मल्हनीबाजार। गर्मी के दिनों में गांव-गांव ताड़ी का धंधा शुरू हो गया है। यह कारोबार भले ही ग्रामीण इलाकों में चलता है लेकिन आबकारी और पुलिस विभाग को सुविधा शुल्क देना ही पड़ता है। बावजूद ठेकेदार बगैर लाइसेंस के मालामाल हो रहे हैं।
क्षेत्र के सरायख्वाजा, खुटहन तथा खेतासराय थाना क्षेत्र के बरजी, पोटरिया, धमौर, अफलेपुर, गुलालपुर, छतौरा, मल्हनी, गभिरन, मुबारकपुर, नरौली उत्तर पट्टी समेत क्षेत्र के दर्जनों गांवों में गर्मी के मौसम में ताड़ी लगाने का काम चलता है। ठेकेदारों को यह व्यवसाय बगैर किसी लाइसेंस के उपलब्ध हो जाता है। जो तीन चार महीने धड़ल्ले से चलता है। एक ठेकेदार ने बताया कि गर्मी के तीन महीने यह कारोबार किया जाता है। इसके लिए ताड़ मालिक को प्रत्येक ताड़ 300 रुपये पूरे सीजन के लिए दिया जाता है। ताड़ी निकालने के लिए बिहार प्रदेश से आए लोगों को तीन सौ रुपये प्रतिदिन और 200 अलग से दिया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक महीना चार सौ रुपये आबकारी विभाग और क्षेत्रीय पुलिस को देना होता है। उसने बताया कि एक ताड़ से 24 घंटे में 15 से 18 लीटर ताड़ी निकलती है। गांव में ताड़ी 15 रुपये लीटर बेची जाती है। इतने खर्च के बावजूद इस धंधे में आधा मुनाफा होता है।