कन्नौज। केके इंटरकालेज मैदान से उनकी बहू डिंपल यादव के सियासी सफर की शुरुआत होगी। पांच जून को पहली बार इसी मैदान से वह जनता को संबोधित करेंगी।
इसी मैदान पर 1999 में सपा मुखिया ने जनसभा की थी। तब वह खुद सपा प्रत्याशी थे। संभल व कन्नौज दोनों जगह से जीतने के बाद इस्तीफा देने का नंबर आया तो उन्होंने अपने राजनैतिक गुरु डा. राम मनोहर लोहिया की कर्मभूमि को अपने बेटे के हवाले करने का निर्णय लिया। इसके बाद वर्ष 2000 में हुए उप चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश यादव के सियासी कैरियर का श्रीगणेश भी इसी मैदान से कराया था। यहीं पर हुई चुनावी जनसभा के दौरान अखिलेश को कन्नौज की जनता के सामने पेश किया गया था। तब तमाम विपरीत सियासी हालातों को दरकिनार कर यहां की सरजमीं ने अखिलेश को हाथोंहाथ लेकर पिता से ज्यादा मतों से जितवाकर सांसद चुना था।
पार्टी नेताओं की मानें तो सपा सुप्रीमो जीटी रोड से कन्नौज शहर जाने वाले मार्ग पर स्थित केके इंटरकालेज मैदान को शुभ मानते हैं। इसी मैदान से चले अखिलेश ने अपने छोटे से राजनैतिक जीवन में जो ऊंचाइयां हासिल कीं, उससे विश्वास और पक्का हुआ है। 5 जून को नामांकन के बाद होने वाली डिंपल की पहली सभा को ऐतिहासिक बनाने के लिए सपा के गांव गली से लेकर लखनऊ तक के नेता जी-जान से जुटे हैं। बाबा हाजी शरीफ की दरगाह और हर्षकालीन बाबा गौरीशंकर मंदिर में माथा टेकने की भी तैयारी चल रही है।
नामांकन जुलूस में जनसैलाब उमड़ने के आसार है, जिसके बारे में सोचकर ही प्रशासन हलाकान है। भीड़ को नियंत्रित कर पाना प्रशासन के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। सुरक्षा तंत्र मजबूत करने के साथ ही सपा के बड़े नेताओं से संपर्क साधा जा रहा है ताकि उनके सहयोग से कार्यकर्ताओं को काबू में किया जा सके।