पूविवि में आयोजित अल्ट्रासोनिक सम्मेलन के समापन समारोह में प्रस्तुति देते कुलपति एवं अवधेश जी म
- फोटो : JAUNPUR
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छाप तिलक सब छीनी, मोसे नैना मिलाइके - ठुमरी और तराने पर गूंजी तालियां, मृदंग ने बांधा समा - सांस्कृतिक संध्या में विशाल कृष्ण के कथक ने मनमोहा अमर उजाला ब्यूरो जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महंत अवैद्यनाथ सभागार में चल रहे तीन दिवसीय अत्याधुनिक तकनीक के लिए अल्ट्रासोनिक एवं पदार्थविज्ञान विषयक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की दूसरी शाम सांस्कृतिक आयोजनों के नाम रही। वोकल में ठुमरी और तराने ने जहां श्रोताओंके मन में जोश पैदा किया, वही मृदंग वादन ने लोगों के मन झंकृत कर दिया। विशाल कृष्ण के घुंघरू की खनक पर पूरा सभागार झूम उठा। सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ प्रसिद्ध मृदंग वादक पं.अवधेश जी महाराज ने किया।उन्होंने मृदंग से डमरू की आवाज, नादक ध्वनि, मृदंगत ध्वनि सेलोगों का मन मोह लिया। इसके बाद उन्होंने चार ताल की प्रस्तुति की। कुलपति प्रो.डॉ.राजाराम यादव ने रामायण में रावण-मंदोदरी संवाद को रामकाफी की बंदिश करतरार मोरा सैयां... से शुरुआत की। इसके बाद बाजत जब मृदंग..., कैसे करी बरजोरी...जैसे ही सुनाया पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजने लगा। कुलपति के साथसंगत आशीष जायसवाल ने किया। बनारस घराने से आए कलाकार विशाल कृष्ण नेदेवी सुरेश्वरी हर-हर गंगे... गीत पर कथक से गंगा आरती की।इसके बाद राधा-कृष्ण के प्रेम का वर्णन करते हुए नृत्य की प्रस्तुति की।फिर गजल और सूफी गाने की धुन को कथक के माध्यम से अपने शरीर की भाव भंगिमा मेंउतारा तो दर्शक ताली बजाने पर मजबूर हो गए। समारोह के अंत में खुशरो साहब की रचनाछाप तिलक सब छीनी, मोसे नैना मिला के... पर लोग कुर्सियों से खड़े होकर झूमने लगे। कलाकारोंको कुलपति प्रो.डॉ.राजाराम यादव, प्रो.विक्रम कुमार, प्रो.नीको डिक्लिरिक, प्रो.पी.पलानीचामी, प्रो.वीआर तभाने ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। कथक कलाकारोंकी टीम में विशाल कृष्ण के साथ उनकी बहन श्रीयान कृष्ण, अर्चना सिंह और स्पेन की नूरिया काबो थी। संचालन डॉ मनोज मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन डॉ मेहरबान ने किया।
छाप तिलक सब छीनी, मोसे नैना मिलाइके
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- ठुमरी और तराने पर गूंजी तालियां, मृदंग ने बांधा समा - सांस्कृतिक संध्या में विशाल कृष्ण के कथक ने मनमोहा अमर उजाला ब्यूरो जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महंत अवैद्यनाथ सभागार में चल रहे तीन दिवसीय अत्याधुनिक तकनीक के लिए अल्ट्रासोनिक एवं पदार्थविज्ञान विषयक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की दूसरी शाम सांस्कृतिक आयोजनों के नाम रही। वोकल में ठुमरी और तराने ने जहां श्रोताओंके मन में जोश पैदा किया, वही मृदंग वादन ने लोगों के मन झंकृत कर दिया। विशाल कृष्ण के घुंघरू की खनक पर पूरा सभागार झूम उठा। सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ प्रसिद्ध मृदंग वादक पं.अवधेश जी महाराज ने किया।उन्होंने मृदंग से डमरू की आवाज, नादक ध्वनि, मृदंगत ध्वनि सेलोगों का मन मोह लिया। इसके बाद उन्होंने चार ताल की प्रस्तुति की। कुलपति प्रो.डॉ.राजाराम यादव ने रामायण में रावण-मंदोदरी संवाद को रामकाफी की बंदिश करतरार मोरा सैयां... से शुरुआत की। इसके बाद बाजत जब मृदंग..., कैसे करी बरजोरी...जैसे ही सुनाया पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजने लगा। कुलपति के साथसंगत आशीष जायसवाल ने किया। बनारस घराने से आए कलाकार विशाल कृष्ण नेदेवी सुरेश्वरी हर-हर गंगे... गीत पर कथक से गंगा आरती की।इसके बाद राधा-कृष्ण के प्रेम का वर्णन करते हुए नृत्य की प्रस्तुति की।फिर गजल और सूफी गाने की धुन को कथक के माध्यम से अपने शरीर की भाव भंगिमा मेंउतारा तो दर्शक ताली बजाने पर मजबूर हो गए। समारोह के अंत में खुशरो साहब की रचनाछाप तिलक सब छीनी, मोसे नैना मिला के... पर लोग कुर्सियों से खड़े होकर झूमने लगे। कलाकारोंको कुलपति प्रो.डॉ.राजाराम यादव, प्रो.विक्रम कुमार, प्रो.नीको डिक्लिरिक, प्रो.पी.पलानीचामी, प्रो.वीआर तभाने ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। कथक कलाकारोंकी टीम में विशाल कृष्ण के साथ उनकी बहन श्रीयान कृष्ण, अर्चना सिंह और स्पेन की नूरिया काबो थी। संचालन डॉ मनोज मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन डॉ मेहरबान ने किया।
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