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पडरौना। मैत्रेय परियोजना के विरोध में 47 किसानों की 50 एकड़ भूमि पर आए स्थगन आदेश की कापी प्रशासन को मिल गई है। प्रशासन इसके लिए जवाब तैयार कर रहा है। उम्मीद है कि मंगलवार की शाम तक जवाब तैयार कर लिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार मैत्रेय परियोजना में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ 47 किसानों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायालय में वाद दाखिल करने के बाद न्यायाधीश किसानों के 50 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने से मना करते हुए स्थगन आदेश दे दिया है। उच्च न्यायालय ने शासन को एक माह के भीतर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। सोमवार को न्यायालय के आदेश की प्रति जिला प्रशासन को मिल गई। जिला प्रशासन ने न्यायालय में पक्ष रखने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। डीएम रिग्जियान सैंफिल ने बताया कि न्यायालय का आदेश मिल गया है। आदेश का पालन सुनिश्चित कराया जा रहा है।
परियोजना को विनाशकारी बताया
कसया। मैत्रेय परियोजना का विरोध करने वाले किसानों ने सोमवार को बैठक की। किसानों ने परियोजना को विनाशकारी बताते हुए सरकार से इसे जल्द वापस लेने की मांग की। इसके लिए किसानों ने प्रभावित गांवों में चौपाल लगाकर जागरूकता अभियान चलाने और तहसील पर धरना देने का निर्णय लिया।
भू बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गौड़ की अध्यक्षता में सिसवा महंथ में हुई बैठक में किसानों ने एकजुटता बनाए रखने पर जोर दिया। गौड़ ने कहा कि सरकार केवल पूंजीपतियों की हितैषी है। आम किसानों के हित से कोई लेना-देना नहीं है। किसान नेता ने कहा कि हाईकोर्ट के स्टे आर्डर से किसानों को बल मिला है। किसानों को अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार रहना चाहिए। बैठक को सूर्यकांत त्रिपाठी, उदयभान यादव, कलमी देवी, हीरा सिंह, प्रेमचंद जैन आदि ने संबोधित किया। बैठक में रामभवन राम, दिलीप शर्मा, केसरी पांडेय, ब्रदी, कमलावती, कैलाशी आदि उपस्थित रहे।
पडरौना। मैत्रेय परियोजना के विरोध में 47 किसानों की 50 एकड़ भूमि पर आए स्थगन आदेश की कापी प्रशासन को मिल गई है। प्रशासन इसके लिए जवाब तैयार कर रहा है। उम्मीद है कि मंगलवार की शाम तक जवाब तैयार कर लिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार मैत्रेय परियोजना में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ 47 किसानों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायालय में वाद दाखिल करने के बाद न्यायाधीश किसानों के 50 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने से मना करते हुए स्थगन आदेश दे दिया है। उच्च न्यायालय ने शासन को एक माह के भीतर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। सोमवार को न्यायालय के आदेश की प्रति जिला प्रशासन को मिल गई। जिला प्रशासन ने न्यायालय में पक्ष रखने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। डीएम रिग्जियान सैंफिल ने बताया कि न्यायालय का आदेश मिल गया है। आदेश का पालन सुनिश्चित कराया जा रहा है।
परियोजना को विनाशकारी बताया
कसया। मैत्रेय परियोजना का विरोध करने वाले किसानों ने सोमवार को बैठक की। किसानों ने परियोजना को विनाशकारी बताते हुए सरकार से इसे जल्द वापस लेने की मांग की। इसके लिए किसानों ने प्रभावित गांवों में चौपाल लगाकर जागरूकता अभियान चलाने और तहसील पर धरना देने का निर्णय लिया।
भू बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गौड़ की अध्यक्षता में सिसवा महंथ में हुई बैठक में किसानों ने एकजुटता बनाए रखने पर जोर दिया। गौड़ ने कहा कि सरकार केवल पूंजीपतियों की हितैषी है। आम किसानों के हित से कोई लेना-देना नहीं है। किसान नेता ने कहा कि हाईकोर्ट के स्टे आर्डर से किसानों को बल मिला है। किसानों को अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार रहना चाहिए। बैठक को सूर्यकांत त्रिपाठी, उदयभान यादव, कलमी देवी, हीरा सिंह, प्रेमचंद जैन आदि ने संबोधित किया। बैठक में रामभवन राम, दिलीप शर्मा, केसरी पांडेय, ब्रदी, कमलावती, कैलाशी आदि उपस्थित रहे।