जौनपुर। बोरे के अभाव में गेहूं की खरीद नहीं रुकेगी। खाद्य आयुक्त ने 18 मई को जारी आदेश में साफ कर दिया गया कि क्रय केंद्र से किसान गेहूं वापस लेकर नहीं लौटने पाए। किसानों के बोरे में ही गेहूं तौल लिया जाए। बोरे पर उनका नाम पता दर्ज किया जाएगा। बाद में एफसीआई से बोरा उपलब्ध होने पर किसानों का बोरा वापस कर दिया जाए। प्रति कुंतल चार रुपये अतिरिक्त खर्च देने पर भी राज्य सरकार सहमत हो गई है। प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि किसानों के बोरा में गेहूं तौलाएं और बाद में बोरा उपलब्ध होने पर उसे सरकारी बोरों में भरवाएं। हैंडलिंग चार्ज चार रुपये प्रति कुंतल अलग से देय होगा।
बोरे के अभाव में गेहूं खरीद काफी प्रभावित हुई है। दो खेप में बोरे आए लेकिन गेहूं के उपलब्धता के सापेक्ष पर्याप्त नहीं थे। गेहूं उत्पादन इतना बंपर हुआ है कि पांच सौ बोरे पांच रोज भी नहीं चल रहे हैं। उधर, केंद्र सरकार भी बोरा उपलब्ध नहीं करा पा रही है। बोरों को लेकर मचे तूफान के बीच राज्य सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है। सभी डीएम को आदेश दिए गए हैं कि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत गेहूं खरीद किसानों के ही बोरे में कराए। किसान क्रय केंद्रों पर गेहूं अपने बोरे में ही भरकर लाता है। किसानों का गेहूं उन्हीं के बोरे में तौल लें और समर्थन मूल्य के दर से उसे भुगतान कर दिया जाए। बोरों को सुरक्षित रखने, नए बोरों में भरने के एवज में चार रुपये प्रति कुंतल के दर से राज्य सरकार भुगतान करेगी। मतलब साफ है कि गेहूं खरीद खर्च चार रुपये प्रति कुंतल बढ़ गई है। खरीद एजेंसियों के सामने इस बात की दिक्कत है कि वह बाजार से बोरा खरीद नहीं सकती। वही बोरा इस्तेमाल किया जा सकता है जिसे भारतीय खाद्य निगम ने जारी किया हो। एफसीआई बोरे का इंतजाम नहीं कर पा रही है और गेहूं खरीद चौपट हो गई है। गेहूं खरीद बंद होने में एक महीने आठ दिन ही शेष रह गए हैं। किसान इस बात से बेचैन है कि समर्थन मूल्य पर यदि गेहूं नहीं बिका तो बाजार में उसे घाटे में बेचना पड़ेगा। बाजार और सरकारी मूल्य में काफी अंतर होने के नाते किसान क्रय केंद्रों की ओर भाग रहा है। समर्थन मू्ल्य 1285 रुपये प्रति कुंतल है और फुटकर बाजार में गेहूं की कीमत 11 सौ रुपये से भी नीचे है। फेरी लगाकर गेहूं खरीदने वाले अढ़तिये मनमाने रेट से खरीद रहे हैं। गेहूं खरीद में बोरा संकट से परेशान राज्य सरकार ने बीच का रास्ता अपनाया है। किसानों के बोरे का इस्तेमाल कर लेने से कम से कम किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ मिल जाएगा। किसान ने गेहूं की तौल करा दी तो उसे मुक्ति मिल जाएगी। गेहूं सड़ जाए या फिर गल जाए, इससे किसान का कोई मतलब नहीं होगा। बाद में नया बोरा आने पर किसानों को बोरा वापसी की गारंटी भी मिल रही है।