जौनपुर। पहली जून से सरकारी कर्मचारियों की पूरी फौज जातियों की तलाश में निकलेगी। भरी दोपहरी में यदि कोई दरवाजा खटखटाकर पूछे कि तुम्हारी जाति क्या है तो हैरान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल जाति आधारित जनगणना पहली जून से शुरू होने वाली है। प्रशासनिक अफसरों की पूरी फौज लगा दी गई है। अफसर निगरानी करेंगे और कर्मचारी जातियां तलाशेंगे। इसे सामाजिक, आर्थिक जाति आधारित जनगणना 2011 नाम दिया गया है। जातियों के साथ व्यक्ति आर्थिक और सामाजिक स्टेटस का भी आंकलन होगा। गणना कर्मचारी ने जैसी रिपोर्ट दर्ज कर दी वही उसकी हैसियत का पैमाना होगा।
गौरतलब है कि दो वर्ष पहले जून 2010 से जनगणना शुरू हुई थी। जनगणना के तहत जिले के लोगों से कई तरह के सवाल पूछे गए थे। दरवाजे से लेकर रसोई घर, शौचालय तक के बारे में डाटा जुटाए गए थे। कर्मचारियों को घर-घर जाकर गणना करने के साथ उन्हें गणना की रसीद भी दी गई थी। जनगणना के दौरान ही जातियों की गिनती की मांग शुरू हो गई थी। सरकार के पास जातियों का कोई ताजा आंकड़ा नहीं होने के नाते जाति आधारित योजनाएं भी पुराने आंकड़ों पर हो रही थी। केंद्र सरकार ने एक वर्ष पहले ही जातियों की गिनती का भरोसा दिलाया था। गृह मंत्रालय ने पहली जून से जातियों की गणना का गजट जारी कर दिया है। पहली जून से जातियों की गिनती के साथ आर्थिक और सामाजिक स्थिति के आंकलन शुरू हो जाएंगे। जिले के सभी तहसीलदार, नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी गणना के चार्ज अधिकारी होंगे। यह सभी अपने-अपने इलाके की गणना के लिए जिम्मेदार होंगे। सभी गणना सहायक अपने सुपरवाइजर को रिपोर्ट करेंगे तथा सुपरवाइजर चार्ज अधिकारी को गणना की स्थिति से अवगत कराएंगे। जाति आधारित गणना के मास्टर ट्रेनरों को 14 से 15 मई के बीच ट्रेनिंग दी जा चुकी है। यह मास्टर ट्रेनर जिला स्तर पर गणना सहायकों को ट्रेनिंग देंगे। अभी तक जातिगत गणना की ट्रेनिंग तो नहीं शुरू हुई है लेकिन समझा जा रहा है कि जल्दी ही शुरू हो जाएगी। इस नाते कि 30 मई तक सभी प्रशिक्षण पूरे कर लेने हैं। जिले में सीडीओ को जनगणना का नोडल अधिकारी बनाया गया है तथा डीआरडीए रिपोर्टिगिं एजेंसी होगी। सभी तहसीलदार अपने-अपने इलाके की ट्रेनिंग और जनगणना पूरी कराएंगे। कर्मचारियों के तैनाती की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जाति गणना कर्मचारी प्रोफार्मा में जाति के व्यवसाय, सामाजिक रहन सहन तथा आय के स्रोत का भी पता लगाएंगे। सभी तरह की जानकारी गोपनीय रखी जाएगी। फिर वही मशक्कत होगी जो सामान्य जनगणना के दौरान हुई थी। एससी, एसटी, ओबीसी तथा अल्पसंख्यक भी गणना के दौरान अलग किए जाएंगे। हर जाति के आंकड़े भी अलग होंगे और हर वर्ग की संख्या भी अलग की जाएगी। ताकि भविष्य में बनने वाली योजनाएं तथा आर्थिक स्थितियों का आंकलन सही तरीके से किया जा सके।