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कानपुर। कैबिनेट मंत्री शिवकुमार बेरिया की सिफारिश रंग लाई और चौधरी नाहर सिंह यादव के निधन के बाद सपा नगर-ग्रामीण जिला इकाई की कुरसी उनके छोटे भाई चौधरी निर्भय सिंह यादव को मिल गई। रविवार को हाई कमान ने उन्हें लखनऊ बुलाकर अध्यक्षी की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके साथ ही जिला इकाई में चल रहा ‘घमासान’ थम गया है। नवमनोनीत अध्यक्ष चौधरी निर्भय सिंह यादव का कहना है कि वे स्व. चौधरी नाहर सिंह यादव के सपनों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करेंगे।
सपा प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 3 जनवरी को स्व. चौधरी नाहर सिंह यादव के विकासनगर स्थित आवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे थे। यहां उन्होंने कैबिनेट मंत्री बेरिया से पूछा था कि जिला कौन संभालेगा? इस पर बेरिया ने निर्भय की तरफ इशारा कर दिया था। तभी मुख्यमंत्री ने निर्भय और नाहर सिंह के पुत्र दीपक सिंह यादव को लखनऊ आने के लिए कहा था। उस वक्त ग्रामीण जिला इकाई में अध्यक्षी हासिल करने के लिए गुटबाजी चरम पर थी।
निर्भय को अध्यक्षी के लिए अकबरपुर प्रत्याशी लाल सिंह तोमर की भी मंशा थी। नेताओं का कहना है कि नगर-ग्रामीण की अध्यक्षी के लिए पूर्व ब्लाक प्रमुख सुरेश यादव का गुट भी पूरी ताकत लगाए हुए थे। इसके अलावा विधायक मुनींद्र शुक्ल का गुट भी अलग-थलग था। नगर ग्रामीण के कुछ पदाधिकारी अध्यक्षी हथियाने के लिए सारे घोड़े छोड़े हुए थे। ये अलग-अलग नेताओं का दामन थाम रहे थे। नेताओं का कहना है कि निर्भय को अध्यक्ष बनाए रखना इसलिए भी जरुरी था कि बिल्हौर का वोट बैंक सपा के हाथ से घिसक जाता। यहां स्व. नाहर सिंह के परिवार का वर्चस्व रहा है। निर्भय खुद यहां से नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष हैं।
कानपुर। कैबिनेट मंत्री शिवकुमार बेरिया की सिफारिश रंग लाई और चौधरी नाहर सिंह यादव के निधन के बाद सपा नगर-ग्रामीण जिला इकाई की कुरसी उनके छोटे भाई चौधरी निर्भय सिंह यादव को मिल गई। रविवार को हाई कमान ने उन्हें लखनऊ बुलाकर अध्यक्षी की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके साथ ही जिला इकाई में चल रहा ‘घमासान’ थम गया है। नवमनोनीत अध्यक्ष चौधरी निर्भय सिंह यादव का कहना है कि वे स्व. चौधरी नाहर सिंह यादव के सपनों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करेंगे।
सपा प्रदेश अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 3 जनवरी को स्व. चौधरी नाहर सिंह यादव के विकासनगर स्थित आवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंचे थे। यहां उन्होंने कैबिनेट मंत्री बेरिया से पूछा था कि जिला कौन संभालेगा? इस पर बेरिया ने निर्भय की तरफ इशारा कर दिया था। तभी मुख्यमंत्री ने निर्भय और नाहर सिंह के पुत्र दीपक सिंह यादव को लखनऊ आने के लिए कहा था। उस वक्त ग्रामीण जिला इकाई में अध्यक्षी हासिल करने के लिए गुटबाजी चरम पर थी।
निर्भय को अध्यक्षी के लिए अकबरपुर प्रत्याशी लाल सिंह तोमर की भी मंशा थी। नेताओं का कहना है कि नगर-ग्रामीण की अध्यक्षी के लिए पूर्व ब्लाक प्रमुख सुरेश यादव का गुट भी पूरी ताकत लगाए हुए थे। इसके अलावा विधायक मुनींद्र शुक्ल का गुट भी अलग-थलग था। नगर ग्रामीण के कुछ पदाधिकारी अध्यक्षी हथियाने के लिए सारे घोड़े छोड़े हुए थे। ये अलग-अलग नेताओं का दामन थाम रहे थे। नेताओं का कहना है कि निर्भय को अध्यक्ष बनाए रखना इसलिए भी जरुरी था कि बिल्हौर का वोट बैंक सपा के हाथ से घिसक जाता। यहां स्व. नाहर सिंह के परिवार का वर्चस्व रहा है। निर्भय खुद यहां से नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष हैं।