कन्नौज। प्रशासन ने मंडी समितियों के कुछ आढ़तियों को गेहूं खरीद के लिए लाइसेंस प्रदान किए थे। लेकिन आढ़तियों ने शुरुआत से ही किसानों को गुमराह करके औने-पौने दामों में गेहूं खरीद करनी शुरू कर दी। इसका किसानों ने विरोध भी जताया। साथ ही किसी भी आढ़ती ने अपनी दुकान पर सरकारी खरीद का बैनर भी नहीं टांगा। इस खबर को अमर उजाला ने दो बार प्रमुखता से प्रकाशित किया। प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और अग्रिम आदेशों तक आढ़तियों से गेहूं खरीद कार्य बंद कराने की संस्तुति की है।
गौरतलब है कि शासन ने गेहूं खरीद के लिए समर्थन मूल्य 1285 रुपया घोषित किया। वारदाना की कमी को देखते हुए प्रशासन ने कृषकों के हित में क्रय एजेंसियों के साथ-साथ आढ़तियों के माध्यम से भी किसानों से गेहूं क्रय कराए जाने के लिए जनपद के 64 आढ़तियों को मूल्य समर्थन योजनान्तर्गत गेहूं खरीद हेतु विपणन शाखा का सब एजेंट नियुक्त किया था।लेकिन आढ़तियों ने किसानों को गुमराह करके औने पौने दामों में गेहूं खरीदना शुरू कर दिया। साथ ही किसी भी आढ़ती ने अपनी दुकान पर कोई भी किसी तरह का बैनर नहीं टांगा। जिसकी लगातार शिकायतें जिला प्रशासन को मिलती रहीं। इसपर प्रशासन सख्त हुआ और उसने आढ़तियों को अगले आदेश तक गेहूं खरीद ने पर रोक लगा दी।
इस विषय में जिला खाद्य विपणन अधिकारी रामबख्स ने बताया कि आढ़तियों ने आदेशों का अनुपालन नहीं किया । आढ़तियों द्वारा भारी संख्या में ट्रकें एसडब्लूसी गोदामों पर भेजने से भारतीय खाद्य निगम डिपो खड़नी व छिबरामऊ पर अव्यवस्था उत्पन्न हो गई, और ट्रकों की लंबी लाइन लगने के कारण क्रय संस्थाओं द्वारा क्रय गेहूं की भारी मात्रा में भारतीय खाद्य निगम को डिलीवरी नहीं हो पा रही है। गेहूं से भरी ट्रकें 4-5 दिन तक खड़ी रहने से क्रय संस्थाओं को ट्रक मालिकों को हाल्टेज के रुप में अत्यधिक धनराशि अनावश्यक रुप से व्यय करनी पड़ रही है।
एचडब्लूसी गोदाम छिबरामऊ व खड़नी खरीदे गए गेहूं से भर चुके हैं। इस कारण क्रय संस्थाओं के जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा जनपद के सीमांत व लघु कृषकों के व्यापक हित को दृष्टिगत रखते हुए क्रय केंद्रों पर अनडिलीवर्ड गेहूं भारतीय खाद्य निगम को डिलीवर कर समर्थन मूल्य योजनान्तर्गत खरीद कार्य सुचारु रुप से कराए जाने के लिए अग्रिम आदेशों तक आढ़तियों से गेहूं खरीद कार्य बंद कराए जाने की संस्तुति की गई है।