कानपुर। ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा और बरेली में जमीनों का भू-उपयोग बदलकर 3500 करोड़ रुपए से ज्यादा की धांधली के मामले को शासन ने गंभीरता से लिया है। अमर उजाला में खबर छपने के बाद गुरुवार को यूपीएसआईडीसी के अध्यक्ष और औद्योगिक विकास आयुक्त डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही साढ़े पांच लाख वर्गमीटर से ज्यादा जमीनों के भू-उपयोग बदलने की फाइल लखनऊ तलब की है। यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक मो. इफ्तिखारुद्दीन से पूछा है कि मेसर्स पैरामाउंट को 4.16 लाख वर्गमीटर का आवासीय प्लाट कैसे दे दिया गया। किस नियम के तहत भू-उपयोग बदला गया। इस कंपनी के प्लाट आवंटन की फाइल भी मांगी गई है। औद्योगिक विकास आयुक्त ने कहा है कि पैरामाउंट को आवंटित लगभग 102.96 एकड़ जमीन की फाइल जिम्मेदार अधिकारी के हाथों भेजी जाए।
यूपीएसआईडीसी के अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा की शह पर औद्योगिक, आवासीय प्लाटों का भू-उपयोग बदलने का मामला सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों को कार्रवाई का डर सता रहा है। क्योंकि जिन जमीनों का भू-उपयोग बदला गया है, उनमें नियम-कानून का अनुपालन नहीं हुआ है। गाजियाबाद में कुछ ऐसे प्लाटों का भू-उपयोग बदला गया, जिनके विज्ञापन नहीं निकाले गए थे। भूखंड संख्या 37/1 के भू-उपयोग बदलने को लेकर गाजियाबाद के ही सुशील राघव ने आपत्ति लगाई थी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। भूखंड संख्या 33/1 पर सात फ्लोर का भवन बनवाया गया है, जिसकी अनुमति पांच फ्लोर की थी। सूत्रों ने बताया कि बिना कपाउंडिंग जमा कराए ही दो अतिरिक्त फ्लोर बनवाए गए हैं। यह भी तथ्य सामने आया है कि ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद के औद्योगिक, आवासीय क्षेत्र में स्थित पार्क, सामूहिक इस्तेमाल की लगभग 160-165 एकड़ जमीनें बेच डाली गई हैं, जो गलत है। इन सभी प्रस्तावों पर उत्तर प्रदेश इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथारिटी (यूपीसीडा) की तीन सदस्यीय समिति की मुहर लगी है, जिसके अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा थे।