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कानपुर। आयकर विभाग ने सॉफ्टवेयर निर्यातकों को टैक्स में सहूलियत देने का फैसला किया है। इस सिलसिले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 17 जनवरी को एक अधिसूचना जारी करते हुए यह व्यवस्था की है कि कोई भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान देश से बाहर जाकर सॉफ्टवेयर डेवलप करता है तो उसे भी आयकर विभाग सहूलियतें देगा।
आयकर एक्ट की धारा 10-ए, 10एए, एवं 10बी में सॉफ्टवेयर निर्यातकों को आयकर में छूट का विशेष प्रावधान है। कुछ महीने पहले आयकर विभाग ने इस विशेष छूट पर प्रश्नचिह्न लगाए जिसकी वजह से सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री ने वित्त मंत्रालय से विभिन्न बिंदुओं पर रियायत मांगी थी। इसे ध्यान में रखते हुए सीबीडीटी ने यह स्पष्ट किया है कि अगर कोई भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान भारत के बाहर जाकर (ऑन साइट) कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डेवलप करता है तो उसे भी आयकर की वह सारी सहूलियतें प्राप्त होंगी, जो भारत में सॉफ्टवेयर बनाकर निर्यात करने वालों को मिलती हैं। इसके अलावा यदि कोई सॉफ्टवेयर डेवलपर टेक्निकल मैनपावर (सॉफ्टवेयर इंजीनियर इत्यादि) मुहैया कराकर आय करते हैं तो ऐसी आय भी आयकर कानून के तहत करमुक्त होंगी। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रत्येक वर्क कांट्रेक्ट के लिए अलग मास्टर सर्विस एग्रीमेंट होना जरूरी नहीं है। साथ ही आयकर छूट के कार्यक्षेत्र को बढ़ाते हुए यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यावसायिक प्रतिष्ठान सॉफ्टवेयर रिसर्च एवं डेवलपमेंट के जरिए आय करता है तो ऐसी आय को भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात से प्राप्त आय मानी जाएगी। इसके तहत इसे भी आयकर छूट के लिए उपयुक्त माना जाएगा। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे निर्यातकों को अलग-अलग आयकर मुक्त और कर योग्य आय की अलग-अलग खाताबहियां रखने की आवश्यकता नहीं है। बोर्ड ने सॉफ्टवेयर निर्यातकों की एक अन्य व्यवहारिक दिक्कत को दूर करते हुए यह स्पष्टीकरण भी दिया है कि यदि कोई कंपनी अपने कार्यस्थल को एक से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करती है तो भी उसके आयकर मुक्ति के अधिकार पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। आयकर मामलों की विशेषज्ञ सीए पूजा श्रीवास्तव के मुताबिक इन स्पष्टीकरण से सॉफ्टवेयर निर्यातकों को एक नया प्रोत्साहन प्राप्त होगा। साथ ही साथ अनावश्यक रूप से आयकर विभाग और सॉफ्टवेयर निर्यातकों के बीच कानूनी विवादों से भी बचा जा सकेगा।
कानपुर। आयकर विभाग ने सॉफ्टवेयर निर्यातकों को टैक्स में सहूलियत देने का फैसला किया है। इस सिलसिले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 17 जनवरी को एक अधिसूचना जारी करते हुए यह व्यवस्था की है कि कोई भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान देश से बाहर जाकर सॉफ्टवेयर डेवलप करता है तो उसे भी आयकर विभाग सहूलियतें देगा।
आयकर एक्ट की धारा 10-ए, 10एए, एवं 10बी में सॉफ्टवेयर निर्यातकों को आयकर में छूट का विशेष प्रावधान है। कुछ महीने पहले आयकर विभाग ने इस विशेष छूट पर प्रश्नचिह्न लगाए जिसकी वजह से सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री ने वित्त मंत्रालय से विभिन्न बिंदुओं पर रियायत मांगी थी। इसे ध्यान में रखते हुए सीबीडीटी ने यह स्पष्ट किया है कि अगर कोई भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान भारत के बाहर जाकर (ऑन साइट) कंप्यूटर सॉफ्टवेयर डेवलप करता है तो उसे भी आयकर की वह सारी सहूलियतें प्राप्त होंगी, जो भारत में सॉफ्टवेयर बनाकर निर्यात करने वालों को मिलती हैं। इसके अलावा यदि कोई सॉफ्टवेयर डेवलपर टेक्निकल मैनपावर (सॉफ्टवेयर इंजीनियर इत्यादि) मुहैया कराकर आय करते हैं तो ऐसी आय भी आयकर कानून के तहत करमुक्त होंगी। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रत्येक वर्क कांट्रेक्ट के लिए अलग मास्टर सर्विस एग्रीमेंट होना जरूरी नहीं है। साथ ही आयकर छूट के कार्यक्षेत्र को बढ़ाते हुए यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यावसायिक प्रतिष्ठान सॉफ्टवेयर रिसर्च एवं डेवलपमेंट के जरिए आय करता है तो ऐसी आय को भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात से प्राप्त आय मानी जाएगी। इसके तहत इसे भी आयकर छूट के लिए उपयुक्त माना जाएगा। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे निर्यातकों को अलग-अलग आयकर मुक्त और कर योग्य आय की अलग-अलग खाताबहियां रखने की आवश्यकता नहीं है। बोर्ड ने सॉफ्टवेयर निर्यातकों की एक अन्य व्यवहारिक दिक्कत को दूर करते हुए यह स्पष्टीकरण भी दिया है कि यदि कोई कंपनी अपने कार्यस्थल को एक से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करती है तो भी उसके आयकर मुक्ति के अधिकार पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। आयकर मामलों की विशेषज्ञ सीए पूजा श्रीवास्तव के मुताबिक इन स्पष्टीकरण से सॉफ्टवेयर निर्यातकों को एक नया प्रोत्साहन प्राप्त होगा। साथ ही साथ अनावश्यक रूप से आयकर विभाग और सॉफ्टवेयर निर्यातकों के बीच कानूनी विवादों से भी बचा जा सकेगा।