मल्हनीबाजार (जौनपुर)। देहरादून एक्सप्रेस दुर्घटना की जांच के लिए तीन दिनों तक लखनऊ में डेरा जमाए रहे कर्मचारियों को वापस कर दिया गया। इन्हें आठ और नौ जून को फिर सीआरएस जांच के लिए लखनऊ तलब किया गया है। बताया गया कि दून एक्सप्रेस के डिब्बों की टेक्निकल जांच रिपोर्ट नहीं आने के कारण कर्मचारियों से पूछताछ नहीं हो सकी। दून के एसी समेत आठ कोचों की जांच फैजाबाद में की जा रही थी। उधर, बताया जाता है कि हादसे की वजह एक-दूसरे पर थोपने की कोशिश के चलते रेलवे के आपरेटिंग और इंजीनियरिंग विभाग में टकराव की स्थिति बन गई है।
गौरतलब है कि 31 मई को दोपहर के वक्त मिहरावां स्टेशन के पास दून एक्सप्रेस के पांच डिब्बे पलट गए थे तथा पांच डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में तीन की मौत हो गई थी और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे। हादसे के दूसरे दिन मौका मुआयना करने पहुंचे रेल मंत्री मुकुल रॉय ने सीआरएस जांच के आदेश दिए थे। घटना वाले दिन दून एक्सप्रेस की छह बोगियों को बगैर किसी जांच के रवाना कर दिया गया। फैजाबाद पहुंचते-पहुंचते इन बोगियों से धुंआ निकलने लगा। बताया गया कि हाट एक्सल के कारण बोगियों से धुआं उठा था। एसी बोगियों को काटकर फैजाबाद में खड़ा करा दिया गया। उधर, सीआरएस ने मिरहावां, महंगावां, जौनपुर, खेतासराय तथा शाहगंज के एसएस, एसएम, गेटमैन, पोर्टर तक को जांच के लिए चार से छह जून तक लखनऊ जांच के लिए बुलाया था। उधर, फैजाबाद में दून एक्सप्रेस की बोगियों की जांच के लिए एक्सपर्ट टीम रवाना की गई थी।
एक रेलवे इंजीनियर ने बताया कि कोच डिपो अधिकारी बोगियों की रीडिंग प्रोफार्मा के मुताबिक देने की बात कह रहे हैं। जांच के दौरान एसी डिब्बे में जो कमी है उसे लिखने से इनकार कर रहे हैं। ताकि कोच डिपो विभाग के लोग सुरक्षित रहें। दुर्घटना की वजह रेल पथ विभाग पर थोपने की कोशिश की जा रही है। इसके चलते रेलवे के आपरेटिंग और इंजीनियरिंग विभाग में टकराव की स्थिति बन गई है। यह मामला रेलवे की दोनों यूनियनों तक पहुंच गया है। रेल कर्मचारियों ने बताया कि वह तीन दिनों तक लखनऊ मंडल कार्यालय में भटकते रहे। बताया गया कि सीआरएस जांच के सिलसिले में फैजाबाद गए हुए हैं। इस नाते अब सभी को आठ और नौ जून को फिर लखनऊ बुलाया गया है। रेल मंत्री के आदेश के मुताबिक जांच दस जून तक पूरी करनी है।
मल्हनीबाजार (जौनपुर)। देहरादून एक्सप्रेस दुर्घटना की जांच के लिए तीन दिनों तक लखनऊ में डेरा जमाए रहे कर्मचारियों को वापस कर दिया गया। इन्हें आठ और नौ जून को फिर सीआरएस जांच के लिए लखनऊ तलब किया गया है। बताया गया कि दून एक्सप्रेस के डिब्बों की टेक्निकल जांच रिपोर्ट नहीं आने के कारण कर्मचारियों से पूछताछ नहीं हो सकी। दून के एसी समेत आठ कोचों की जांच फैजाबाद में की जा रही थी। उधर, बताया जाता है कि हादसे की वजह एक-दूसरे पर थोपने की कोशिश के चलते रेलवे के आपरेटिंग और इंजीनियरिंग विभाग में टकराव की स्थिति बन गई है।
गौरतलब है कि 31 मई को दोपहर के वक्त मिहरावां स्टेशन के पास दून एक्सप्रेस के पांच डिब्बे पलट गए थे तथा पांच डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में तीन की मौत हो गई थी और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे। हादसे के दूसरे दिन मौका मुआयना करने पहुंचे रेल मंत्री मुकुल रॉय ने सीआरएस जांच के आदेश दिए थे। घटना वाले दिन दून एक्सप्रेस की छह बोगियों को बगैर किसी जांच के रवाना कर दिया गया। फैजाबाद पहुंचते-पहुंचते इन बोगियों से धुंआ निकलने लगा। बताया गया कि हाट एक्सल के कारण बोगियों से धुआं उठा था। एसी बोगियों को काटकर फैजाबाद में खड़ा करा दिया गया। उधर, सीआरएस ने मिरहावां, महंगावां, जौनपुर, खेतासराय तथा शाहगंज के एसएस, एसएम, गेटमैन, पोर्टर तक को जांच के लिए चार से छह जून तक लखनऊ जांच के लिए बुलाया था। उधर, फैजाबाद में दून एक्सप्रेस की बोगियों की जांच के लिए एक्सपर्ट टीम रवाना की गई थी।
एक रेलवे इंजीनियर ने बताया कि कोच डिपो अधिकारी बोगियों की रीडिंग प्रोफार्मा के मुताबिक देने की बात कह रहे हैं। जांच के दौरान एसी डिब्बे में जो कमी है उसे लिखने से इनकार कर रहे हैं। ताकि कोच डिपो विभाग के लोग सुरक्षित रहें। दुर्घटना की वजह रेल पथ विभाग पर थोपने की कोशिश की जा रही है। इसके चलते रेलवे के आपरेटिंग और इंजीनियरिंग विभाग में टकराव की स्थिति बन गई है। यह मामला रेलवे की दोनों यूनियनों तक पहुंच गया है। रेल कर्मचारियों ने बताया कि वह तीन दिनों तक लखनऊ मंडल कार्यालय में भटकते रहे। बताया गया कि सीआरएस जांच के सिलसिले में फैजाबाद गए हुए हैं। इस नाते अब सभी को आठ और नौ जून को फिर लखनऊ बुलाया गया है। रेल मंत्री के आदेश के मुताबिक जांच दस जून तक पूरी करनी है।