कानपुर। शहर के चर्चित दिव्या कांड में पुलिस की लापरवाही अभी भी नहीं थमी है। लचर पैरवी के कारण हाईकोर्ट से एक अभियुक्त (स्कूल प्रबंधक) को करीब एक माह पहले जमानत मिल गई और वह जेल से रिहा भी हो गया पर किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई। यही नहीं कोर्ट में अभियुक्तों पर बना चार्ज भी क्वैश (रद्द) हो गया है। बचाव पक्ष की दलील पर हाईकोर्ट ने अभियुक्तों को राहत देते हुए सेशन कोर्ट में चार्ज पर फिर से सुनवाई का आदेश दिया है।
27 सितंबर 2010 को रावतपुर के ज्ञान भारती स्थली स्कूल में कक्षा सात की छात्रा दिव्या के साथ रेप किया गया था और बाद में उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में स्कूल प्रबंधक चंद्रपाल वर्मा, उनके बेटे मुकेश, पियूष और लिपिक संतोष कुमार को गिरफ्तार किया था। यह मामला एडीजे 1 डा. विजयलक्ष्मी की कोर्ट में विचाराधीन है। दिव्या कांड की सुनवाई पहले एडीजे 10 एमए अब्बासी की कोर्ट में चल रही थी। कोर्ट में चारों अभियुक्तों पर अदालत ने चार्ज बनाया तो उन्होंने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसलिए कोर्ट ने अभियुक्तों के हस्ताक्षर से इनकार की बात कहते हुए चार्ज बना दिया था। दिव्या की मां सोनू केअधिवक्ता अजय भदौरिया ने बताया कि बचाव पक्ष केअधिवक्ता इस मामले को लेकर हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट में कहा कि सेशन कोर्ट ने चार्ज पर बचाव पक्ष को नहीं सुना था। इसलिए सेशन कोर्ट का चार्ज रद्द करते हुए बचाव पक्ष को सुनने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट से बचाव पक्ष को राहत मिल गई है। पहले बना चार्ज रद्द हो गया है। अब इस पर एडीजे 1 की कोर्ट में दुबारा से बहस होगी। उधर, स्कूल प्रबंधक को भी 19 अप्रैल को हाईकोर्ट के जस्टिस कलीमुल्ला खां की अदालत से जमानत मिल गई और वह रिहा भी हो गया। उसके अधिवक्ता ने अदालत में कहा था कि चंद्रपाल काफी दिन से बीमार चल रहा है। वह वृद्ध है। वह हत्या और रेप में सीधे आरोपी नहीं है। उस पर गैर इरादतन हत्या और साक्ष्य छिपाने की धारा लगी है। इसलिए अदालत ने इसी आधार पर उसे जमानत दे दी।
घटना पर एक नजर
घटना-27 सितंबर 2010
अभियुक्त-चार। तीन अभी जेल में
आरोप पत्र बना-24 दिसंबर 2010
कुल गवाह-करीब 50
मजबूत साक्ष्य-डीएनए रिपोर्ट
अन्य साक्ष्य-परिस्थितिजन्य साक्ष्य की कड़ी
दिव्याकांड: कब क्या हुआ
27 सितंबर 2010-दिव्या से रेप, खून बहने और इलाज न मिलने से मौत
29 सितंबर 2010-स्कूल प्रबंधक चंद्रपाल और बेटे मुकेश की गिरफ्तारी
6 अक्टूबर 2010-पुलिस ने खोला केस, मुन्ना लोध की गिरफ्तारी
15 अक्टूबर 2010-स्कूल प्रबंधक के बेटे पियूष की गिरफ्तारी
23 अक्टूबर 2010-सीबीसीआईडी लखनऊ को दी गई जांच
9 नवंबर 2010-डीएनए टेस्ट के लिए कोर्ट में 14 लोगों के ब्लड सेंपुल, मुन्ना का पहले ही लिया जा चुका था
24 दिसंबर 2010-सीबीसीआईडी ने चंद्रपाल और मुकेश के खिलाफ चार्जशीट लगाई
1 जनवरी 2011-सीबीसीआईडी ने कोर्ट में अर्जी देकर मुन्ना को बेकसूर बताया
11 जनवरी 2011-डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के तहत पियूष के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
27 सितंबर 2011-एडीजे 10 की कोर्ट में अभियुक्तों पर चार्ज फ्रेम
मां बोली, ऐसे कैसे मिलेगा न्याय
दिव्या की मां सोनू भदौरिया का कहना है कि पुलिस की इसी तरह की लचर पैरवी रही तो उसे न्याय कैसे मिलेगा। उसे पुलिस पर शुरू से ही भरोसा नहीं था। इसीलिए उसने अपना वकील खड़ा कर रखा है। हाईकोर्ट में जाने की बात पता ही नहीं चला। वरना अपने वकील को कुछ करने के लिए कहती। अब गुरुवार को अपने वकील से मिलकर कुछ करने को कहेगी। सोनू ने कहा कि उसका गनर भी हटा दिया गया है। अब अभियुक्त बाहर आ रहे हैं। इसलिए उसके परिवार को खतरा बना रहेगा।
