जौनपुर। भाजपा में इस्तीफों का दौर सा चल गया है। खासकर जफराबाद विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोगों का। दो दिन पहले पूर्व विधायक प्रभु नरायन सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया तो गुरुवार को दो बार मंडल अध्यक्ष रहे पारसनाथ सिंह ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। पारस नाथ सिंह भाजपा के प्रांत प्रचारक रहे स्व. राजनीति सिंह के भाई हैं।
पारसनाथ सिंह ने पार्टी के प्रांतीय नेताओं पर तानाशाही का आरोप लगाया है। कहा कि भाजपा के नेता पहले कुशहावा के हाथो पार्टी को बेच दिया फिर पार्टी को निजी जागीर समझ बैठे। संघ के नाम और पैसे पर एसी में बैठकर समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर रहे हैं। जौनपुर में पर्यवेक्षक की रिपोर्ट की उपेक्षा करके ऐसे व्यक्ति को संयोजक बनाया गया जिसका नाम पर्यवेक्षक ने दिया ही नहीं है तो पार्टी को पर्यवेक्षक भेजने की जरूरत की क्या थी। अभी जल्दी में ही पूर्व सांसद विद्या सागर, अनिल सिंह परिवर्तन, अरविंद कुमार सिंह, राम सिंह मौर्य जैसे कर्मठ और जुझारू नेताओ पर नोटिस भेज कर निराधार आरोप लगाए है। जब एमएलसी चुनाव में केदारनाथ सिंह विरुद्ध प्रचार हुआ तो नोटिस क्यों नहीं भेजी गई। प्रदेश भाजपा इन दिनों धृतराष्ट्र की सभा बन गई है। जौनपुर सबसे अधिक विधायक देता था लेकिन आज एक मात्र विधायक अपने कर्म से है। भाजपा के यह नेता रीढ़ कहने वाले कार्यकर्ताओं को ही काट रहे हैं। खुद को कालीदास का पिता समझते हैं। कालीदास तो डाल ही काट रहे थे यह लोग तो पेड़ की जड़ ही काट रहे हैं। ऐसी स्थिति में भीष्म की तरह पार्टी का चीरहरण देखना संभव नहीं है। हम पार्टी नेताओं से जानना चाहते हैं कि बदलापुर, मडि़याहूं के प्रत्याशी कहते हैं कि जिला नेतृत्व ने कोई सहयोग नहीं दिया तो हम पूछना चाहते हैं कि जिला पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।