जौनपुर। दून एक्सप्रेस हादसे में मृतकों की संख्या को लेकर संशय बरकरार है। घटनास्थल से तीन शव ही बरामद किए गए। इसके बाद न तो शवों की खोज हुई और न ही स्थिति साफ हो पाई। पुलिस और प्रशासन भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। केवल यही कहा जा रहा है कि जमीदोज पांचों बोगियां जब तक नहीं उठाई जाती तब तक मौत से परदा नहीं हटेगा। बोगियां हटाना मामूली बात नहीं है। रेलवे की क्रेन ही बोगियों को उठाएगी। जब तक बोगियां नहीं उठ जाती तब तक मुकम्मल तौर पर मृतकों की संख्या साफ नहीं हो पाएगी। बोगियों की हालत देख आम जनमानस मृतकों की संख्या को लेकर सवाल उठा रहा है। फिलहाल केवल तीन ही शव बरामद किए गए।
रात 11 बजे आदर्श राज का शव बरामद कर लेने के बाद रेलवे और प्रशासन ने शवों की खोज का काम बंद कर दिया था। रात में रेलवे ट्रैक बहाल करने की कोशिशें शुरू हुई। गुरुवार देर रात तक अंबेडकरनगर अलापुर थाने के फरीदपुर निवासी नीरज जायसवाल, भभुआ के आदर्शराज मिश्रा तथा जलालपुर थाने के लालपुर निवासी विनोद सोनकर के शव बरामद कर लिए गए थे। विनोद सोनकर ट्रेन में खीरा, ककड़ी बेचता था। इन तीनों शवों के बाद कोई दूसरा शव बरामद नहीं किया गया। देर रात के बाद शवों की खोजबीन भी बंद कर दी गई। रेलवे के अफसर यातायात बहाल करने में लग गए और प्रशासन अपने रोज के काम में व्यस्त हो गया। इस नाते मरने वालों की संख्या साफ नहीं हो सकी। वहीं आसपास और जिले के आम लोग यह मानने को तैयार नहीं है कि मृतकों की संख्या तीन ही है। हादसे के बाद अनुमान लगाया गया था कि मृतकों की संख्या पांच हो सकती है लेकिन तीन ही शव बरामद हो पाए। यह भी सही है कि जमीन पर पलटी पांचों बोगियों को नहीं हटाया जा सका। अलबत्ता रेलवे के अफसरों ने ट्रैक से उतरी दो बोगियों को और धकेल दिया। रेलवे ट्रैक बहाल करने के बाद सभी मौके से भी चले गए। अब न तो लाशों को खोजने का काम हो रहा है और न ही कोई यह बताने को तैयार है कि मृतकों की संख्या कितनी थी। फिलहाल पुलिस ने तीनों शवों का पोस्टमार्टम कराया है। प्रशासन की दलील है कि रेलवे डिब्बों को उठाए बगैर मुकम्मल तौर पर मरने वालों की संख्या घोषित नहीं की जा सकती। ऐसी स्थिति में मृतकों की संख्या को लेकर संशय बना हुआ है।