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झांसी। बिजली विभाग ने अब मीटरों में कारस्तानी कर विभाग को चूना लगाने वाले उपभोक्ताओं पर शिकंजा कसने के लिए मीटर रीडरों को अपना हथियार बनाने का फैसला किया है। विभागीय अभियान के अलावा हर महीने रीडिंग के लिए मीटर तक पहुंचने वाले रीडर यह परखेंगे कि उपभोक्ता कहीं गड़बड़ी तो नहीं कर रहा है। संदेह होने की स्थिति में रीडर विभागीय अधिकारियों को सूचित करेगा। इसके बाद विभाग द्वारा कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
महानगर के विद्युत वितरण खंड एक में पैंतालीस हजार व दूसरे में चवालीस हजार से अधिक उपभोक्ता हैं। इनमें बीस हजार से अधिक ऐसे बिजली उपभोक्ता हैं, जिनके बिलों में सौ व इससे कम रीडिंग आ रही है, जबकि विद्युत अफसरों का मानना है कि अगर किसी उपभोक्ता ने एक किलोवाट का संयोजन ले रखा है तो कम से डेढ़ सौ के इर्द- गिर्द रीडिंग तो आनी ही चाहिए। अगर उसकी रीडिंग कम आ रही है तो वह निश्चित ही मीटर में कारस्तानी कर बिजली चोरी कर रहा है अथवा कंपनी के कर्मचारियों को सुविधा शुल्क देकर हर माह आने वाले बिल में कम रीडिंग भरवा रहा है। दरअसल, हजारों में रीडिंग इकट्ठा होने पर उपभोक्ता मीटर में कोई न कोई खराबी बतलाकर बदलवा लेता है। पिछले छह माह से चल रही चेकिंग में ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर मीटरों में कारस्तानी पकड़ी गई। इनमें अधिकतर ने या तो मीटर में रिमोट या शंट (मीटर को धीमा करने वाला उपकरण) लगा रखा था अथवा मीटर बाईपास कर बिजली चोरी कर रहे थे। इतना ही नहीं मीटर की रीडिंग भी बिल की चुगली करती नजर आई। मीटर और बिल की रीडिंग में काफी अंतर था।
इसे देखते हुए दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि अभियान के साथ- साथ बिजली चोरों को पकड़ने की जिम्मेदारी मीटर रीडरों को सौंपी जाए। मीटर रीडर की पहुंच घर- घर में रहती है और वह चोरों को पकड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना नहीं देने वाले रीडरों के क्षेत्र में विभागीय चेकिंग के दौरान बिजली चोरी का मामला पकड़े जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
‘ बिल जारी करने वाली कंपनी से संदिग्ध उपभोक्ताओं की सूची मांगी गई है। अगर मीटर में रीडिंग छूटी मिली तो संबंधित क्षेत्र के मीटर रीडर के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।’
पंकज अग्रवाल
अधिशासी अभियंता (द्वितीय)
झांसी। बिजली विभाग ने अब मीटरों में कारस्तानी कर विभाग को चूना लगाने वाले उपभोक्ताओं पर शिकंजा कसने के लिए मीटर रीडरों को अपना हथियार बनाने का फैसला किया है। विभागीय अभियान के अलावा हर महीने रीडिंग के लिए मीटर तक पहुंचने वाले रीडर यह परखेंगे कि उपभोक्ता कहीं गड़बड़ी तो नहीं कर रहा है। संदेह होने की स्थिति में रीडर विभागीय अधिकारियों को सूचित करेगा। इसके बाद विभाग द्वारा कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
महानगर के विद्युत वितरण खंड एक में पैंतालीस हजार व दूसरे में चवालीस हजार से अधिक उपभोक्ता हैं। इनमें बीस हजार से अधिक ऐसे बिजली उपभोक्ता हैं, जिनके बिलों में सौ व इससे कम रीडिंग आ रही है, जबकि विद्युत अफसरों का मानना है कि अगर किसी उपभोक्ता ने एक किलोवाट का संयोजन ले रखा है तो कम से डेढ़ सौ के इर्द- गिर्द रीडिंग तो आनी ही चाहिए। अगर उसकी रीडिंग कम आ रही है तो वह निश्चित ही मीटर में कारस्तानी कर बिजली चोरी कर रहा है अथवा कंपनी के कर्मचारियों को सुविधा शुल्क देकर हर माह आने वाले बिल में कम रीडिंग भरवा रहा है। दरअसल, हजारों में रीडिंग इकट्ठा होने पर उपभोक्ता मीटर में कोई न कोई खराबी बतलाकर बदलवा लेता है। पिछले छह माह से चल रही चेकिंग में ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर मीटरों में कारस्तानी पकड़ी गई। इनमें अधिकतर ने या तो मीटर में रिमोट या शंट (मीटर को धीमा करने वाला उपकरण) लगा रखा था अथवा मीटर बाईपास कर बिजली चोरी कर रहे थे। इतना ही नहीं मीटर की रीडिंग भी बिल की चुगली करती नजर आई। मीटर और बिल की रीडिंग में काफी अंतर था।
इसे देखते हुए दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि अभियान के साथ- साथ बिजली चोरों को पकड़ने की जिम्मेदारी मीटर रीडरों को सौंपी जाए। मीटर रीडर की पहुंच घर- घर में रहती है और वह चोरों को पकड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना नहीं देने वाले रीडरों के क्षेत्र में विभागीय चेकिंग के दौरान बिजली चोरी का मामला पकड़े जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
‘ बिल जारी करने वाली कंपनी से संदिग्ध उपभोक्ताओं की सूची मांगी गई है। अगर मीटर में रीडिंग छूटी मिली तो संबंधित क्षेत्र के मीटर रीडर के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।’
पंकज अग्रवाल
अधिशासी अभियंता (द्वितीय)