कन्नौज। आम के वृक्षों में समय से पूर्व बौर यानी प्री-मंजरी से किसान अनभिज्ञ नहीं हैं। देर सवेर हर बाग मालिक को इस समस्या से जूझना पड़ता है। इससे फसल का उत्पादन भी प्रभावित होता है। इसके लिए किसानों को अपने बागों विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। समय से निराई-गुड़ाई के अलावा कमजोर व घनी शाखाओं की छंटाई भी कराई जानी चाहिए।
मालूम हो कि जनपद में अमरूद के बाद आम को महत्व दिया जाता है। मानपुर के राजकीय उद्यानिक पौधशाला के प्रभारी रमाकांत शुक्ला ने बताया कि आम की फसल तैयार करने वाले किसानों को बरसात समाप्त होने पर बागों की ट्रैक्टर या मजदूरों की सहायता से अच्छी तरह गुड़ाई करा देनी चाहिए। यही नहीं किसानों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वृक्षों की सभी शाखाओं को सूर्य का प्रकाश मिले। तभी शाखाएं स्वस्थ होकर स्वाभाविक रूप से विकास कर सकेंगी और उनमें आने वाला बौर (मंजरी) टिकाऊ होगा। आम के वृक्षों में समय से पूर्व आने वाली प्री-मंजरी के बारे में उन्होंने बताया कि जानकारी के अभाव में किसान फसल से पहले बागों की तैयारी में लापरवाही बरतते हैं। इसके चलते आम के वृक्षों में समय से पहले ही बौर आ जाता है। देखभाल के अभाव में वृक्षों की काफी शाखाओं में बौर आता ही नहीं है या फिर आ भी जाए तो टिकता नहीं है। ऐसे वृक्षों को चिह्नित कर किसान वैज्ञानिकों के परामर्श से दवाओं व शाखाओं की छंटाई कर अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं।