{"_id":"77883","slug":"Kanpur-77883-38","type":"story","status":"publish","title_hn":"सेंट्रल पर यात्रियों की जेब पर ‘डाका’ ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
कानपुर। सेंट्रल स्टेशन के साइकिल स्टैंड पर वाहन खड़ा करने वाले यात्रियों की जेब कटनी तय है। दरअसल यहां कोई जेबकतरा सक्रिय नहीं है बल्कि स्टैंड के ठेकेदार निर्धारित शुल्क से दोगुना वसूली कर रहे हैं। साथ ही हेलमेट रखने के तीन रुपये अलग से लिए जा रहे हैं। अगर किसी ने विरोध किया तो समझो उसकी शामत आ गई। स्टैंड संचालक के गुर्गे बदसलूकी के साथ मारपीट करने से भी गुरेज नहीं करते हैं। किसी ने फरियाद पुस्तिका में शिकायत दर्ज भी करा दी तो 500 या हजार रुपये जुर्माना देकर बला टाल लेते हैं। जुर्माना कराने में पीड़ित ने पैरवी नहीं की तो उसकी फरियाद रद्दी की टोकरी में पड़ी रहती है।
स्थान- कैंट साइड परिसर के सामने। समय- दोपहर 2:00 बजे। स्टैंड के मुहाने पर पड़े तख्त में तीन कर्मचारी बैठे हैं। दो कर्मचारी वाहनों को खड़ा कर रहे थे और निकालने में जुटे थे। तभी परिवार सहित बाईक उठाने के लिए आए किदवईनगर निवासी रमाशंकर ने पर्ची दी तो हेल्पर वाहन निकाल कर लाया। 13 रुपये कर्मचारी ने उससे ले लिए और वह हेलमेट लेकर बाहर आ गया। संवाददाता ने जब उनसे पूछा कि बोर्ड पर तो धुंधले अक्षरों से रेट पांच रुपये लिखा है। इस पर उन्होंने कहा कि विरोध करके गाली सुने कोई सुनने वाला नहीं है। ज्यादा बोलो तो सभी कर्मचारी मारपीट पर आमादा हो जाते हैं। 24 घंटे में कोई पांच हजार से अधिक वाहन आते और जाते हैं। हर एक से इसी तरह ओवरचार्जिंग होती है। ये खेल रेलवे के शीर्ष अधिकारियों को दिखाई नहीं देता है।
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क्यों कार्रवाई, उन्हें तो छूट
कानपुर। रेलवे के साइकिल स्टैंड पर रेलवे स्टाफ को फ्री में वाहन खड़ा करने की छूट है। इसी छूट की वजह से स्टैंड संचालक की दबंगई पर अंकुश नहीं लगता है।
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शिकायत आने पर जो अधिकार क्षेत्र में है, वह कार्रवाई करते हैं। शिकायत की जांच में ओवरचार्जिंग साबित होती है तो जुर्माना भी लगाते हैं। मेवालाल, स्टेशन अधीक्षक
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ठेका शहर में कार्रवाई का अधिकार इलाहाबाद में
कानपुर। दोपहिया पार्किंग का ठेका स्टेशन के दोनों ओर है। स्थानीय स्तर पर अधिकारी हैं पर इनके हाथ में केवल जुर्माना करने का अधिकार है। कार्रवाई का अधिकार तो इलाहाबाद में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक को है। वहां तक चार-छह रुपये के चक्कर में कोई जाता नहीं है। दूसरा कारण यह है कि स्टैंड संचालक सब कुछ सेट रखता है।
क्या है नियम
स्टैंड पर बाहर और भीतर रेट लिस्ट का बोर्ड टंगा हो
तैनात कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन और नाम लिखा हो
वाहनों को कवर्ड एरिया में ही खड़ा करें
रेलवे का चेकिंग स्टाफ नियमित निरीक्षण करें
ठेकेदार का नाम और मोबाइल नंबर रेट बोर्ड पर लिखा
यह है हकीकत
रेट लिस्ट का बोर्ड टंगा हो, टंगा है पर रेट दिखते नहीं
न सत्यापान न उनके बारे में रेलवे के पास जानकारी
खा पड़ी जगह पर कब्जा करके वाहन पार्क कराते हैं
नियमित चेकिंग अभियान से रेलवे को वास्ता ही नहीं
रेट बोर्ड पर न ठेकेदार का नाम न ही लिखा है नंबर
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