कानपुर। सेंट्रल स्टेशन के आरक्षण केंद्र में तीन महीनों से तत्काल आरक्षण के चल रहे गोरखधंधे में वहीं पर तैनात बाबू सैय्यद कमाल मुस्तफा पूरा कुनबा संचालित कर रहा था। बाबू पर वहीं के अधिकारी का वरदहस्त और चार अन्य बाबुओं का संरक्षण मिला हुआ था। शनिवार को आरपीएफ छापे में पकड़े गए कमाल बाबू के दोनों बेटों ने प्रारंभिक पूछताछ में यह कबूला। आरपीएफ टीम आरक्षण अधिकारी और इस धंधे से जुड़े चारों बाबुओं का ब्योरा एकत्र करने में जुट गई है। जांचाधिकारी ने पकड़ी आरक्षित सभी 25 टिकट लाक करा दिए ताकि डुप्लीकेट बनवा उनका उपयोग न किया जा सके। उधर रेलवे मजिस्ट्रेट ने बाबू के दो बेटों सहित पांचों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
बाबू कमाल की पत्नी और तीन बेटे तत्काल आरक्षण का खेल चला रहे थे। बाबू के बेटों और पत्नी के लाइन में लगने से अन्य बाबू स्टाफ का मामला होने से तत्काल टोकन नंबर दे देते थे। कि कमाल बाबू के बेटे और पत्नी नंबर देने वाले बाबुओं को 25 रुपए प्रति यात्री के हिसाब से रकम पहुंचाते थे।
शनिवार को कमाल बाबू के बेटे अख्तर मुस्तफा, हसन मुस्तफा के साथ पांच लोगों को दबोच लिया गया। आरपीएफ के सभाशंकर द्विवेदी ने इनके कब्जे से पूर्व मंत्री अनंत कुमार मिश्र, पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी के कोरे लेटर हेड के अलावा बनी 25 टिकट, 20 हजार रुपए और 114 फार्म इसमें से 12 पर टोकन नंबर पड़ा था। जांच में पता चला कि फरवरी से चल रहे इस गोरखधंधे में आरक्षण अधिकारी और अन्य लोगों का वरदहस्त था।
बाबुओं का ब्योरा मांगा
कानपुर। छापे में मिली 25 आरक्षित टिकट का पूरा ब्योरा रेलवे सुरक्षा बल के जांचाधिकारी ने मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक से मांगा है ताकि बाबुओं की संलिप्तता की विधिक पुष्टि भी हो सके।
कमाई के चक्कर में फरमानों की करते थे अनसुनी
कानपुर। इस ‘खेल’ के बारे में तीन बार आरपीएफ ने मौखिक जानकारी दी थी। पर एक तत्काल टिकट में दो सौ रुपए की आमदनी के लालच में आरक्षण बाबू और अधिकारी तवज्जो ही नहीं देते थे। इस बात को आरपीएफ ने अपने लिखापढ़ी में अंकित किया है।
मामला गंभीर है। जांच रिपोर्ट आते ही आरोपी बाबू पर कार्रवाई होगी। अन्य लोगों की संलिप्तता पर भी कार्रवाई होगी।
अशोक कुमार अपर मंडल रेल प्रबंधक इलाहाबाद मंडल