कानपुर। सलमान खुर्शीद हाजिर हों...! आप चौक गए होंगे, आखिर कानून मंत्री के नाम की किस कोर्ट में मुनादी लगा दी गई। मुनादी ही क्या उन पर मुकदमा भी चला और कोर्ट ने उन्हें पत्नी के साथ ट्रस्ट के नाम पर विकलांगों की मोटी रकम खाने का दोषी भी पाया। अदालत में जज ने फैसला सुनाया कि यूं तो इस अपराध के लिए सलमान की चल, अचल संपत्ति कुर्क की जानी चाहिए। साथ ही उन्हें कठोर दंड मिलना चाहिए। लेकिन महात्मा गांधी के आदर्श कहते हैं कि इसका फैसला जनता पर छोड़ा दिया जाए। दरअसल ये फैसला रविवार को शिक्षक पार्क, नवीन मार्केट में इंडिया अगेंस्ट करप्शन की प्रतीकात्मक अदालत में सुनाया गया।
जनता की अदालत में सलमान खुर्शीद की भूमिका में संस्था के वरिष्ठ सदस्य केपी ओबरॉय ने विकलांगों के प्रति असंवेदनशीलता व्यक्त करते हुए स्वयं को निर्दोष बताया। इस अदालत में संस्था की ओर से जिरह करने वाले वकील डा. अमित अवस्थी और जनता की ओर से जिरह करने वाले वकील राघव तिवारी (एडवोकेट) ने सलमान खुर्शीद पर सवाल दागे कि उन्होंने किस तरह से झूठे कैंप आयोजित करके विकलांगों का फायदा उठाया। जनता के वकील ने कहा कि इससे जनता में आक्रोश है। जिस पर सलमान ने टूजी, कोयला और कॉमनवेल्थ घोटालों का हवाला देकर कई दलीलें पेश की। प्रतीकात्मक अदालत में जनता के रूप में कई सदस्यों ने भी सवाल दागे। उधर जिरह सुनने के बाद जज बने अरविंद बाजपेयी और बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं महामंत्री गणेश दीक्षित ने अपना फैसला सुनाया। इसमें पेशकार की भूमिका संस्था के नगर प्रभारी योगेश श्रीवास्तव, अर्दली ओमशंकर दत्ता और सूरज मौजूद थे। स्क्रिप्ट राइटिंग रंगकर्मी संजीबा ने लिखी। निर्देशन आदित्य बाजपेयी ने किया।
कानपुर। सलमान खुर्शीद हाजिर हों...! आप चौक गए होंगे, आखिर कानून मंत्री के नाम की किस कोर्ट में मुनादी लगा दी गई। मुनादी ही क्या उन पर मुकदमा भी चला और कोर्ट ने उन्हें पत्नी के साथ ट्रस्ट के नाम पर विकलांगों की मोटी रकम खाने का दोषी भी पाया। अदालत में जज ने फैसला सुनाया कि यूं तो इस अपराध के लिए सलमान की चल, अचल संपत्ति कुर्क की जानी चाहिए। साथ ही उन्हें कठोर दंड मिलना चाहिए। लेकिन महात्मा गांधी के आदर्श कहते हैं कि इसका फैसला जनता पर छोड़ा दिया जाए। दरअसल ये फैसला रविवार को शिक्षक पार्क, नवीन मार्केट में इंडिया अगेंस्ट करप्शन की प्रतीकात्मक अदालत में सुनाया गया।
जनता की अदालत में सलमान खुर्शीद की भूमिका में संस्था के वरिष्ठ सदस्य केपी ओबरॉय ने विकलांगों के प्रति असंवेदनशीलता व्यक्त करते हुए स्वयं को निर्दोष बताया। इस अदालत में संस्था की ओर से जिरह करने वाले वकील डा. अमित अवस्थी और जनता की ओर से जिरह करने वाले वकील राघव तिवारी (एडवोकेट) ने सलमान खुर्शीद पर सवाल दागे कि उन्होंने किस तरह से झूठे कैंप आयोजित करके विकलांगों का फायदा उठाया। जनता के वकील ने कहा कि इससे जनता में आक्रोश है। जिस पर सलमान ने टूजी, कोयला और कॉमनवेल्थ घोटालों का हवाला देकर कई दलीलें पेश की। प्रतीकात्मक अदालत में जनता के रूप में कई सदस्यों ने भी सवाल दागे। उधर जिरह सुनने के बाद जज बने अरविंद बाजपेयी और बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं महामंत्री गणेश दीक्षित ने अपना फैसला सुनाया। इसमें पेशकार की भूमिका संस्था के नगर प्रभारी योगेश श्रीवास्तव, अर्दली ओमशंकर दत्ता और सूरज मौजूद थे। स्क्रिप्ट राइटिंग रंगकर्मी संजीबा ने लिखी। निर्देशन आदित्य बाजपेयी ने किया।