कानपुर। शहर के चर्चित दिव्या कांड में पुलिस की लापरवाही अभी भी नहीं थमी है। लचर पैरवी के कारण हाईकोर्ट से एक अभियुक्त (स्कूल प्रबंधक) को करीब एक माह पहले जमानत मिल गई और वह जेल से रिहा भी हो गया पर किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई। यही नहीं कोर्ट में अभियुक्तों पर बना चार्ज भी क्वैश (रद्द) हो गया है। बचाव पक्ष की दलील पर हाईकोर्ट ने अभियुक्तों को राहत देते हुए सेशन कोर्ट में चार्ज पर फिर से सुनवाई का आदेश दिया है।
27 सितंबर 2010 को रावतपुर के ज्ञान भारती स्थली स्कूल में कक्षा सात की छात्रा दिव्या के साथ रेप किया गया था और बाद में उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में स्कूल प्रबंधक चंद्रपाल वर्मा, उनके बेटे मुकेश, पियूष और लिपिक संतोष कुमार को गिरफ्तार किया था। यह मामला एडीजे 1 डा. विजयलक्ष्मी की कोर्ट में विचाराधीन है। दिव्या कांड की सुनवाई पहले एडीजे 10 एमए अब्बासी की कोर्ट में चल रही थी। कोर्ट में चारों अभियुक्तों पर अदालत ने चार्ज बनाया तो उन्होंने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसलिए कोर्ट ने अभियुक्तों के हस्ताक्षर से इनकार की बात कहते हुए चार्ज बना दिया था। दिव्या की मां सोनू केअधिवक्ता अजय भदौरिया ने बताया कि बचाव पक्ष केअधिवक्ता इस मामले को लेकर हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट में कहा कि सेशन कोर्ट ने चार्ज पर बचाव पक्ष को नहीं सुना था। इसलिए सेशन कोर्ट का चार्ज रद्द करते हुए बचाव पक्ष को सुनने का आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट से बचाव पक्ष को राहत मिल गई है। पहले बना चार्ज रद्द हो गया है। अब इस पर एडीजे 1 की कोर्ट में दुबारा से बहस होगी। उधर, स्कूल प्रबंधक को भी 19 अप्रैल को हाईकोर्ट के जस्टिस कलीमुल्ला खां की अदालत से जमानत मिल गई और वह रिहा भी हो गया। उसके अधिवक्ता ने अदालत में कहा था कि चंद्रपाल काफी दिन से बीमार चल रहा है। वह वृद्ध है। वह हत्या और रेप में सीधे आरोपी नहीं है। उस पर गैर इरादतन हत्या और साक्ष्य छिपाने की धारा लगी है। इसलिए अदालत ने इसी आधार पर उसे जमानत दे दी।
घटना पर एक नजर
घटना-27 सितंबर 2010
अभियुक्त-चार। तीन अभी जेल में
आरोप पत्र बना-24 दिसंबर 2010
कुल गवाह-करीब 50
मजबूत साक्ष्य-डीएनए रिपोर्ट
अन्य साक्ष्य-परिस्थितिजन्य साक्ष्य की कड़ी
दिव्याकांड: कब क्या हुआ
27 सितंबर 2010-दिव्या से रेप, खून बहने और इलाज न मिलने से मौत
29 सितंबर 2010-स्कूल प्रबंधक चंद्रपाल और बेटे मुकेश की गिरफ्तारी
6 अक्टूबर 2010-पुलिस ने खोला केस, मुन्ना लोध की गिरफ्तारी
15 अक्टूबर 2010-स्कूल प्रबंधक के बेटे पियूष की गिरफ्तारी
23 अक्टूबर 2010-सीबीसीआईडी लखनऊ को दी गई जांच
9 नवंबर 2010-डीएनए टेस्ट के लिए कोर्ट में 14 लोगों के ब्लड सेंपुल, मुन्ना का पहले ही लिया जा चुका था
24 दिसंबर 2010-सीबीसीआईडी ने चंद्रपाल और मुकेश के खिलाफ चार्जशीट लगाई
1 जनवरी 2011-सीबीसीआईडी ने कोर्ट में अर्जी देकर मुन्ना को बेकसूर बताया
11 जनवरी 2011-डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के तहत पियूष के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
27 सितंबर 2011-एडीजे 10 की कोर्ट में अभियुक्तों पर चार्ज फ्रेम
मां बोली, ऐसे कैसे मिलेगा न्याय
दिव्या की मां सोनू भदौरिया का कहना है कि पुलिस की इसी तरह की लचर पैरवी रही तो उसे न्याय कैसे मिलेगा। उसे पुलिस पर शुरू से ही भरोसा नहीं था। इसीलिए उसने अपना वकील खड़ा कर रखा है। हाईकोर्ट में जाने की बात पता ही नहीं चला। वरना अपने वकील को कुछ करने के लिए कहती। अब गुरुवार को अपने वकील से मिलकर कुछ करने को कहेगी। सोनू ने कहा कि उसका गनर भी हटा दिया गया है। अब अभियुक्त बाहर आ रहे हैं। इसलिए उसके परिवार को खतरा बना रहेगा।