कानपुर। एक सिपाही और वो भी निलंबित ने रविवार को शहर पुलिस के आला अफसरों को परेशान कर कर रख दिया। दरअसल पुलिस विभाग में भेदभाव के खिलाफ हुंकार भरने वाला निलंबित सिपाही ब्रजेंद्र सिंह यादव रविवार को बग्घी से पुलिस लाइन पहुंचा। इच्छा पुलिस लाइन के भीतर सभा करने की थी पर अफसरों ने भारी फोर्स तैनात कर पुलिस लाइन के दोनों गेट बंद करा दिए। वीआईपी रोड पर सैकड़ों जवान तैनात किए गए थे ताकि बागी काबू में रहे। इसके बाद ब्रजेंद्र सिंह ने पुलिस लाइन के बाहर सड़क पर सभा की। सिपाहियों, दारोगा से भेदभाव पर आला अफसरों पर तीखे वार किए। अपनी बातें सार्वजनिक होने पर मन ही मन कई सिपाही-दरोगाओं ने खुशी जताई।
रक्षक कल्याण ट्रस्ट की ओर से अराजपत्रित पुलिस कल्याण संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रजेंद्र सिंह यादव लखनऊ से 29 अप्रैल को यात्रा पर निकले हैं। कानपुर में 38वीं सभा थी। ब्रजेंद्र पुलिस लाइन के भीतर सभा न कर सके, इसके लिए पहले से ही व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। लाइन के दोनों गेट बंद करा दिए गए। सभा में ब्रजेंद्र ने कहा कि आईपीएस एसोसिएशन अपंजीकृत संस्था चलाकर बिना सहमति अपराजपत्रित पुलिस कर्मियों के वेतन से 25 रुपए कटौती करती है। सपा सरकार बनने के बाद डीजीपी ने कटौती रोकने का आदेश दिया। इसके बाद भी कई जिलों में कटौती होने की शिकायत मिली। कानपुर भी उनमें एक है।
यह हैं कि प्रमुख मांगें
-राज्य कर्मचारियों को वर्ष में 106 दिन अवकाश मिलता है पर, अराजपत्रित पुलिस, पीएसी इससे वंचित है। इसके बदले 30 दिन का अतिरिक्त वेतन मिलता है जबकि मिलना 106 दिन का चाहिए। ऐसे में हर सिपाही-दरोगा 76 दिन की बेगारी कर रहे हैं। वेतन के साथ पद मिले, विसंगति दूर हो।
-पुलिस भर्ती में भी सेवारत कर्मचारियों का कोटा हो। नौजवान सिपाहियों को ही पीएसी में रखें, 10 वर्ष के बाद उन्हें सिविल पुलिस में भेज देना चाहिए।
-साइकिल एलाउंस बंद कर बाइक एलाउंस मिले। सिटीजन चार्टर सख्ती से लागू हो। पीआरडी जवानों को भी दैनिक भत्ता मिले।
-बैरक को आवास बताकर आवास भत्ता नहीं दिया जा रहा। यदि उन पर सार्वजनिक जगह बोलने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो रही तो आईपीएस मोहित गुप्ता एवं इस्तीफा देने वाले 24 आईपीएस पर भी हो।