झांसी। नगर क्षेत्र के कई हिस्सों के लोगों को जहां जलसंकट से जूझना पड़ रहा है, वहीं पहूज बांध के गेटों की रिपेयरिंग न होने से निरंतर यहां से रिस कर बेकार बहने वाले पानी की मात्रा बढ़ती जा रही है। इस समय करीब एक एमएलडी पानी रोजाना बर्बाद हो रहा है। इस पानी को बचा कर रखा जाए तो कम से कम पांच सौ परिवारों की प्यास रोजाना बुझाई जा सकती है।
पहूज बांध का जलस्तर 234.09 मीटर है, जबकि वर्तमान में उसमें 231.0 मीटर पानी है। इस बांध से प्रतिदिन दस एमएलडी कच्चा पानी दतिया गेट फिल्टर को दिया जाता है। इस पानी से शहर के दतिया गेट, फिल्टर रोड, सराय, अलीगोल, उन्नाव गेट, मुकरयाना, चार खंभा समेत कई हिस्सों की प्यास बुझती है। वहीं, बांध का उचित रखरखाव नहीं होने के कारण यहां से एक एमएलडी पानी रोजाना बेकार बह जाता है। दरअसल, 110 वर्ष पुराने इस बांध के दोनों गेटों की रबड़ सील पूरी तरह खराब हो चुकी है, इस कारण गेटों के नीचे से हर समय पानी का रिसाव होता रहता है। इसकी मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। रिसाव के कारण गर्मी आते- आते बांध में जल स्तर गिर जाता है। इस कारण पानी में आक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है और यह हरा व गंदा हो जाता है। इस पानी को तमाम प्रयास के बाद भी साफ करना संभव नहीं हो पाता। नतीजतन, लोगों को गंदा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता (बेतवा नहर) एम एल अग्रवाल ने बताया कि बांध में दो गेट हैं। इनकी एक - एक कर मरम्मत करना संभव नहीं है। गेटों की रिपयेरिंग करने के लिए बांध को खाली करना पड़ेगा। अगर जल संस्थान वैकल्पिक व्यवस्था कर बरसात शुरू होने से पंद्रह दिन पहले यहां से कच्चा पानी लेना बंद कर दे तो वह इस अवधि में गेटों की रिपेयरिंग करा लेंगे।
सफाई हुई तो जलाशय की भी बढ़ेगी क्षमता
झांसी। सिंचाई विभाग के आंकड़ों में पहूज बांध के जलाशय की पूर्ण जल क्षमता 18.23 मीट्रिक घन मीटर है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। एक सौ दस साल पुराने बांध की सफाई न होने के कारण सिल्ट जमने से इसकी क्षमता घट कर आधी से भी कम हो गई है। इसके अलावा सीपरी बाजार क्षेत्र से आए नालों की गंदगी भी इसमें मिल जाती है। इस कारण जलाशय में गंदगी भी भरी पड़ी है। बांध को खाली कर सफाई करा दी जाए इसकी क्षमता फिर से बढ़ाई जा सकती है।