{"_id":"77878","slug":"Kanpur-77878-38","type":"story","status":"publish","title_hn":"रेलवे बाबू के बेटे चला रहे तत्काल आरक्षण गैंग","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
कानपुर। सेंट्रल स्टेशन के आरक्षण केंद्र में शनिवार को मुख्य बाबू के बेटों के संरक्षण में चल रहे तत्काल आरक्षण गैंग का भंडाफोड़ हुआ। आरपीएफ ने आरक्षण केंद्र के मुख्य बाबू कमाल मुस्तफा के दो बेटों हसन मुस्तफा, अख्तर मुस्तफा समेत पांच युवकों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से तत्काल और ढाई माह पूर्व आरक्षित कराए गए कई टिकट, 20 हजार रुपए, टोकन नंबर वाले आरक्षण फार्म, भरे, खाली फार्मों संग बसपा के पूर्व सांसद, विधायकों के हस्ताक्षरयुक्त लेटरहैड भी बरामद किए गए। पूछताछ में आरक्षण केंद्र के कई बाबुओं संग कई लोगों के इस रैकेट में शामिल होने का पता चला है।
आरपीएफ ने सुबह सेंट्रल स्टेशन सिटी साइट आरक्षण केंद्र में छापा मारकर सिटी साइड रेलवे कालोनी निवासी हसन मुस्तफा, भाई अख्तर मुस्तफा, कलक्टरगंज के अंकित द्विवेदी, हरवंश मोहाल के गौरव अग्निहोत्री और मीरपुर के शमशाद को गिरफ्तार कर लिया। सेंट्रल स्टेशन आरपीएफ थाना प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि इनके कब्जे से 20 हजार रुपए और 25 आरक्षण टिकट मिले। इनमें से कई तत्काल के और कुछ कंफर्म टिकट ढाई माह पहले बनवाए गए थे। करीब 22 हजार रुपए के इन टिकटों में से ज्यादातर टिकट दिल्ली, मुंबई और गोरखपुर के थे। तीन दलालों के साथ खाली, भरे फार्म, टोकन नंबर वाले फार्मों के साथ ही प्रदेश सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व जेडआरयूपीसी (जोनल रेलवे यूजर कमेटी के सदस्य) अनंत मिश्रा अंटू, बसपा विधायक रहे अशोक कटियार और पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी के हस्ताक्षरयुक्त लेटरहैड बरामद हुए।
पुलिस इसमें बड़े बाबू की भी मिलीभगत मान रही है। थाना प्रभारी के अनुसार दलालों से पूछताछ में पता चला कि गर्मियों में टिकटों की मारामारी के चलते वह ढाई महीने पूर्व ही स्लीपर क्लास के कंफर्म टिकट बनवा लेते थे। इनमें यात्रियों की उम्र 35 - 40 वर्ष लिखी जाती थी। चूंकि इनमें आईडी की जरूरत नहीं होती। इसलिए तत्काल आरक्षण बंद होने के बाद आसानी से यात्रियों को बेचतेे थे। तीसरे तरीके में पैसेंजर के कहने पर पहले से लिए गए टोकन पर उसका टिकट तुरंत बनवा देते थे। हसन ने खुद को दलालों के गैंग का सरगना बताया। अंकित ने बताया कि उसके माता पिता नहीं हैं। वह स्टेशन के स्टैंड में काम करता था जबकि गौरव ने सुतरखाना में दालमोठ का काम और शमशाद ने कोरियर का काम करने की बात कहते हुए परिवार के टिकट बनवाने आने की बात कही।
इनसेट
बसपा नेताओं से जुड़े दलालों के तार
हाईप्रोफाइल दलालों के तार कई बसपा नेताओं से भी जुड़े थे। इनके कब्जे से पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा, बसपा के पूर्व सांसद एवं अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से संभावित प्रत्याशी अनिल शुक्ल वारसी एवं इसी पार्टी के कद्दावर विधायक रहे अशोक कटियार के लेटरहैड बरामद हुए। आरपीएफ थाना प्रभारी के अनुसार इन बसपा नेताओं से इस बारे में पता लगाया जाएगा। यह भी जांच होगी कि वीआईपी के नाम पर एक साल में कितने बसपा नेताओं के लेटरहैड पर टिकट कंफ र्म हुए। उधर, अनिल शुक्ल वारसी ने गैंग से तार जुड़े होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि कोई उनके लैटरहैड चुरा ले गया होगा।
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20 से 50 रुपए में खरीदते थे लेटरहैड
दलालों का रैकेट वेटिंग टिकट को वीआईपी लगाकर कंफर्म कराने का भी धंधा करता था। इसके लिए वे सांसदों, विधायकों के हस्ताक्षरयुक्त लेटरहैड 20 से 50 रुपए की दर से खरीदते थे।
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बाबू पर कार्रवाई की संस्तुति
आरपीएफ थाना प्रभारी के अनुसार इस रैकेट में सेंट्रल स्टेशन आरक्षण केंद्र के प्रधान टंकक (मुख्य बाबू) कमाल मुस्तफा की मिलीभगत थी। रेलवे अफसरों से उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। हालांकि कमाल ने थाने में लिखकर दिया है कि उसके तीनों बेटे मेरे मना करने पर भी तीन महीने से यात्रियों से पैसे लेकर टिकट बेच देते हैं। आरपीएफ पहले भी दो बार उन्हें चेतावनी दे चुकी थी। तीसरा बेटा यासिर भाइयों के पकड़े गए भाइयों को देखने गया तो उसे भी पकड़ लिया गया था। थानाप्रभारी ने बताया कि नाबालिग यासिर को पूछताछ के बाद में छोड़ दिया गया।
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बाबू को देते थे 50 रुपए प्रति टिकट
सरगना हसन मुस्तफा के अनुसार उसके लड़के सुबह 7:30 बजे आरक्षण केंद्र खुलते ही उसके तीन लड़के (एजेंट) टोकन लेकर अलग - अलग विण्डो में आगे लगते थे। 50 रुपए प्रति टिकट पर बाबुओँ से सेटिंग थी। इसलिए आरक्षण शुरू होते ही बाबू भी सबसे पहले उसके टिकट बनाते थे। प्रति यात्री स्लीपर टिकट पर 300 और एसी टिकट के 900 रुपए लेते थे।
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सेंट्रल के आरक्षण केंद्र में टोकन तक बेचते थे
सुबह तत्काल आरक्षण का काम खत्म होने के बाद दलाल आरक्षण फार्मों पर टोकन नंबर लेते रहते थे। जिन यात्रियों को तुरंत टिकट लेना होता था, उन्हें टोकन नंबर वाले फार्म बेचे जाते थे। हसन का पिता कमाल मुस्तफा टोकन बांटता रहा है।
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