अध्यापकों ने उपभोग प्रमाण पत्र व विल बाउचर विभाग को नहीं दिए हैं। बीएसए देवकी सिंह ने इस बावत सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को खर्च की गई धनराशि के विल बाउचर व उपभोग प्रमाण पत्र शिक्षकों से प्राप्त कर उपलब्ध कराने के कड़े निर्देश जारी किए हैं।
शैक्षिक सत्र 2011-12 में बच्चों को नि:शुल्क दी जाने वाली यूनीफार्म तथा स्कूल बैग की खरीद व वितरण में गड़बड़ी की आशंका जताई गई है। कई स्कूलों के निरीक्षण के दौरान पाया गया था, कि रजिस्टर में छात्र संख्या अधिक दर्ज की गई है। जबकि उपस्थिति मात्र 30 से 40 फीसदी ही रहती है। इस लिहाज से तमाम फर्जी ढंग से छात्र संख्या बढ़ाकर लाखों के गोलमाल की संभावनाएं बढ़ गई हैं। वहीं वर्ष 2010-11 तथा 2011-12 में प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में पुस्तकालय स्थापित करने की योजना थी, जिसमें सभी स्कूलों के प्रधान अध्यापक/शिक्षक रकम आहरित कर चुके हैं। फिर भी कई स्कूलों में मानक के अनुसार पुस्तकें नहीं खरीदी गई हैं, तो पुस्तकालयों की स्थापना भी नहीं की गई है। बता दें कि प्राथमिक को तीन हजार तथा जूनियर स्कूलों को 10 हजार रुपये दिए जा चुके हैं। वहीं एक अन्य महत्वाकांक्षी योजना के तहत जूनियर स्कूलों में बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने के लिए गणित/विज्ञान किट खरीदी जानी थी। इसके लिए प्रत्येक स्कूल को पांच-पांच हजार की धनराशि दी गई थी। सूत्रों की माने तो इस मद में मिली रकम का दुरुपयोग किया गया है। अधिकांश विद्यालयों में किट मौजूद नहीं है, जहां है तो वह मानक के अनुसार नहीं खरीदी गई। ऐसा कमीशनबाजी के चलते हुआ। कई बार उपभोग प्रमाण पत्र अधिकारियों द्वारा मांगे जा चुके हैं, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ।
खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि भौतिक सत्यापन करने के साथ ही बिल बाउचर भी जुटाने हैं। बीएसए ने सत्यापन के साथ उपभोग प्रमाण पत्र एक सप्ताह के भीतर मांगे हैं। साथ ही स्कूलों में नगद भुगतान व चेक भुगतान के संबंध में जानकारी मांगी गई है।
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कई स्कूलों के विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की खरीद अपंजीकृत फर्मों से किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। कुछ अन्य शिकायतें भी मिली थीं, जिसके मद्देनजर उपभोग प्रमाण पत्र मांगे गए हैं।
-देवकी सिंह, बीएसए
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