माई सिटी रिपोर्टर कानपुर। स्कूल फीस को लेकर अभिभावकों और स्कूल संचालकों के बीच खींचतान जारी है। अभिभावकों और स्कूल प्रबंधकों के बीच तालमेल नहीं बैठ रहा है। अभिभावकों का कहना है की वे स्कूल फीस माफ करने की बात नहीं कह रहे हैं। लेकिन स्कूल हर साल लाइब्रेरी, टूर आदि शुल्क जो लेता है वो इस बार क्यो ले रहा है। सभी अतिरिक्त शुल्क फीस में जो जोड़े गए हैं वो क्यों नहीं हटाए जा रहे हैं। उनका कहना है की स्कूल वालों की मनमानी इतनी ज्यादा बढ़ गई है की वे स्कूल में ही किताबें बेच रहे हैं और उसकी रसीद भी नहीं दे रहे हैं। अभिभावकों का कहना है की कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन ने उनके व्यापार पर खासा असर डाला है। कई जगह पेमेंट रुकी हुई है। ऐसे में अगर स्कूल अभिभावकों से वही मोटी फीस वसूलेगा तो कैसे काम चल पाएगा। फीस का बढ़ेगा बोझ शहर का लगभग हर स्कूल अभिभावकों से पूरी फीस जमा करने के लिए दबाव बना रहा है। कुछ स्कूलों का कहना है की अगर वो पिछ्ले तीन महीने की फीस जमा नहीं करेंगे तो उनपर फीस का बोझ बढ़ेगा क्योंकि अगला सेमेस्टर शुरु होने वाला है। ---- बिना फ़ीस कैसे चलेगा काम स्कूल संचालकों का कहना है की बिना फीस के आखिर वे कैसे स्कूल का कार्य संचालित कर पाएंगे। बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल की चेयरपर्सन प्रीती अग्रवाल ने कहा की बिना फीस के कैसे पढ़ाई कराई जा सकेगी। टीचर को सैलरी भी देनी होती है। साथ ही स्थिति अभी सामान्य नहीं हुई है। तो कब तक स्कूल खुल पाएंगे यह भी नहीं पता। ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से ही बच्चों का कोर्स पूरा कराना होगा। अभिभावकों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डाल रहे हैं लेकिन वह भी स्कूल की परेशानी को समझें। वहीं स्वराज इंडिया स्कूल के मैनेजर बृजेश सिंह ने कहा कि सरकार के द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरा पालन किया जा रहा है। अभिभावकों पर फीस के लिए किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं है । साथ ही फीस में किसी भी तरह का अतिरिक्त चार्ज नहीं लगाया गया है। अभिभावक पर निर्णय छोड़ दिया है कि वह महीने के हिसाब से फीस जमा करना चाहते हैं या क्वार्टरली।
माई सिटी रिपोर्टर कानपुर। स्कूल फीस को लेकर अभिभावकों और स्कूल संचालकों के बीच खींचतान जारी है। अभिभावकों और स्कूल प्रबंधकों के बीच तालमेल नहीं बैठ रहा है। अभिभावकों का कहना है की वे स्कूल फीस माफ करने की बात नहीं कह रहे हैं। लेकिन स्कूल हर साल लाइब्रेरी, टूर आदि शुल्क जो लेता है वो इस बार क्यो ले रहा है। सभी अतिरिक्त शुल्क फीस में जो जोड़े गए हैं वो क्यों नहीं हटाए जा रहे हैं। उनका कहना है की स्कूल वालों की मनमानी इतनी ज्यादा बढ़ गई है की वे स्कूल में ही किताबें बेच रहे हैं और उसकी रसीद भी नहीं दे रहे हैं। अभिभावकों का कहना है की कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन ने उनके व्यापार पर खासा असर डाला है। कई जगह पेमेंट रुकी हुई है। ऐसे में अगर स्कूल अभिभावकों से वही मोटी फीस वसूलेगा तो कैसे काम चल पाएगा। फीस का बढ़ेगा बोझ शहर का लगभग हर स्कूल अभिभावकों से पूरी फीस जमा करने के लिए दबाव बना रहा है। कुछ स्कूलों का कहना है की अगर वो पिछ्ले तीन महीने की फीस जमा नहीं करेंगे तो उनपर फीस का बोझ बढ़ेगा क्योंकि अगला सेमेस्टर शुरु होने वाला है। ---- बिना फ़ीस कैसे चलेगा काम स्कूल संचालकों का कहना है की बिना फीस के आखिर वे कैसे स्कूल का कार्य संचालित कर पाएंगे। बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल की चेयरपर्सन प्रीती अग्रवाल ने कहा की बिना फीस के कैसे पढ़ाई कराई जा सकेगी। टीचर को सैलरी भी देनी होती है। साथ ही स्थिति अभी सामान्य नहीं हुई है। तो कब तक स्कूल खुल पाएंगे यह भी नहीं पता। ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से ही बच्चों का कोर्स पूरा कराना होगा। अभिभावकों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डाल रहे हैं लेकिन वह भी स्कूल की परेशानी को समझें। वहीं स्वराज इंडिया स्कूल के मैनेजर बृजेश सिंह ने कहा कि सरकार के द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरा पालन किया जा रहा है। अभिभावकों पर फीस के लिए किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं है । साथ ही फीस में किसी भी तरह का अतिरिक्त चार्ज नहीं लगाया गया है। अभिभावक पर निर्णय छोड़ दिया है कि वह महीने के हिसाब से फीस जमा करना चाहते हैं या क्वार्टरली।